भारत में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की दस्तक और लगातार बढ़ रहे केस हर किसी के लिए चिंता का विषय हैं. बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन वेरिएंट तीन गुना ज्यादा तेजी से फैलता है. इस पर अभी रिसर्च जारी है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए वेरिएंट से होने वाली मौतों की संख्या या अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम रहने की आशंका है.
जब हम बात करते हैं कि हम कोराना वायरस या उसके नए वेरिएंट से कितने सुरक्षित हैं तो इस पर हमें दो चीजें सुनने को मिलती हैं जोकि इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं. ये दो नई चीजें हैं हाइब्रिड इम्युनिटी या सुपर इम्युनिटी
क्या है सुपर इम्युनिटी?
सुपर इम्युनिटी' का अर्थ है एक व्यक्ति जिसे टीकाकरण के बाद इंफेक्शन हुआ हो लेकिन प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से प्राप्त प्रतिरक्षा और टीकाकरण के माध्यम से प्राप्त प्रतिरक्षा की वजह से उसे सुरक्षा मिली हो. यानी कि Sars-CoV-2 वायरस से संक्रमित व्यक्ति को टीका लगवाने के बाद "सुपर इम्युनिटी" प्राप्त हो जाती है जोकि कोरोना वायरस से लड़ने के खिलाफ काम आ सकती है.
अध्ययन में क्या पाया गया?
दुनिया भर के वैज्ञानिक इस पर अभी शोध कर रहे हैं. भारत में covid19 प्रतिरक्षा पर एक अध्ययन से पता चला है कि जहां अगस्त 2021 से पहले 12 महीनों में covid-19 से संक्रमित लोगों को वैक्सीन की 1 खुराक मिली थी, उनके ठीक होने के बाद उनमें अन्य लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी और मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मिली. वहीं जो संक्रमित थे और जिन्हें कोई टीका नहीं मिला था या जिन्हें पहले कोई संक्रमण नहीं था, लेकिन उन्हें या तो उनकी पहली या दोनों खुराक मिल चुकी थीं उनमें प्रतिरक्षा क्षमता कम थी.
दूसरी लहर के दौरान हुआ टीकाकरण दिलाएगा फायद?
ऐसे लोगों से लिए गए खून और सीरम के नमूनों ने प्रतिरक्षा को नष्ट करने वाले बीटा और डेल्टा वेरिएंट से बचाने में भी काफी मदद की उन लोगों के मुकाबले,जिन्हें "हाइब्रिड इम्यून" नहीं माना जाता था. भारतीय संदर्भ में ये अध्ययन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत हाइब्रिड प्रतिरक्षा के शिखर पर हो सकता है. ICMR द्वारा किए गए सीरो सर्वेक्षणों में दूसरी लहर में हमारी आबादी की बड़ी मात्रा में एंटीबॉडी दिखाई गई. भारत में टीकाकरण की रफ्तार उस दौरान काफी ज्यादा थी जिस समय अधिक से अधिक लोग डेल्टा वेरिएंट से प्रभावित हो चुके थे.
कब तक रहेगा असर?
अब सवाल ये उठता है कि नार्मल वैक्सीन प्राप्त लोगों के मुकाबले हाईब्रिड इम्यूनिटी डेवलेप कर चुके लोगों में ये कितने समय के लिए काम करती है. कोविड विशेषज्ञ डॉ. समीर कुमार का कहना है कि नेचुरल इंफेक्शन के द्वारा बनने वाली इम्युनिटी 90 दिन तक प्रभावी रहती है लेकिन कई बार यह इम्युनिटी छह माह या एक साल तक बनी रहती है. अगर इस दौरान वैक्सीन भी लग जाए तो इम्यूनिटी काफी लंबे समय तक शरीर में बनी रह सकती है.
किसी भी मामले में सुपर या हाइब्रिड प्रतिरक्षा केवल तभी काम कर सकती है जब लोगों को टीका लगाया जा चुका हो और उन्हें इंफेक्शन हो जाए. भारत में 3.4 मिलियन से अधिक भारतीय कोविड -19 से संक्रमित हो चुके हैं, वहां हमेशा स्वाभाविक रूप से प्राप्त प्रतिरक्षा का जोखिम होता है जिससे गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा हो सकता है. भारत में केवल 39.9 प्रतिशत आबादी को अब तक टीके की दो खुराकें मिली हैं.