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जोर-जोर से खाने...सुड़-सुड़ करके कॉफी पीने जैसी आवाज को सुनकर होती है बेचैनी! मिसोफोनिया हो सकता है कारण

मिसोफोनिया का संबंध केवल मानसिक परेशानी से नहीं, बल्कि इसके पीछे आनुवांशिक (genetics) कारण भी हो सकते हैं. मिसोफोनिया से पीड़ित लोगों में चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) के लक्षण आमतौर पर ज्यादा पाए जाते हैं.

(Photo: Getty Images) (Photo: Getty Images)
हाइलाइट्स
  • मिसोफोनिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर

  • मिसोफोनिया की वजह से बढ़ जाता है डिप्रेशन

क्या कभी आपको किसी के जोर से चबाने, सांस लेने या पेन क्लिक करने की आवाज से अचानक गुस्सा या बेचैनी महसूस हुई है? अगर हां, तो यह मिसोफोनिया हो सकता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कुछ आवाजों से लोग बेहद परेशान हो जाते हैं. आमतौर पर ये आवाजें साधारण होती हैं, लेकिन मिसोफोनिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए ये आवाजें असहनीय हो जाती हैं. यह स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि लोगों को रोजमर्रा के कामों या सामाजिक मेलजोल से दूरी बनानी पड़ सकती है.

हाल ही में हुई एक स्टडी ने यह दावा किया है कि मिसोफोनिया का संबंध केवल मानसिक परेशानी से नहीं, बल्कि इसके पीछे आनुवांशिक (genetics) कारण भी हो सकते हैं. मिसोफोनिया से पीड़ित लोगों में चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) के लक्षण आमतौर पर ज्यादा पाए जाते हैं.

मिसोफोनिया क्या है? 
मिसोफोनिया का मतलब है किसी खास आवाज से नफरत होना. यह कोई आम चिढ़ या हल्का-फुल्का गुस्सा नहीं, बल्कि  एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति रोजमर्रा की छोटी-छोटी आवाजों से भी असहज हो जाता है. जैसे जोर जोर से खाने की आवाज, सांस लेने की आवाज, पैर हिलाने की आवाज. जोर-जोर से पानी पीने की आवाज से चिढ. यह चिढ़ इतनी गहरी होती है कि इसकी वजह से कई लोगों को घबराहट भी होने लगती है. मिसोफोनिया से पीड़ित लोग अक्सर इन आवाजों से बचने के लिए पब्लिक प्लेस पर जाना बंद कर देते हैं, जिसका गहरा असर उनके पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर पड़ सकता है.

Misophonia
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नई स्टडी क्या बताती है?
यूरोप एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी की साइकोलॉजिस्ट डर्क स्मिट और उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार मिसोफोनिया केवल एक मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम नहीं है, बल्कि इसका संबंध जैनेटिक कारणों से भी हो सकता है. साथ ही मिसोफोनिया से पीड़ित लोगों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी कंडीशन का जोखिम ज्यादा होता है. इसका मतलब यह है कि अगर परिवार में किसी व्यक्ति को मिसोफोनिया या इससे संबंधित मानसिक समस्याएं हैं तो दूसरे सदस्यों में भी इस समस्या के विकसित होने की संभावना हो सकती है.

जीन और मिसोफोनिया का संबंध
स्टडी के अनुसार, मिसोफोनिया के साथ-साथ Anxiety और Depression के लक्षण भी जेनेटिक हो सकते हैं. जीन इस स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, अध्ययन में पता चला है कि कुछ खास जीन मिसोफोनिया से जुड़े हो सकते हैं. 

मिसोफोनिया और मेंटल हेल्थ
मिसोफोनिया का मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इस स्थिति के कारण व्यक्ति को अधिक तनाव और घबराहट महसूस हो सकती है. जब व्यक्ति को ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं, जिनसे वह चिढ़ता हो तो उसका दिमाग उस आवाज को खतरा मानने लगता है. जिसे तनाव का स्तर बढ़ने के साथ उसके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. 

1. चिंता (Anxiety): ऐसे लोगों में अक्सर अत्यधिक चिंता देखने को मिलती है.  यह चिंता तब और बढ़ जाती है, जब उन्हें ऐसी आवाजों से बचने का कोई जरिया नहीं मिलता. इससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है.

2. अवसाद (Depression):  ऐसे व्यक्ति जिन्हें बार-बार ऐसी आवाजों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी  दिमागी हालत कमजोर हो जाती है और धीरे-धीरे यह स्थिति डिप्रेशन में बदल जाती है.

मिसोफोनिया से कैसे बचें
मिसोफोनिया के लिए कोई स्थायी इलाज अभी तक खोजा नहीं गया है, लेकिन कुछ तकनीकें और थेरेपी इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं. यह उपचार मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और ऐसी आवाजों के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity) को कम करने में मदद करती हैं.

1. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT): इस थेरेपी का उपयोग व्यक्ति को आवाजों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को बदलने में मदद करने के लिए किया जाता है.

2. ध्वनि थेरेपी: इसमें व्यक्ति को धीरे-धीरे उन ध्वनियों के प्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास किया जाता है, जिनसे उन्हें चिढ़न होती है.

3. रिलैक्सेशन तकनीकें: तनाव कम करने के लिए ध्यान और श्वास की तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है.

4. डॉक्टर से संपर्क: डिप्रेशन और एंग्जाइटी को कंट्रोल करने के लिए मनोचिकित्सक की सहायता लेना फायदेमंद हो सकता है.

(यह स्टोरी निहारिका ने लिखी है. निहारिका Gnttv.com में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.)