सामान्य तौर पर कैंसर बीमारी का नाम सुनते ही लोगों को मौत के विचार आने लगते हैं. कैंसर की बीमारी का पता लगने पर मरीज सबसे पहले मानसिक तौर पर टूट जाता है और नकारात्मक से भर जाता है. लेकिन गुजरात के राजकोट में एक ऐसे कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसे देखकर कैंसर से जूझ रहे मरीजों को जीवन जीने की एक नई आशा मिलेगी. साथ ही कैंसर के सामने लड़ने के लिए मानसिक तौर पर मजबूती भी मिलेगी.
80 साल की महिलाओं ने भी किया परफॉर्म
राजकोट में कैंसर क्लब के द्वारा कैंसर वॉरियर महिलाओं के फैशन शो का आयोजन हुआ. इस फैशन शो में कैंसर को मात देकर नया जीवन शुरू करने वाली 80 महिलाओं ने ट्रेडिशनल और वेस्टर्न लुक में रैंप वॉक किया. इन महिलाओं में 19 से लेकर 70 साल तक की आयु की महिलाएं शामिल थीं. इसमें कई महिलाएं ऐसी थी जिन्हें आखिरी स्टेज का कैंसर था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कैंसर को हरा दिया. इन सभी महिलाओं ने ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर,ओवरी कैंसर और गले का कैंसर जैसे अलग अलग प्रकार के कैंसर का सामना किया है. और जिंदगी की जंग जीती.
यह सभी महिलाएं अपने आप में एक मिसाल हैं. जिन्होंने कैंसर के सामने हार नहीं मानी और अपने दृढ़ मनोबल से कैंसर को मात दी. इन महिलाओं को रैंप पर वॉक करते हुए देखकर कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों ने इन महिलाओं को खूब सराहा और लगातार तालियों से उनका मनोबल बढ़ाया.
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज होगा इवेंट
इस कार्यक्रम के आयोजक रूपल कोटक ने बताया कि ये कार्यक्रम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी रिकॉर्ड के रूप में दर्ज होगा. इससे पहले ऐसे कैंसर वॉरियर महिलाओं के फैशन शो का आयोजन दिल्ली और बैंगलोर में हुआ था. इनमें 22 से ज्यादा महिलाओं ने भाग लिया था. लेकिन राजकोट में ऐसा कार्यक्रम पहली बार हुआ है. 80 साल की कैंसर वॉरियर महिलाओं ने भी इसमें शामिल होकर रिकॉर्ड स्थापित कर दिया. आगे उन्होंने बताया कि यह नारी शक्ति दिखाने का रैंप वॉक था.
कैंसर से नहीं मानी हार
कैंसर को हराने वाली 34 साल की कविता पंचानी ने बताया कि जब कैंसर डिटेक्ट हुआ तो वह टूट चुकी थी. लेकिन जब वे अस्पताल गईं तो उन्होंने देखा कि उनसे भी छोटे लोग कैंसर से पीड़ित हैं. तब उन्होंने ठान लिया कि वे इस बीमारी से नहीं हारेंगी. वे बताती हैं, “मैंने अपना काम चालू रखा और डॉक्टर के हिसाब से अपनी ट्रीटमेंट किया. आखिरकार मैंने कैंसर को मात दे ही दी. कैंसर को हराने के लिए मानसिक तौर पर मजबूत और पॉजिटिव होना बहुत जरूरी है.
ऐसे ही कैंसर को मात देने वाली महक ने बताया की उनको 5 साल की उम्र से कैंसर था. वे बताती हैं, “स्कूल में भी मुझे कोई नहीं बुलाता था. मैंने डिसाइड किया की यह लड़ाई मुझे ही लड़नी है और जीतनी है. आखिरकार मैंने अपने दृढ़ मनोबल से कैंसर को हराया. मैं आने वाले दिनों में अपनी पढ़ाई पूरी करके डॉक्टर बनने वाली हूं.
(रौनक मजीठिया की रिपोर्ट)