विटिलिगो एक स्किन डिसऑर्डर है. इस रोग में शरीर में मेलेनोसाइटज सेल्स यानी त्वचा में रंग बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और आपकी स्किन अलग-अलग हिस्सों से अपना रंग खोने लगती है. सफेद दाग किसी को भी कभी भी हो सकते हैं. एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेद तीनो में इस बीमारी का इलाज संभव है. दुनिया की लगभग 0.5-1% आबादी इस बीमारी से पीड़ित है.
विटिलिगो से जुड़े मिथ
क्या विटिलिगो यानी सफेद दाग केवल स्किन के विजिबल एरिया को प्रभावित करता है? क्या विटिलिगो मछली खाने के बाद दूध पीने से होता है? विटिलिगो से जुड़े कुछ मिथक हैं जो लंबे समय से चले आ रहे हैं. इस रोग को लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां होती हैं कि ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. आज हम आपको सफेद दाग से जुड़े कुछ मिथ बताने जा रहे हैं जिनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है.
विटिलिगो का संबंध स्किन कैंसर से है?
यह एक मिथक है. विटिलिगो असल में एक ऑटो-इम्यून बीमारी है जिसमें स्किन में कलर लाने वाले मेलानिन को प्रोड्यूस करने वाले सेल्स के कमजोर या खत्म होने लगते हैं.
विटिलिगो केवल विजिबल एरिया को प्रभावित करता है?
नहीं, विटिलिगो अंडरआर्म्स, गुप्तांगों, हथेलियों, तलवों और मुंह पर भी हो सकता है. कुछ लोगों में ये सफेद धब्बे शरीर के एक हिस्से में दिखाई देते हैं. वहीं, कुछ मरीजों में ये धब्बे धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं.
विटिलिगो मिश्रित नस्ल के माता-पिता में देखा जाता है?
नहीं, ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन फैमिली हिस्ट्री होने पर यह ज्यादा देखा जाता है. यह भी संभव है कि एक या अधिक जींस किसी व्यक्ति को इसका शिकार बना सकते हैं.
विटिलिगो गलत फूड कॉम्बिनेशन की वजह से होता है?
नहीं, खाने का इस बीमारी ले कोई लेना देना नहीं है लेकिन फिर भी विटिलिगो से पीड़ित लोगों को फूड कलर वाले भोजन से बचने की सलाह दी जाती है. हां ये जरूर है कि मछली के साथ दूध पीने से पाचन से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है.
विटिलिगो संक्रामक होता है?
नहीं, विटिलिगो संक्रामक नहीं है. विटिलिगो से पीड़ित लोगों से दूर रहने की कोई जरूरत नहीं होती, वे बिल्कुल सामान्य हैं. विटिलिगो आमतौर पर दूसरे ऑटो-इम्यून बीमारियों जैसे हाइपोथायरायडिज्म, एलोपेसिया एरीटा वाले लोगों में भी देखा जाता है.
विटिलिगो किसे होगा और किसे नहीं ये पता किया जा सकता है?
नहीं, विटिलिगो की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. इसका निदान केवल वुड्स लैंप, बायोप्सी से ही किया जा सकता है. ये एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे आपके शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है.