पेरू ने देश में हेल्थ इमरजेंसी लगा दी है. इसका कारण है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome). इसे देखते हुए ही ये हेल्थ इमरजेंसी लगाई गई है. 2019 में भी ऐसी ही इमरजेंसी लगाई गई थी. बता दें, GBS एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और और एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है. इससे इम्यून सिस्टम बीमार सेल की जगह पर हेल्दी सेल्स पर अटैक करने लग जाता है.
90 दिनों की हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा
पेरू के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) पर 90 दिनों के लिए हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की है. मंत्रालय ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, "गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामलों में असामान्य बढ़ोतरी हुई है, इसी कारण से सरकार ने हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की गई है." न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जीबीएस से चार मौतों और 180 से अधिक मामलों के बाद इमरजेंसी लगाई गई है.
स्वास्थ्य मंत्री सेसर वास्क्वेज के हवाले से कहा गया, "हाल के हफ्तों में इसके मामले बढ़े हैं, जिसकी वजह से हम लोगों के स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा के लिए एक राज्य के रूप में कार्रवाई करने के लिए मजबूर हैं. एएफपी के मुताबिक, पेरू के सभी 25 क्षेत्रों में इमरजेंसी लागू है.
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम क्या है?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और एक ऑटोइम्यून बीमारी है. दूसरी ऑटोइम्यून बीमारियों की तरह, जब किसी मरीज को जीबीएस होता है, तो उनका इम्युनिटी सिस्टम बीमार सेल्स के बजाय उनकी स्वस्थ सेल्स पर हमला करना शुरू कर देती है. ये पेरीफेरल नर्व्स के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है. ज्यादातर ये हमारे ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के बाहर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है.
सेंसेशन नहीं पहुंच पाती है
मेडिकल न्यूज टुडे (एमएनटी) के मुताबिक, इसका नुकसान ये होता जीबीएस में नर्व्स को को कुछ जानकारी हमारे ब्रेन और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचने से रोक देती हैं. इससे सुन्नता की भावना पैदा होती है. इसके अलावा, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी अब सेंसेशन को शरीर तक वापस नहीं भेज सकती है, जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. हालांकि, ये बीमारी संक्रामक नहीं होती है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकती है.
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण और कारण
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के शुरुआती लक्षण आमतौर पर पैरों और हाथों में झुनझुनी और कमजोरी या पैरों या पीठ में दर्द होते हैं. ये लक्षण आमतौर पर संक्रमण के तीन सप्ताह बाद शुरू होते हैं. अगर ये बीमारी और भी बढ़ जाती है तो अलग-अलग लक्षण विकसित हो सकते हैं-
-शरीर के दोनों तरफ कमजोरी
-सांस लेने में दिक्कत
-भुजाओं में मांसपेशियों की कमजोरी
-पूरे शरीर में कोर्डिनेशन की परेशानी
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का ट्रीटमेंट मुश्किल है, खासकर शुरुआती चरण में, क्योंकि इसके लक्षण दूसरी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के साथ ओवरलैप होते हैं.