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क्या है ADHD बीमारी, जिससे पीड़ित हैं फिल्म 'बार्बी' की डायरेक्टर ग्रेटा गेरविग, जानिए कैसे कर सकते हैं बचाव

ग्रेटा गेरविग एक अमेरिकी एक्ट्रेस, स्टोरी राइटर और डायरेक्टर हैं और हाल ही में उन्होंने Attention Deficit Hyperactivity Disorder (ADHD) से डायग्नोज होने का खुलासा किया है.

Greta Gerwig Greta Gerwig

बहुप्रतीक्षित फिल्म बार्बी की निर्देशक ग्रेटा गेरविग को अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) का पता चला है. गार्जियन के साथ एक नए साक्षात्कार में गेरविग ने इस बारे में खुलासा किया - जिससे इंपल्सिव व्यवहार और कंसंट्रेट करने में परेशानी हो सकती है. उन्होंने खुलासा किया कि बचपन में वह हमेशा हाइपरक्टिव रहती थीं लेकिन उन्हें बड़े होने पर इस बीमारी का पता चला. 

क्या है ADHD
सायक्लॉजिस्ट के मुताबिक, एडीएचडी एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है जो आम तौर पर बचपन में शुरू होता है और बड़े होने तक रह सकता है. एडीएचडी वाले व्यक्ति अक्सर अटेंशन, इंपल्सिविटी और हाइपरएक्टिविटी से डील करते हैं और इससे उनकी दैनिक जिंदगी और बाकी रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं. 

इस स्थिति के पीछे के कारणों को समझाते हुए, मनोवैज्ञानिक ने कहा कि शोध से पता चलता है कि एडीएचडी वाले लोगों के दिमाग के स्ट्रक्चर और फंक्शनिंग में अंतर हो सकता है, खासकर कंसंट्रेशन और इंपल्स कंट्रोल के मामलों में. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कुछ जेनेटिक फैक्टर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि एडीएचडी परिवारों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पास होता है. जैसे गेरविग के बड़े बेटे को एडीएचडी है. 

किस कारण होता है 
माना जाता है कि डोपामाइन रेगुलेशन और न्यूरोट्रांसमीटर फंक्शनिंग से संबंधित कुछ जीन एडीएचडी के विकास में योगदान करते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म से पहले टॉक्सिन्स के संपर्क में आना, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और बचपन की प्रतिकूलता जैसे पर्यावरणीय कारक भी एडीएचडी विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.
 
एडीएचडी का इलाज मल्टीमॉडल एप्रोच का इस्तेमाल करके प्रभावी ढंग से किया जा सकता है. हालांकि, एडीएचडी को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कुछ स्ट्रेटजी हैं जो रिस्क को कम करने या लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती हैं. 

ऐसे करें बचाव

  • सही रूटीन्स और स्पष्ट अपेक्षाओं के साथ बच्चों के लिए एक सपोर्टिव और स्ट्रक्चर्ड वातावरण बनाना, स्वस्थ विकास को बढ़ावा दे सकता है.
  • नियमित फिजिकल एक्टिविटी को प्रोत्साहित करके उनकी ऊर्जा को एक अलग आउटलेट देना फयदेमंद साबित होगा. 
  • गर्भावस्था और प्रारंभिक बचपन के दौरान पर्यावरणी में मौजूद टॉक्सिन्स के संपर्क में कम से कम आना.
  • स्वस्थ नींद की आदतों को बढ़ावा देना, पौष्टिक खाना और स्क्रीन समय को कम करना भी स्वस्थ जिंदगी जीने में मदद कर सकता है. 
  • माता-पिता और बच्चे के सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा देना, ओपन कम्यूनिकेशन और इमोशनल कनेक्ट बच्चे के स्वस्थ विकास में योगदान दे सकता है.