देश में मलेरिया के बाद दूसरी सबसे घातक परजीवी बीमारी Kala Azar यानी कालाजार या काला बुखार को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत ने 2023 में सभी ब्लॉकों में प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से कम मामले दर्ज करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले साल देशभर में काला बुखार के 595 मामले और चार मौतें दर्ज की गईं, जबकि 2022 में 891 मामले और तीन मौतें हुईं.
केंद्र सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को इस डेटा से अवगत करा दिया है. हालांकि यह सिर्फ पहला कदम है - भारत को WHO सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए अगले तीन सालों तक इस गति को बनाए रखना होगा. यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि है क्योकि भारत इससे पहले चार समय सीमा से चूक गया था. काला बुखार उन्मूलन के लिए भारत का प्रारंभिक लक्ष्य वर्ष 2010 था, जिसे बाद में 2015, 2017 और फिर 2020 तक बढ़ा दिया गया था.
क्या है Kala Azar
कालाजार (या Visceral leishmaniasis) का मुख्य कारण हैं सैंडफ्लाई जो इस परजीवी संक्रमण का कारण बनती हैं. यह बीमारी लीशमैनिया जीनस के प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होती है. भारत में इस रोग का कारण बनने वाला एकमात्र परजीवी लीशमैनिया डोनोवानी है. परजीवी मुख्य रूप से रेटिकुलोएंडोथेलियल सिस्टम को संक्रमित करता है और बॉन मैरो, लिवर और स्पलीन में भी प्रचुर मात्रा में पाया जा सकता है.
जब लीशमैनिया डोनोवानी स्किन की सेल्स पर आक्रमण करती है, और इससे स्किन काली पड़ती है और सूखकर पपड़ी की तरह उतरने लगत है तो इस पोस्ट काला-अज़ार डर्मल लीशमैनियासिस (PKDL) के रूप में जाना जाता है। कालाजार के कुछ मामले कुछ वर्षों के उपचार के बाद पीकेडीएल दिखता है.
कालाजार के लक्षण
इस ट्रीटमेंट के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी है. आपको बता दें कि अक्टूबर 2023 में, बांग्लादेश सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में काला बुखार को खत्म करने के लिए WHO द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्य होने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. उम्मीद है जल्द ही भारत भी इस लिस्ट में शामिल होगा.