दुनिया में लाखों महिलाएं रात में नींद खुल जाने की बीमारी का सामना कर रही हैं. हाल ही में हुई स्टडी में सामने आया है कि ज्यादातर महिलाओं की आंख सुबह 3:29 बजे खुद ही खुल जाती है. ये सामान्य तौर पर सुबह 7 बजे के अलार्म बजने से चार घंटे पहले का समय है. इसका कारण मेनोपॉज (menopause) बताया जा रहा है. मेनोपॉज का सामने कर रहीं लाखों महिलाओं में हार्मोनल बदलावों के कारण नींद न आने की समस्या देखी जा रही है. इसे मेडिकल की भाषा में मेनोपॉजल इंसोम्निया (Menopausal Insomnia) कहा जाता है.
हजारों महिलाओं पर की गई रिसर्च
दरअसल, कुदरती रूप से जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र या पीरियड्स साइकिल पूरी तरह रुक जाता है, उस स्थिति को मेनोपॉज कहा जाता है. महिलाओं को इस दौरान कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसी को समझने के लिए स्टडी में 2,005 महिलाओं पर स्टडी की गई. डनलम द्वारा की गई इस स्टडी में शामिल 69% महिलाओं ने बताया कि उन्हें रात में सोने में परेशानी होती है.
रात को खुल जाती है 3 बजे नींद
स्टडी में शामिल डेम केली ने इस परेशानी को लेकर अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, "सुबह 3 बजे उठना मेरे लिए एक नियमित घटना बन गई है. शुरुआत में, मुझे यकीन नहीं था कि यह मेरी मां की मृत्यु से जुड़ा हुआ है या पेरिमेनोपॉज से. लेकिन अब मुझे विश्वास है कि वे जुड़े हुए थे. ये दोनों चीजें मुझे स्ट्रेस दे रही थीं, और सुबह 3 बजे जागना मेरे पहले से ही तनाव को और बढ़ा रहा था क्योंकि मैं हर दिन बहुत थक जाती थी.”
इस विषय के एक्सपर्ट डॉ. क्लेयर स्पेंसर ने बताया कि मेनोपॉजल इंसोम्निया का अनुभव करने वाली महिलाओं के लिए सोना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. उनसे इसके कारण कई बार रात में उठना पड़ सकता है. या दिन भर जो वे काम करती हैं उनमें भी उन्हें परेशानी महसूस हो सकती है. कई बार इससे निपटना काफी चुनौती भरा हो सकता है.
क्या है इसके पीछे का कारण?
मेनोपॉजल इंसोम्निया में शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों परेशानी हो सकती हैं. शारीरिक लक्षणों में जोड़ों का दर्द, गर्मी लगना, रात में पसीना आना और बार-बार शौचालय जाने की आवश्यकता शामिल है. वहीं, मनोवैज्ञानिक लेवल पर, हार्मोन में बदलाव से तनाव और चिंता बढ़ सकती है, मूड खराब हो सकता है और डिप्रेशन हो सकता है, ये सभी नींद के पैटर्न को खराब कर सकते हैं.
कैसे करें इससे बचाव?
हालांकि, इससे बचाव के लिए आप कई उपाय कर सकते हैं. जैसे अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसे बंद या कम कर दें. कैफीन का सेवन कम कर दें, शारीरिक गतिविधि बढ़ा दें, सोने से पहले ज्यादा खाने से बचें और धूम्रपान छोड़ दें. इसके अलावा, अपने स्ट्रेस को मैनेज करना सीखें, समय पर सोएं या फिर आप हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लिए भी एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं.