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Organ Donation: तीन साल के परेल ने बचाई 4 लोगों की जान, ब्रेन डेड घोषित होने पर माता-पिता ने अपने बच्चे का किया अंगदान 

3-Yr old Organ Donation: परेल के माता-पिता ने उसके दिल, लीवर और किडनी दान करने की सहमति के साथ अंगदान किया. ग्लोबल अस्पताल और पेडर रोड के जसलोक अस्पताल में परेल के गुर्दे ऑर्गन फेलियर वाले रोगियों को दान किए गए थे.

Organ Donation Organ Donation
हाइलाइट्स
  • बच्चे का किया अंगदान 

  • शहर में सबसे कम उम्र के अंग दाताओं में 3 साल का ब्रेन डेड

मुंबई के डोंबिवली के तीन साल के बच्चे ने चार लोगों की जान बचाई है. परेल के वाडिया नाम के बच्चे को अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद उसके माता-पिता ने अंगदान कर चार लोगों की जान बचाई. दरअसल, परेल अपने बड़े भाई के साथ घर के बाहर खेल रहा था जब एक खड़ी हुई बाइक उसके ऊपर गिर गई; बाइक की टक्कर से उसका सिर जमीन पर लग गया और इंट्राक्रैनियल ब्लीड हो गई. शुरू में परेल को एक लोकल अस्पताल में ले जाया गया, और फिर वाडिया चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया गया, वहां उसकी सर्जरी की गई. हालांकि, उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी और शनिवार को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. 

बच्चे का किया अंगदान 

रविवार को परेल के माता-पिता ने उसके दिल, लीवर और किडनी दान करने की सहमति के साथ अंगदान किया. ग्लोबल अस्पताल और पेडर रोड के जसलोक अस्पताल में परेल के गुर्दे ऑर्गन फेलियर वाले रोगियों को दान किए गए थे. हृदय को चेन्नई भेजा गया क्योंकि स्थानीय स्तर पर कोई उनकी उम्र वाला रिसीवर नहीं था. जबकि लिवर पवई के एल एच हीरानंदानी अस्पताल में रजिस्टर्ड एक मरीज को दान किया गया.

शहर में सबसे कम उम्र के अंग दाताओं में 3 साल का ब्रेन डेड

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर (ZTCC) के अधिकारियों ने कहा कि तीन साल के डोंबिवली का लड़का, जिसके अंग ब्रेन डेड घोषित होने के बाद दान किए गए थे, मुंबई में सबसे कम उम्र के डोनर्स में से एक है.
गौरतलब है कि 2019 में, न्यू मरीन लाइन्स के पास बॉम्बे अस्पताल में एक 26 महीने के लड़के के माता-पिता ने उसके अंग दान कर दिए थे. ZTCC के सचिव डॉ भरत शाह ने कहा कि सबसे कम उम्र की डोनर में से एक 2001 में 18 महीने की एक लड़की थी. 

रिपोर्ट के मुताबिक, वाडिया अस्पताल के सीईओ डॉ मिन्नी बोधनवाला ने कहा कि दुख की घड़ी में भी माता-पिता ने दया और उदारता दिखाई. डॉ मिन्नी ने कहा, "उन्होंने अपने अकल्पनीय दुःख को करुणा और उदारता के एक असाधारण कार्य में बदल दिया जो हमें हमेशा के लिए प्रेरित करेगा.”