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Silent Treatment: साइलेंट ट्रीटमेंट क्या है? वर्कप्लेस हैरेसमेंट का चौथा सबसे आम तरीका है बातचीत बंद कर देना, ऐसे कर सकते हैं हैंडल

साइलेंट ट्रीटमेंट इमोशनल अब्यूज का भी हिस्सा हो सकता है. जब इसे पावर प्ले के रूप में लगातार इस्तेमाल किया जाने लगे तो ये आपको बुरा फील करा सकता है. इससे आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है. 

Silent Treatment/ unsplash.com Silent Treatment/ unsplash.com
हाइलाइट्स
  • ये संकेत बताते हैं कि साइलेंट ट्रीटमेंट तोड़ रहा अपनी मर्यादाएं.

  • साइलेंट ट्रीटमेंट इमोशनल अब्यूज का भी हिस्सा हो सकता है.

क्या आपने कभी खुद को ऐसी स्थिति में पाया है जहां आप सामने वाले से बात करने में एकदम असमर्थ हों. ये स्थिति पार्टनर, दोस्त यहां तक कि दफ्तर में बॉस के साथ भी हो सकती है. ये एक तरीके का रिएक्शन हो सकता है जब हमें सामने वाले की बात इतनी बुरी लग जाती है कि हम चुप रहने का फैसला कर बैठते हैं. फिर चाहे आपसे बात करने की कितनी भी कोशिश क्यों न की जाए...मौन टूटता नहीं है. हालांकि कई मामलों में ये क्षणिक होता है लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनकी वजह से रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है. ये चुप्पी सामने वाले को चुभने लगती है. इसे ही साइलेंट ट्रीटमेंट कहा जाता है.

साइलेंट ट्रीटमेंट इमोशनल अब्यूज का भी हिस्सा हो सकता है. जब इसे पावर प्ले के रूप में लगातार इस्तेमाल किया जाने लगे तो ये आपको बुरा फील करा सकता है. इससे आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है. ‘साइलेंट ट्रीटमेंट’ में आप सामने वाले को इस हद तक इग्नोर करते हैं कि उसको इस बात का अहसास हो कि आपकी जिंदगी में उसकी कोई वैल्यू नहीं है. 

जब इसे हथियार बनाने लगें लोग
कई बार चुप रहना ऐसे कई मसलों में पड़ने से बेहतर होता है जिसकी वजह से बाद में पछताना पड़े. लेकिन कुछ लोग साइलेंट ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किसी पर अधिकार जताने या भावनात्मक दूरी पैदा करने के हथियार के रूप में करते हैं. इसमें अचानक से किसी बात पर नाराज होकर एक पार्टनर चुप हो जाता है.

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रिसर्च से पता चलता है कि बार-बार बहिष्कृत महसूस करने से आपका आत्म-सम्मान और अपनेपन की भावना कम हो सकती है. इससे आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आप कंट्रोल से बाहर हैं. यह तब और ज्यादा दुखदायी होता है जब साइलेंट ट्रीटमेंट किसी करीबी के जरिए दिया जाए. किसी बात के बदले में प्रतिक्रिया न देकर चुप्पी साध लेना एक अपमानजनक तरीका है.

ये संकेत बताते हैं कि साइलेंट ट्रीटमेंट तोड़ रहा अपनी मर्यादाएं

  • यह बार-बार हो रहा है और लंबे समय तक बना रहता है.

  • इसका इस्तेमाल सजा के तौर पर किया जा रहा है.

  • यह तभी खत्म होता है जब आप माफी मांगते हैं, विनती करते हैं, सामने वाले के आगे झुक जाते हैं.

  • साइलेंट ट्रीमेंट से बचने के लिए आपने अपना व्यवहार पूरी तरह से बदल लिया है.

लोग क्यों लेते हैं साइलेंट ट्रीटमेंट का सहारा?

  • कुछ मामलों में लोग इसलिए चुप हो जाते हैं क्योंकि वे नहीं जानते कि क्या कहना है. या कई  मामले में लोग झगड़े से बचना चाहते हैं.

  • अगर कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करता लेकिन चाहता है कि उसके पार्टनर को पता चले कि वह परेशान है तो वो साइलेंट ट्रीटमेंट का सहारा ले सकता है.

  • कई बार लोग सामने वाले को सजा देने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. हालांकि ये एक इमोशनल अब्यूज है. इसमें हाथ-पैर चलाए बिना नाराजगी जाहिर की जाती है.

  • साइलेंट ट्रीटमेंट झेलना वाला इंसान धीरे-धीरे अपराध बोध में चला जाता है और इस स्थिति के लिए खुद को दोषी मानने लगता है.

बातचीत बंद करना हैरेसमेंट का ही तरीका

साइलेंट ट्रीटमेंट का ट्रेंड दफ्तरों में भी खूब देखा जाता है. ज्यादातर इसे सजा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. मसलन अगर बॉस को किसी इम्पलॉई की बात बुरी लग गई या उसने कोई गलती की तो उसे सजा देने के इरादे से उससे बातचीत बंद कर देना. उसके ईमेल्स नजर अंदाज करना. इसमें एक शख्स हमेशा पावर पोजिशन में होता है जबकि दूसरा चुपचाप सब कुछ सहता है. ये वर्कप्लेस हैरेसमेंट का चौथा सबसे आम तरीका है. 

ऐसे करें हैंडल

  • सबसे पहले आप साइलेंट ट्रीटमेंट के पीछे के कारणों को जानें.

  • दूसरे व्यक्ति से अपनी भावनाएं साझा करने के लिए कहें.

  • साइलेंट ट्रीटमेंट के लिए कभी माफी न मांगे और खुद को दोषी न ठहराएं.

  • पार्टनर से शांति से बात करें.

  • स्वीकार्य व्यवहार क्या है और आप कैसे व्यवहार की उम्मीद करते हैं, इसके बारे में सीमाएं निर्धारित करें.