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क्या है महिलाओं की हड्डियों को खोखला करना वाली Postmenopausal Osteoporosis बीमारी, AIIMS ने खोजा इलाज, जल्द शुरू होगा ह्यूमन ट्रायल

मेनोपॉज के दौरान महिलाएं कई तरह की परेशानियों से जूझती हैं जैसे कि स्ट्रेस, एंग्जायटी आदि और मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है, जिसे पोस्ट-मेनोपॉज़ल ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है.

Postmenopausal Osteoporosis Postmenopausal Osteoporosis

हम सब जानते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस में शरीर की हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती हैं जिससे हल्के सी चोट भी आपके लिए फ्रैक्चर का कारण बन सकती है. खासकर महिलाओं में मेनोपॉज़ के बाद ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है. मेनोपॉज़ के दौरान या बाद में महिलाओं को होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी को ही पोस्ट-मेनोपॉज़ल ऑस्टियोपोरोसिस (पीएमओ) कहते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब महिलाओं को पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं तो इसे मेनोपॉज़ कहते हैं. मेनोपॉज़ के कारण शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स के लेवल कम हो जाते हैं. ये हार्मोन हड्डियों की सेहत को प्रभावित करते हैं. 

हड्डियों के कमजोर होने से इनकी डेन्सिटी यानी घनत्व कम होने लगता है और इस कंडीशन को कहते हैं ऑस्टियोपोरोसिस. इस कंडीशन में हड्डियों के टूटने का खतरा रहता है. मेनोपॉज़ के बाद खासतौर पर एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हार्मोन मेटाबॉलिज्म पर असर डालती है जिसकी वजह से कुछ खास बोन सेल्स यानी हड्डी की कोशिकाएं जैसे ऑस्टियोक्लास्ट्स, ऑस्टियोब्लास्ट्स और ऑस्टियोसाइट्स प्रभावित होती हैं. 

क्या हैं इसके लक्षण
ऑस्टियोपोरोसिस की शुरुआत में लोगों को अक्सर समझ नहीं आता है कि उन्हें ऐसी किसी बीमारी की शुरुआत हो चुकी है. जब तक किसी की कोई हड्डी न टूटे और वे डॉक्टर के पास न पहुंचें, तब तक बहुत बार ऑस्टियोपोरोसिस का डायग्नोज़ होना मुश्किल होता है. 

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आमतौर पर, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण ज्यादातर फ्रैक्चर कूल्हे, मेरुदंड या कलाई मे होते हैं. कई बार बाजू या पेल्विस की हड्डियां भी टूट जाती हैं. ऑस्टियोपोरोसिस में खांसी या छींक जैसी मामूली चीज़ भी कभी-कभी फ्रैक्चर का कारण बन सकती है. 

टूटी हड्डियों के अलावा, अन्य लक्षण भी हो सकते हैं. इनमें शामिल हैं:

  • अचानक बुखार वाली गर्मी महसूस करना
  • वैजाइना में ड्राइनेस
  • पीरियड्स में बदलाव
  • सिर दर्द
  • रात को पसीना आना
  • सेक्स ड्राइव में कमी
  • जॉइंट्स में स्टिफनेस 
  • मूड में बदलाव
  • चिंता
  • दिल की धड़कन का बढ़ना 

क्या हैं ऑस्टियोपोरोसिस होने के कारण 
मेनोपॉज़ से हड्डियों का नुकसान ज्यादा होने लगता है, जिससे व्यक्ति में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. हड्डियों में प्रोटीन और मिनरल्स का एक नेटवर्क होता है जो उन्हें ताकत देता है. इनमें ऑस्टियोसाइट्स जैसी अलग-अलग कोशिकाएं भी होती हैं, जो इस नेटवर्क को बनाए रखने में मदद करती हैं.

लेकिन एस्ट्रोजन हार्मोन हड्डी की संरचना को प्रभावित कर सकता है, इसलिए मेनोपॉज में इसका स्तर घटने से हड्डियों पर असर पड़ता है. मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्टियोसाइट्स नामक सेल्स SEMA3A नामक एक प्रोटीन बनाते हैं जो हड्डी मैट्रिक्स को बनाए रखता है. उनका मानना ​​है कि जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है और उनके एस्ट्रोजन और SEMA3A का स्तर गिरता है, ऑस्टियोसाइट्स मरने लगते हैं, जिससे हड्डियों की संरचना पर फर्क पड़ता है. 

ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने के लिए एक बोन डेन्सिटी स्कैन किया जाता है, जिसे DEXA स्कैन कहा जाता है. यह काफी सरल स्कैन होता है जिसमें लगभग 10-20 मिनट लगते हैं. इस टेस्ट के आधार पर पता चलता है कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस है या नहीं. 

AIIMS के डॉक्टर्स ने खोजा इलाज 
दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर्स की एक टीम पिछले काफी समय से पोस्ट-मेनोपॉज़ल ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज ढूंढ़ने में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि उनके ट्रीटमेंट का चुहों पर क्लिकनिकल ट्रायल सफल रहा है. अब इसकी मानव ट्रायल होगा. टीम का कहना है कि मानव पर ट्रायल करने के बाद मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से बचाव किया जा सकेगा. इसके साथ ही, एम्स पहला संस्थान बन गया है जिसने इम्यूनोथैरेपी के जरिए पोस्ट-मेनोपॉज़ल ऑस्टियोपोरोसिस को कंट्रोल करने में कामयाबी हासिल की है.