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टी-सेल कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की तैयारी में ब्रिटेन, होगा ज्यादा फायदा

इस टीके को एक स्किन पैच के रूप में लगाया जाएगा. यह रूम टेम्परेचर पर तीन महीने तक चल सकता है. 3 जनवरी से इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू होगा.

टी-सेल वैक्सीन टी-सेल वैक्सीन
हाइलाइट्स
  • स्किन पैच के रूप में लगाया जाएगा ये टीका.

  • 3 जनवरी से शुरू होगा क्लिनिकल ट्रायल.

ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस में ऐसे प्रोटीन की पहचान की है जो उन लोगों की टी-कोशिकाओं (T-cells) द्वारा पहचाने जाते हैं जो वायरस के संपर्क में, लेकिन जिन्हें संक्रमण नहीं हुआ. ये जानकारी वैक्सीन डेवलपर्स के लिए एक नया टारगेट हो सकती है. COVID-19 के खिलाफ इम्यूनिटी एक जटिल प्रक्रिया है, जहां टीकाकरण के छह महीने बाद एंटीबॉडी के स्तर में कमी आने के प्रमाण मिल रहे हैं. माना जाता है कि टी-कोशिकाएं भी संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. 

ऑक्सफोर्डशायर (Oxfordshire) की एक कंपनी जल्द ही कोविड -19 के खिलाफ सेकेंड जेनरेशन वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेगी. ये टीका आसानी से लगाए जाने वाले स्किन पैच के रूप में होगा, जो संक्रमित कोशिकाओं को मारने के लिए टी-कोशिकाओं का उपयोग करेगा और वर्तमान टीकों की तुलना में लंबे समय तक इम्यूनिटी देगा. 

शरीर से संक्रमित कोशिकाओं को हटाएगा टीका 

एमर्जेक्स की स्थापना 2016 में एबिंगडन में टी-सेल वैक्सीन विकसित करने के लिए की गई थी, जो लंदन मेडिकल स्कूल के यूनिवर्सिटी कॉलेज में प्रोफेसर थॉमस रैडेमाकर के दिमाग की उपज है. ये टीके संक्रमण के तुरंत बाद शरीर से संक्रमित कोशिकाओं को हटाने में मदद करेंगे और इस तरह संक्रमण और बीमारी को फैलने से रोकते हैं. जबकि वर्तमान कोविड टीकों द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी वायरस से चिपक जाती हैं और इसे कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती हैं. टी-कोशिकाएं संक्रमित कोशिकाओं को ढूंढती हैं और नष्ट कर देती हैं. फाइजर/बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी टी-सेल उत्पन्न करते हैं, लेकिन सीमित मात्रा में. 

3 जनवरी से शुरू होगा क्लिनिकल ट्रायल

इमर्जेक्स को लॉज़ेन में प्रारंभिक क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए स्विस ड्रग रेगुलेटर से अप्रूवल मिला है. इसमें 26 लोग शामिल हैं, जो 3 जनवरी से शुरू होने वाले प्रायोगिक कोविड -19 वैक्सीन की हाई और लो डोज हासिल करेंगे. ट्रायल के अंतरिम परिणाम जून में आने की उम्मीद है. वर्तमान कोविड -19 टीके मुख्य रूप से एक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया बनाते हैं जो समय के साथ कम हो जाती है. जिसका मतलब है कि लोगों को वायरस से सुरक्षा बनाए रखने के लिए बूस्टर शॉट्स की जरूरत होती है. इमर्जेक्स वैक्सीन संक्रमित कोशिकाओं को जल्दी से मारकर अलग तरह से काम करती है. इसका मतलब है कि यह लंबे समय तक चलने वाली इम्यूनिटी दे सकता है और वायरस म्यूटेशन से लड़ने में भी बेहतर साबित हो सकती है. 

स्किन पैच के रूप में लगाया जाएगा

टीके को एक स्किन पैच के रूप में लगाया जाएगा जो सूक्ष्म सुइयों के साथ थंबनेल के आकार का होता है. यह रूम टेम्परेचर पर तीन महीने तक चल सकता है, दूसरे टीकों से अलग जिन्हें फ्रीजर या फ्रिज में स्टोर करने की जरूरत होती है. ये ट्रायल स्विट्जरलैंड के लॉज़ेन विश्वविद्यालय में प्राथमिक देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रोफेसर ब्लेज जेंटन द्वारा किया जाएगा. उन्होंने कहा, "Sars-CoV-2  के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने के लिए यह नया वैज्ञानिक दृष्टिकोण लंबे समय तक इम्यूनिटी देने के लिए टी-सेल प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की जरूरत बताता है." हालांकि, इमर्जेक्स शॉट 2025 से पहले उपलब्ध नहीं होगा. 

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