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Leptospirosis Disease: क्या है लेप्टोस्पायरोसिस? जानें मानसून में बढ़ रहे बैक्टीरियल इन्फेक्शन के बारे में

Leptospirosis Disease: अगर इसके लक्षण पहचान में नहीं आते हैं और इसका इलाज नहीं किया गया, तो बीमारी और भी गंभीर हो सकती है. इससे लिवर और किडनी फेलियर भी हो सकती है. 

Leptospirosis Disease Leptospirosis Disease
हाइलाइट्स
  • लेप्टोस्पायरोसिस से कई लक्षण हैं

  • मानसून में बढ़ रहा बैक्टीरियल इन्फेक्शन

मानसून में कई सारी बीमारियां बढ़ती रहती हैं. इन्हीं में से एक है लेप्टोस्पायरोसिस. यह एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है. मानसून का मौसम साल का सबसे खतरनाक समय होता है, क्योंकि इस समय बैक्टीरिया, वायरल और फंगल इंफेक्शन बड़े पैमाने पर फैलते हैं. लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया गंदे बाढ़ के पानी के संपर्क में आने से घाव के माध्यम से या सांस से शरीर में फैलता है. लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण अक्सर दो सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं. हालांकि, कभी-कभी उन्हें एक महीने तक का समय लग सकता है या कभी भी दिखते नहीं हैं.

क्या हैं लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण?

इसके लक्षण तेज बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द के साथ शुरू होते हैं. अगर पहचान में नहीं आते हैं और इसका इलाज नहीं किया गया, तो बीमारी और भी गंभीर हो सकती है. इससे लिवर और किडनी फेलियर, मेनिनजाइटिस हो सकता है और यहां तक ​​​​कि घातक भी साबित हो सकता है. 

लेप्टोस्पायरोसिस से किसे ज्यादा खतरा है?

 आमतौर पर, खराब डिजाइन वाली ड्रेनेज सिस्टम वाले शहरी क्षेत्रों में बाढ़ आने का खतरा होता है और इन क्षेत्रों के लोग ज्यादा सेंसिटिव हैं. सुरक्षा के लिए सही उपाय और उपकरणों के बिना, जो लोग खेती, मछली पकड़ने और रुके हुए पानी की सफाई जैसी बाहरी गतिविधियों में मिले होते हैं, उनमें इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है. परिणामस्वरूप, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे भारी मानसून वाले क्षेत्रों में हर साल लेप्टोस्पायरोसिस इंफेक्शन का खतरा होता है. लेप्टोस्पायरोसिस से गुर्दे की बीमारी हो सकती है. इतना ही नहीं इससे परिवार के लोगों पर भी असर पड़ सकता है. 

कैसे कर सकते हैं इससे बचाव? 

इसे रोकने के लिए उपचार संभव है. लेप्टोस्पायरोसिस के खतरों को समझने के लिए समाज में जागरूकता की जरूरत है. 

-बाढ़ वाले इलाकों से न गुजरें. अगर किसी को बाढ़ के पानी से गुजरना है, तो सुनिश्चित करें कि आपने ऊंचे गमबूट पहने हैं जो पानी के लेवल से ऊपर रहें.

-गंदे वातावरण के संपर्क से बचने के लिए रेनकोट और दस्ताने का उपयोग करें.

-अगर आप मिट्टी या गंदे पानी में जाते हैं तो बाद में आकर अच्छी तरह हाथ धोएं.

-कूड़ा-कचरा न फैलाएं. अच्छे तरीके से पानी का डिस्पोजल जरूरी है. ड्रेनेज सिस्टम को देखते रहें कि वह ब्लॉक न हो. 

-अगर दो दिनों से ज्यादा समय तक बुखार है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. 

-जागरूकता बढ़ाएं, स्वच्छता बनाए रखें और स्वच्छ जगह रहें.