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2050 तक 40 मिलियन जानें ले सकते हैं Superbugs, बन सकते हैं अगली महामारी, जानिए क्यों हैं जानलेवा और कैसे करें अपना बचाव

अगर डॉक्टर आपको किसी बीमारी में एंटीबायोटिक देता है तो एक बार उनसे जरूर पूछें कि क्या बिना एंटीबायोटिक के इलाज संभव है? अगर बिना एंटीबायोटिक से इलाज हो सकता है तो वही चुनें ताकि आप Superbugs से बच सकें.

What are superbugs (Repesentational Photo) What are superbugs (Repesentational Photo)
हाइलाइट्स
  • ग्लोबल लेवल पर 2019 में 1.27 मिलियन मौतें हुईं

  • 15 पैथोजन्स हैं Antimicrobial resistant

कोरोना महामारी पुरी दुनिया के लिए एक त्रासदी थी. इस महामारी ने दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ली. किसी तरह दुनिया ने कोरोना पर काबू पाया और अब एक और महामारी की चिंता सताने लगी है. दरअसल, लैंसेट की एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है, '2050 तक सुपरबग्स से लगभग 40 मिलियन मौतें होंगी.' इसका कारण है एंटीबायोटिक का गलत और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल, जिसकी वजह से बहुत से बैक्टीरिया, वायरस या फंग्स पर दवाइयों का कोई असर नहीं होता है.

क्या होते हैं सुपरबग्स 
सुपरबग्स ऐसे बैक्टीरिया, वायरस या फंग्स होते हैं जिनकी वजह से किसी भी तरह के इंफेक्शन को ट्रीट करना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है. ये ऐसे जर्म्स होते हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी (Antimicrobial Resistance/AMR) हो जाते हैं मतलब इन पर दवाइयों का कोई असर नहीं होता है. सुपरबग खतरनाक होते हैं क्योंकि इनके इलाज में बहुत ज्यादा समय लग सकता है और तब तक इंसान गंभीर रूप से बीमार हो सकता है. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब किसी पैथोजन (बैक्टीरिया, वायरस या फंगस) के इंफेक्शन को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक का ओवरयूज होता है तो सर्वाइव करने के लिए इस पैथोजन में म्यूटेशन होने लगती है और यह उस दवाई के प्रति रेसिस्टेंट हो जाता है. फिर एंटीबायोटिक दवाई का इस पैथोजन पर असर नहीं पड़ता है. 

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AMR (Representational Image)

हो चुकी हैं 1.27 मिलियन मौतें 
World Health Organization के मुताबिक, बैक्टीरियल AMR के कारण ग्लोबल लेवल पर 2019 में 1.27 मिलियन मौतें हुई थीं. AMR किसी भी तरह के इंफेक्शन के इलाज को मुश्किल बना सकता है. इसके कारण सर्जरी, सिजेरियन सेक्शन और कीमोथेरेपी जैसी मेडिकल प्रोसीजर और ट्रीटमेंट्स भी रिस्की हो सकते हैं. World Bank की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के मेडिकल चैलेंज हेल्थ सेक्टर पर होने वाले खर्चे को भी बढ़ाते हैं. 

WHO ने ऐसे 15 पैथोजन्स के बारे में बताया है जिनके ट्रीटमेंट के लिए नई दवाओं की जरूरत है क्योंकि ये पहले से मौजूद एंटीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधी हो चुके हैं. लेकिन नए एंटीबायोटिक दवाओं का विकास होने में लंबा समय लग सकता है. ऐसे में स्थिति और चिंताजनक होती जा रही है. कई स्टडीज का कहना है कि सुपरबग्स दुनिया में नई महामारी बन सकते हैं. 

किस कारण बढ़ रहे हैं सुपरबग्स 
मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक इस्तेमाल और दुरुपयोग के कारण सुपरबग्स में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी हुई है. ऐसा पशु पालन में अनुपयुक्त टीबायोटिक दवाओं के उपयोग, सेल्फ मेडिकेशन और गलत प्रिस्क्रिप्शन की वजह से हो सकता है. इसके जब आप बहुत ज्यादा गंदगी में रहते हैं तो भी आपको इस तरह के जर्म्स का इंफेक्शन हो सकता है. 

इस तरह, खाने को अगर स्वच्छता से पकाया या पैक न किया जाए तो भी बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं और इस खाने को खाने से इंफेक्शन होता है. इंफेक्शन होने पर अगर आप सही समय पर इसका इलाज न कराए तो यह बढ़ जाता है और शरीर में मौजूद पैथोजन खुद को मल्टीप्लाई कर लेता है. 

Don't misuse or overuse antibiotics (Representational Image)

सुपरबग्स से बढ़ेंगी परेशानियां 
1. इंफेक्शन वाली बीमारियां का इलाज होगा मुश्किल 
निमोनिया, टीबी, UTI जैसे कई इंफेक्शन का आज इलाज संभव है. लेकिन सुपरबग्स के कारण ये लाइलाज हो सकते हैं क्योंकि सुपरबग्स एंटीबायोटिक दवाओं से बच सकते हैं. सही ट्रीटमेंट के बिना इंफेक्शन फैलेगा जिससे और गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.  

2. सर्जरी के बाद इंफेक्शन
सर्जरी से बाद मरीज को इंफेक्शन से बचाना होता है. लेकिन सुपरबग्स के कारण एंटीबायोटिक शरीर में काम नहीं करेंगे और इससे सर्जरी के दौरान या उसके बाद संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. 

3. कीमोथेरेपी में परेशानी  
कीमोथेरेपी कैंसर के इलाज का जरूरी हिस्सा है. इसके कारण इम्यूनिटी पर असर पड़ता है. इससे कैंसर के रोगियों को इंफेक्शन का खतरा हो सकता है. अस्पतालों में सुपरबग कैंसर के इलाज को रिस्की और जानलेवा बना सकते हैं. 

4. पुरानी बीमारियों वाले मरीजों की मुश्किल बढ़ेगी 
डायबिटीज, किडनी की बीमारी, या फेफड़ों की बीमारी जैसी पुरानी बीमारियों वाले मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर होने की संभावना होती है जो उन्हें सुपरबग्स के प्रति संवेदनशील बनाती है. इससे उनके ट्रीटमेंट में गंभीर परेशानियां हो सकती हैं. 

आने वाले समय में सुपबग्स का आउटब्रेक बढ़ सकता है. ऐसे में, अस्पतालों में आन वाले मरीज, हेल्थकेयर वर्कर और यहां तक कि विजिटर्स भी इनके कैरियर हो सकते हैं और इनके संक्रमण को अपने परिवार या दोस्तों में फैला सकते हैं. 

Regularly wash your hands

सुपरबग्स से खुद को कैसे बचाएं:  

  • अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें. 
  • खाने को ठीक से हैंडल करें. कच्चे और पके खाने को अलग करें, खाने को अच्छी तरह पकाएं और साफ पानी का इस्तेमाल करें. 
  • बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें. 
  • डॉक्टर की सलाह पर जरूरी वैक्सिनेशन लें. 
  • एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर के निर्देशों के मुताबिक और सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही करें. 
  • बेहतर महसूस होने पर भी एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स पूरा करें.  
  • सेल्फ मेडिकेशन करने से बचें, खासकर एंटीबायोटिक दवाओं से. कभी-कभी डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स लेने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं.