काफी समय से ये बज चल रहा था कि कोरोना महामारी को फैलने से रोकने में विटामिन डी एक कारगर दवा है. इस वजह से कई लोगों ने विटामिन डी के सप्लीमेंट खरीदना और दवाइयां लेना शुरू कर दिया. लेकिन क्या सही में विटामिन डी की कमी अस्पताल में भर्ती होने और कोरोना संक्रमण से मृत्यु से संबंधित है? इसका जवाब है, नहीं. क्यूरियस (Cureus) में प्रकाशित एक नई स्टडी के अनुसार, भारतीय रोगियों में विटामिन डी की कमी अस्पताल में ज्यादा दिन भर्ती होने से या फिर मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता या मोर्टेलिटी से जुड़ा नहीं है.
रिसर्च में क्या मिला?
भारतीय रिसर्चरों ने नवंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच करीब 200 कोरोना पॉजिटिव रोगियों पर विश्लेषण किया जिनमें से 57.5% रोगियों में विटामिन डी की कमी पाई गई. रिसर्चरों ने विटामिन डी की कमी और अस्पताल में रहने वाले रोगियों के बीच में कोई संबंध नहीं पाया. जिन 115 रोगियों में विटामिन डी की कमी पाई गई, उनमें से 92 रोगियों को गंभीर बीमारी पाई गई जबकि बाकी 12 को कोई गंभीर या हल्की बीमारी थी. इसकी तुलना में रोगियों के दूसरे समूह में भी 68 को गंभीर बीमारी थी और 10 को माईलड बीमारी थी. उन रोगियों की संख्या जिन्हें वेंटिलेशन की आवश्यकता थी और जिन्होंने कोविड के कारण दम तोड़ दिया, वे भी दो समूहों के बीच तुलनीय थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्या विटामिन डी कोरोना से बचाने में मदद करता है? इस पर रिसर्च की बहुत आवश्यकता है. विटामिन डी वास्तव में आपके लिए अच्छा है पर जब तक आप को ब्लड टेस्ट से पता न चले कि आपको वास्तव में इसकी कमी हो रही हैं, तब तक सप्लीमेंट और दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए.