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ओमिक्रॉन से लड़ने की तैयारी अभी से शुरू, तीसरी लहर पर आईआईएससी-बेंगलुरु की ये है तैयारी

RT-PCR परीक्षण विश्लेषण के दौरान, प्रयोगशाला के शोधकर्ता COVID-19 पैदा करने वाले वायरस SARS-CoV-2 के डीएनए स्ट्रैंड पर नज़र रखते हैं, जो कई पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR)से होकर गुजरता है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने CT की वैल्यू 35 निर्धारित की है. अगर यह 35 पाया जाएगा तो यह 'सकारात्मक' है, और इससे ऊपर के वैल्यू को 'नकारात्मक' माना जाएगा.

Indian Institute of Science (IISC) in Bengaluru. (File photo) Indian Institute of Science (IISC) in Bengaluru. (File photo)
हाइलाइट्स
  • CT वैल्यू 35 तो नहीं है ओमिक्रॉन

  • आईआईएससी-बेंगलुरु कर रहा अध्ययन

ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच देश अब इससे निबटने के लिए तैयारियां शुरू कर चुका है.  तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) ने भारतीय विज्ञान संस्थान  के शोधकर्ताओं की एक टीम को संभावित तीसरी लहर की तैयारी को लेकर प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. इस प्रस्ताव में परीक्षण प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से व्यवस्थित  करने की बात पर जोर दिया गया है. इस  प्रस्ताव में  जीनोम अनुक्रमण समिति के वायरोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ एक साथ  मिल कर एक अध्ययन करेंगे. इस अध्ययन से आरटी-पीसीआर परीक्षणों के माध्यम से साकारात्मक पाए जाने वाले सभी लोगों पर जीनोम अनुक्रमण शामिल होगा. 

CT वैल्यू से पता चलेगा 'ओमिक्रॉन'

RT-PCR परीक्षण विश्लेषण के दौरान, प्रयोगशाला के शोधकर्ता COVID-19 पैदा करने वाले वायरस SARS-CoV-2 के डीएनए स्ट्रैंड पर नज़र रखते हैं, जो कई पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR)से होकर गुजरता है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने CT की वैल्यू 35  निर्धारित की है. अगर  यह 35 पाया जाएगा तो  यह 'सकारात्मक' है, और इससे ऊपर के वैल्यू को  'नकारात्मक' माना जाएगा. IISc शोधकर्ताओं और उनके काम करने वाले  विशेषज्ञों की टीम ने COVID-19  को कम करने के लिए  कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों के तत्काल उपचार के लिए  कहा है . जिनका CT वैल्यू कम है और इनमें कोरोना का खतरा ज्यादा है. 

न्यूट्रलाइजेशन का होगा अध्ययन

जिसे हाल ही में आयोजित टीएसी की बैठक में ये कहा गया कि इस प्रस्ताव का मकसद  प्रयोगशाला में विकसित ओमाइक्रोन वायरस पर सीरम  का इस्तेमाल  करके न्यूट्रलाइजेशन का  अध्ययन  भी करना है. आईआईएससी के प्रोफेसर शिव अथरेया और प्रोफेसर आर सुंदरसन  ने बताया कि इस अध्ययन के कई कारण हैं,वैज्ञानिकों ने महसूस  किया है कि हाल में परीक्षण की संभवना बढ़ी है क्योंकि इसके रिजल्ट बेहतर आए हैं. 

टीएसी के सदस्यों ने प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा करने के बाद  ये कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग इसके लिए जरूरी मदद और डेटा प्रदान करे. सूत्रों ने कहा, आईआईएससी और विशेषज्ञों का ये  अध्ययन अगले कुछ हफ्तों में शुरू होने की उम्मीद है.