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World Down Syndrome Day 2022: क्या होता है डाउन सिंड्रोम? इन लक्षणों से लगा सकते हैं इस बीमारी का पता

World Down Syndrome Day 2022 : डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome )से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों से अलग व्यवहार करते हैं. इन बच्चों का मानसिक और सामाजिक विकास दूसरे बच्चों की तुलना में देरी से होता है.

वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2022 वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2022
हाइलाइट्स
  • हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे

  • बच्चों के मानसिक विकास पर पड़ता है डाउन सिंड्रोम का असर

आज यानी 21 मार्च को  वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे (World Down Syndrome Day 2022)मनाया जाता है. इसे साल 2012 से ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक तौर पर मनाया जा रहा है. हालांकि, डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक कंडीशन (Genetic Condition)है, जिसके बारे में ब्रिटिश डॉक्टर जॉन लैंगडन हेडन डाउन ने साल 1862 में पता लगाया था. 

डाउन सिंड्रोम में एक व्यक्ति एक एक्स्ट्रा क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है, जो शिशु में शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का कारण बन सकता है. डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा आमतौर पर बाकी की तुलना में छोटा होता है, चपटा चेहरा, पतली गर्दन, उभरी हुई जीभ आदि. 

हजारों बच्चे डाउन सिंड्रोम का शिकार

वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे हर साल 21 मार्च को जेनेटिक स्थिति के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. डाउन सिंड्रोम की अनुमानित घटना दुनिया भर में 1,000 में से 1 से 1,100 जीवित जन्मों के बीच है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हर साल लगभग 3,000 से 5,000 बच्चे इस क्रोमोसोम डिसऑर्डर के साथ पैदा होते हैं. 

डाउन सिंड्रोम क्या है

डाउन सिंड्रोम जिसे ट्राइसोमी 21 के नाम से भी जाना जाता है, एक आनुवांशिक विकार है जो क्रोमोसोम 21 की तीसरी प्रतिलिपि के सभी या किसी भी हिस्से की उपस्थिति के कारण होता है. यह एक जेनेटिक डिसॉर्डर  भी है. यह बच्चे के शारीरिक विकास में देरी, चेहरे की विशेषताओं में फर्क और बौद्धिक विकास में देरी का कारण बनता है.

डाउन सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों से अलग व्यवहार करते हैं. इन बच्चों का मानसिक और सामाजिक विकास दूसरे बच्चों की तुलना में देरी से होता है. ऐसे बच्चे बिना सोचे-समझे गलत फैसले ले लेते हैं. कॉन्सनट्रेशन की कमी होने के कारण डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में सीखने की क्षमता भी बाकी लोगों से कम होती है.

बच्चे की सही केयर है इसका इलाज

इलाज की बात की जाए तो स्क्रीनिंग टेस्ट से पता चल जाता है कि गर्भवती महिला डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चे को जन्म दे रही है. इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान की ध्यान रखा जाना चाहिए. जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे का इलाज शुरू हो जाना चाहिए. 

यह सिंड्रोम एक लाइफटाइम कंडीशन है, जिसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन स्थिति की गंभीरता के आधार पर समय के साथ कंट्रोल में किया जा सकता है. इसके लिए माता-पिता को अपने बच्चे का खास ख्याल रखना चाहिए. व्यायाम और खेल के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.     

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