केरल के कोझिकोड में वेस्ट नाइल बुखार की चपेट में 5 लोग आ चुके हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के मलप्पुरम, कोझिकोड और त्रिशूरतीन में अलर्ट जारी किया है. अगर सही समय पर बुखार का इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा हो सकता है. बता दें कि बच्चों समेत सभी संक्रमित व्यक्ति ठीक हो गए हैं और अपने घर चले गए हैं. उनके सैंपल को जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजा गया है. चलिए जानते हैं कि आखिर ये बीमारी है क्या और इसके क्या खतरे हैं.
क्या है वेस्ट नाइल बुखार ?
वेस्ट नाइल बुखार वेस्ट नाइल वायरस (WNV) के कारण होने वाली बीमारी है. जो संक्रमित मच्छरों के काटने से होती है. ये वायरस घातक न्यूरोलॉजिकल रोग का कारण बन सकता है. ऐसे में समय रहते इस बीमारी का इलाज बेहद जरूरी है. रिपोर्ट्स के अनुसार इस संक्रमण से कुछ मामलों में हमेशा के लिए न्यूरोलॉजिकल डैमेज भी हो सकता है.
वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण
वायरस से संक्रमित होने के बाद फ्लू जैसे बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, उल्टी और कभी-कभी स्किन पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण दिख सकते हैं. हालांकि अधिकांश लोगों में लक्षण नजर नहीं आते. स्थिति गंभीर होने के बाद सिरदर्द, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, बेहोशी, कंपकंपी, शरीर में ऐंठन और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है. इसके लक्षण 3 से 14 दिनों के बीच तक दिख सकते हैं.
जा चुकी है जान
केरल में पहला मामला 2011 में सामने आया था. वहीं 2019 में मालापुरम के एक 6 साल के लड़के की और 2022 में त्रिशूर के एक 47 साल के व्यक्ति की इस बीमारी से जान चली गई थी. ये वायरस ज्यादातर अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में पाया जाता है. सबसे पहला मामला 1937 में युगांडा में देखने को मिला था. WHO के अनुसार वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित 150 लोगों में से 1 में इसका गंभीर रूप देखने को मिल सकता है.
किसको ज्यादा खतरा और इससे कैसे बचें
वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन 50 साल से अधिक की उम्र वाले वैसे व्यक्ति जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है उन्हें ज्यादा खतरा है. बता दें कि वायरस के लिए अभी कोई टीका नहीं बना है लेकिन आप कुछ बातों का ख्याल रखकर इससे बच सकते हैं. सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. आसपास गंदगी जमा न होने दें.