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Alzheimer Treatment: दिल्ली AIIMS करेगा भूलने की बीमारी का योग से इलाज, अल्जाइमर पर असर करेगी योगा

अल्जाइमर का इलाज योग से हो सकता है. लेकिन किस स्टेज पर योग कारगर है इसके लिए आगे और स्टडी की जाएगी. रिसर्च ये खोजने की कोशिश करेगी कि क्या हम इसे माइल्ड से मेजर स्टेज में जाने से रोक सकते हैं.

अल्जाइमर अल्जाइमर
हाइलाइट्स
  • योगा से अल्जाइमर के लक्षण स्लो किए जा सकते हैं

  • अल्जाइमर पर असर करेगी योगा

दिल्ली एम्स में एक नई शुरुआत की है. उन्होंने अल्जाइमर जिसमें व्यक्ति की धीरे-धीरे याददाश्त कमजोर होने लगती है, का इलाज पैथोलॉजी के साथ-साथ योग से भी करने की कोशिश की है. दिल्ली एम्स की स्टडी के मुताबिक योग मेंटल स्ट्रेस कम करता है, ऐसे में मेडिटेशन से दिमाग को कंट्रोल किया जा सकता है. माइल्ड मेमोरी कंप्लेंट में योग को शामिल किया जा सकता है.

उम्र बढ़ने के साथ बीमारी होना है आम 

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे ही हमारे सभी शरीर के अंगों की उम्र भी बढ़ती है. ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ कभी-कभी दिमाग भी स्लो हो जाता है. ये नॉर्मल एजिंग के संकेत हैं. लेकिन अल्जाइमर में मरीज बेहद जल्दी चीजें भूलने लगते हैं, जिसे हम आम भाषा में याददाश्त खोना भी कहते हैं. लेकिन इसकी अलग-अलग स्टेज होती है. डिमेंशिया में इन अलग-अलग स्टेज को बांटा गया है. शुरुआती दौर में मरीज को यह एहसास रहता है कि वो कुछ तो भूल रहा है, मगर जैसे जैसे बीमारी और उम्र बढ़ती है वैसे वैसे याद रखने की क्षमता भी कम होती जाती है. एक समय या स्टेज ऐसी आती है की मरीज किसी और पर निर्भर हो जाता है. ऐसे में उसकी देखभाल करनी पड़ती है उसे अकेला नही छोड़ा जा सकता. 

याददाश्त कम होने की ये हो सकती हैं वजह

मेंटल स्ट्रेस, मोटापा, फिजिकल स्ट्रेस, लंबे समय तक बैठना, अनियमित सोना, स्लीप अपनेमिया, हमारा बुरा खानपान इसके अलावा जेनेटिक फेक्टर हुए बढ़ती उम्र डिमेंशिया का कारण हो सकती है. अक्सर माना जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ एंजाइम होता है लेकिन मॉडर्न लाइफस्टाइल को देखते हुए यह लक्षण किसी कम उम्र के व्यक्ति में भी हो सकते हैं.

दिल्ली एम्स करेगा योगा से अल्जाइमर का इलाज

दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स ने अपनी स्टडी में यह पाया कि अल्जाइमर का इलाज योग से हो सकता है. लेकिन किस स्टेज पर योग कारगर है इसके लिए आगे और स्टडी की जाएगी. रिसर्च ये खोजने की कोशिश करेगी कि क्या हम इसे माइल्ड से मेजर स्टेज में जाने से रोक सकते हैं, ये दवाइयों के साथ योगा की मदद से मुमकिन हो सकेगा. 

बढ़ने से रोकी जा सकती है बीमारी 

डॉक्टर मीनाक्षी का कहना है कि अल्जाइमर की पहली स्टेज में अगर ट्रीटमेंट में योग थेरेपी भी शामिल की जाए तो इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है. लेकिन जो मरीज हैं वह शुरुआती दौर में अस्पताल नहीं आते हैं. दिल्ली एम्स का कहना है कि अगर मरीज शुरुआती दौर में ही हॉस्पिटल में अपना पंजीकरण कर लें तो दिल्ली एम्स की टीम मिलकर मरीज के साथ काम करेगी और योग थेरेपी से बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. 

योग के फायदे

अल्जाइमर का मरीज अपने दिमाग पर कंट्रोल खो देता है. ऐसे में वह इंसान अपने दिमाग पर कंट्रोल रख सके उसकी कोशिश की जाएगी. इलाज के दौरान

दिमाग को कंट्रोल में रखने के लिए योग और ध्यान यानी मेडिटेशन किया जाता है. योग से हम अपना दिमाग कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. इसी को अपना आधार बना कर दिल्ली एम्स ने अपनी स्टडी की है.

ऐसे मरीज अगर एम्स आएं तो एम्स योगा थेरपी से पहले टेस्ट किए जाएंगे ताकि पता चल सके कि मरीज किस स्टेज में है. फिर योगा प्राणायाम और ध्यान अलग अलग आसन कराए जाएंगे. स्ट्रेस की वजह से उम्र ज्यादा दिखने लगती है लेकिन योगा से डीएनए रिपेयर होता है. योगा का सीधा सीधा असर अल्जाइमर पर पड़ता है. मरीज को अस्पताल में तीन से चार सेशन कराए जाएंगे उसके बाद मरीज या तो खुद से योग कर सकता है या फिर ऑनलाइन योगा सेशन की सुविधा दिल्ली एम्स प्रदान करने में सक्षम है.

अल्जाइमर के लक्षण क्या हैं?

45 की उम्र से बड़े लोग अक्सर मेमोरी लोस से जूझ रहे होते हैं जैसे रास्ता भूल जाना, खाना बनाते बनाते कुछ भूल जाना, अपने परिजनों को न पहचाना, अपनी अलग पहचान मानने लगना, चिड़चिड़ा रहना आदि. 

इतना ही नहीं, जो लोग अल्जाइमर से मरीज है उन लोगों के लिए दिल्ली एम्स ने दो हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं- 0 1129994940,  01164533663  और ardsi_dc@hotmail.com. मरीज इन हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर खुद का पंजीकरण कर सकते हैं या फिर गुरुवार को दिल्ली एम्स जाकर पंजीकरण कर सकते हैं.