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Explainer: क्या है JYNNEOS वैक्सीन और कैसे करता है काम, Monkeypox को रोकने के लिए अमेरिका और यूरोप में मिली मंजूरी

अन्य वैक्सीन की तरह, JYNNEOS वैक्सीन को भी इंजेक्शन से दिया जाता है और आमतौर पर ऊपरी बांह में लगाया जाता है. इस वैक्सीन की दो डोज लोगों को लेनी होंगी और दोनों डोज के बीच कम से कम चार सप्ताह का अंतराल होना चाहिए.

Representational Image (photo: Flickr) Representational Image (photo: Flickr)
हाइलाइट्स
  • 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को दी जा सकती JYNNEOS वैक्सीन

  • JYNNEOS वैक्सीन की दो डोज लोगों को दी जाएंगी

दुनियाभर में मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए अमेरिका और यूरोप में JYNNEOS वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. यह वैक्सीन 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को दी जा सकती है. हालांकि, जिन लोगों को मंकीपॉक्स हो चुका है वे इस वैक्सीन को नहीं ले सकते हैं. लेकिन दूसरे लोग जिन पर इस बीमारी का खतरा बना हुआ है, वे इसे लगवा सकते हैं. 

अब सवाल है कि आखिर यह JYNNEOS वैक्सीन क्या है और यह कैसे काम करती है? आपको बता दें कि अमेरिका में मंकीपॉक्स और चेचक की रोकथाम के लिए JYNNEOS वैक्सीन को मंजूरी दी गई है. इस वैक्सीन में वैक्सीनिया वायरस होता है, जो कि मंकीपॉक्स और चेचक के वायरस से संबंधित वायरस है. यह वायरस कमजोर है, और खुद को ह्यूमन सेल्स में कॉपी नहीं कर सकता है, और किसी की बॉडी में नहीं फैल सकता है.

मंकीपॉक्स से होगा बचाव 
विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि यह वैक्सीन दिए जाने पर लोगों को मंकीपॉक्स से बचाने में मदद कर सकती है. वायरस के संपर्क में आने से पहले ही अगर यह वैक्सीन दी जाए तो यह संक्रमण से बचाव कर सकती है. और अगर वायरस के संपर्क में आने के चार दिनों के भीतर दिया जाए तो यह वैक्सीन संक्रमण के जोखिम को कम करती है. 

वहीं, अगर एक्सपोजर के बाद 14 दिनों के भीतर दिया जाए तो वैक्सीन से गंभीर बीमारी की रिस्क कम हो जाएगा. इस वैक्सीन को साइड इफेक्ट भी बहुत आम हैं जैसे अधिकांश लोगों को शॉट लगने वाली जगह पर सूजन हो सकती है और हल्का दर्द होता है. वैक्सीनेशन के बाद थकान, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द भी हो सकता है. 

इस वैक्सीन की लगेंगी दो डोज
JYNNEOS वैक्सीन की दो डोज लोगों को दी जाएंगी. इसकी दूसरी डोज लोगों को पहली डोज लगने के कम से कम चार सप्ताह बाद लगनी चाहिए. वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद से ही इंसान के शरीर में सुरक्षा प्रणाली बनना शुरू हो जाती है. लेकिन दूसरी डोज के बिना पूर्ण प्रतिरक्षा नहीं होगी. 

बात अगर इस वैक्सीन के प्रभावी होने की करें तो क्लिनिकल टेस्टिंग डेटा से पता चलता है कि यह वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में प्रभावी होनी चाहिए. हालांकि, फिलहाल वैक्सीन की प्रभावशीलता पर दुनिया का वास्तविक डेटा नहीं है और कोई नहीं कह सकता है कि मंकीपॉक्स के वर्तमान प्रकोप में वैक्सीन कितनी अच्छी तरह से बचाव करेगी. इस कारण से खुद का बचाव करें. जैसे मंकीपॉक्स के मरीज या लक्षण वाले लोगों से दूरी बनाकर रखें. 

वैसे तो सभी को यह वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जा रही है. हालांकि, ऐसे लोग जिन्हें JYNNEOS को बनाने में इस्तेमाल हुए घटक (जैसे जेंटामाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन या एग प्रोटीन) से कोई एलर्जी है तो उन्हें यह डोज नहीं लगवानी चाहिए.