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Inspirational: गरीब प्रेग्नेंट महिलाओं और मरीजों को मुफ्त में अस्पताल पहुंचाता है यह ऑटो-ड्राइवर, शुरू की अनोखी पहल

स्कूल ड्रॉपआउट 42 वर्षीय गगन पात्रा ने 2016 में अपने बेटे की बीमारी के बाद यह पहल शुरू की. समय के साथ, उनके साथी ऑटो चालकों ने उनकी पहल में रुचि ली और इसमें शामिल होने का फैसला किया.

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हाइलाइट्स
  • 2016 में शुरू की पहल

  • अब 30 लोगों का ग्रुप

कहते हैं कि समाज में बदलाव एक छोटी सी पहल से भी आ सकता है जरूरी नहीं कि आप कुछ बड़ा ही करें. और इस बात का बहुत ही अच्छा उदाहरण पेश कर रहे हैं ओडिशा में बरहामपुर के एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर, गगन पात्रा, जो जरूरत पड़ने पर लोगों को अस्पताल पहुंचाते हैं और वह भी बिना किसी फीस के. 

पिछले नौ सालों से बरहामपुर में गगन पात्रा की पहल के बाद से 30 ऑटोरिक्शा चालकों का एक ग्रुप गर्भवती महिलाओं और जरूरतमंद मरीजों को MKCG मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (MCH) और सिटी अस्पताल तक फ्री में पहुंचाते हैं. उनकी यह वॉलंटियर सर्विस चौबीस घंटे उपलब्ध है. 

इस तरह हुई नेक काम की शुरुआत 
स्कूल ड्रॉपआउट 42 वर्षीय गगन पात्रा ने 2016 में अपने बेटे की बीमारी के बाद यह पहल शुरू की. उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके बेटे को बचपन से ही दौरे पड़ते थे. एक रात उनके बेटे को ज़ोर का दौरा पड़ा और उन्हें अपने बच्चे को अस्पताल ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला. सौभाग्य से, आंध्र प्रदेश के एक ट्रक ड्राइवर ने उनकी MKCG MCH तक पहुंचने में मदद की. उन्होंने ट्रक ड्राइवर को पैसे देने चाहे, लेकिन उसने इसे लेने से इनकार कर दिया. 

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इस घटना के बाद, उन्होंने जरूरतमंद मरीजों की मदद के लिए अपने ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल करने का फैसला किया. और उन्होंने इसकी शुरुआत एक गर्भवती महिला की मदद करके की. वह एक यात्री को घर छोड़ रहे थे जब उन्होंने एक गर्भवती महिला और उसकी बुजुर्ग मां को सड़क पर बहुत मुश्किल से चलते देखा. आसपास परिवार का कोई पुरुष सदस्य नहीं था. इसलिए उन्होंने उन्हें निःशुल्क एमसीएच ले जाने का निर्णय लिया. इस तरह यह यात्रा शुरू हुई. 

एक-एक कर जुड़ते गए लोग
अगले दिन, गगन पात्रा ने अपने ऑटोरिक्शा पर एक पोस्टर लगाया जिसमें लिखा था कि वह गरीब गर्भवती महिलाओं और इमरजेंसी मेडिकल केयर की जरूरत वाले रोगियों को मुफ्त राइड देते हैं. धीरे-धीरे उनके साथी ऑटो चालकों ने उनकी पहल में रुचि ली और इसमें शामिल होने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोगों को पता चला तो उनकी पहल ने गति पकड़ी, और ज्यादा ऑटो चालकों ने उनके साथ जुड़ने में रुचि दिखाई. 

इस ग्रुप ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपनी सेवाएं जारी रखीं. हालांकि, लॉकडाउन के दौरान वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध था, इसलिए उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर विजय अमृता कुलंगे से मदद मांगी, जिन्होंने उन्हें सभी अनिवार्य सावधानियों के साथ मरीजों के लिए अपनी मुफ्त सवारी जारी रखने की अनुमति दी. 

6000 से ज्यादा लोगों की मदद की 
पिछले नौ वर्षों के दौरान, समूह ने 6,000 से ज्यादा जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त सर्विस दी है, जिनमें ज्यादातर गर्भवती महिलाएं और सड़क दुर्घटना के शिकार लोग शामिल हैं. गगन पात्रा की तरह, सभी 30 ऑटोरिक्शा ड्राइवरों ने अपने वाहनों के पीछे गर्भवती महिलाओं और आपातकालीन चिकित्सा मामलों में लोगों को मुफ्त यात्रा की पेशकश करने वाले पोस्टर लगाए हैं. साथ ही उनके मोबाइल नंबर भी लिखे हुए हैं ताकि लोग किसी भी समय उनसे संपर्क कर सकें. इसी तरह के पोस्टर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और बाजारों जैसी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर भी लगाए गए हैं.