अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को कुछ हफ्तों से सोते समय सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. इसके लिए वह कन्टिनियुएस पॉजिटिव एयर-वे प्रेशर (CPAP)मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बात की जानकारी व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने दी. दरअसल पत्रकारों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बाइडेन के चेहरे चौड़ा पट्टे के निशान देखे जिससे पता चलता है कि उन्होंने सांस लेने के लिए CPAP मशीन का इस्तेमाल किया था. आमतौर पर मरीज सीपीएपी मशीन का इस्तेमाल करते वक्त पट्टे वाला मास्क पहनते हैं. ब्लूमबर्ग न्यूज ने सबसे पहले बाइडेन के मशीन यूज करने की सूचना दी थी.
बता दें कि 80 साल के बाइडेन लंबे वक्त से स्लीप ऐपनिया नाम की बीमारी से पीड़ित हैं. इसमें मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है. अगर कोई व्यक्ति इससे पीड़ित है तो उसे रात में सोते समय रुक-रुककर सांस आती है. बाइडेन ने हाल ही में अपनी इस बीमारी के बारे में बताया था. इसके लिए CPAP मशीन का इस्तेमाल किया जाता है. सीपीएपी मशीन एक मोटर चालित उपकरण है जो स्लीपर के एयरवे को खोलने के लिए मास्क के माध्यम से हवा पंप करता है. लगभग 5 मिलियन अमेरिकियों ने इसे आजमाया है.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता एंड्रयू बेट्स ने बुधवार को कहा, "उन्होंने कल रात एक सीपीएपी मशीन का उपयोग किया, जो इस बीमारी से पीड़ित लोगों की हिस्ट्री के लिए आम है." लेकिन वास्तव में स्लीप एपनिया क्या है और इसका इलाज कैसे किया जाता है? आज इसके बारे में जानेंगे. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन का अनुमान है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 30 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं.
स्लीप ऐप्नी क्या होता है
स्लीप ऐप्नी में नींद के दौरान सांस लेने में कुछ देर के लिए रुकावट आती है. मेयो क्लिनिक के अनुसार, इससे खर्राटे आ सकते हैं और दिन में थकान हो सकती है तथा हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. स्लीप ऐप्नी में गले की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे फेफड़ों में हवा का प्रवाह रुक जाता है.स्लीप एपनिया के दो मुख्य प्रकार हैं. पहला ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) है, जो सबसे आम रूप है और यह तब होता है जब गले की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं और फेफड़ों में वायु के प्रवाह को अवरुद्ध कर देती हैं. नेशनल हार्ट लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट ने इसकी जानकारी दी. दूसरा होता है, जब मस्तिष्क सांस को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को ठीक से संकेत नहीं भेजता है.
क्या हैं इसके लक्षण?
कैसे चलता है पता?
यदि कोई व्यक्ति स्लीप एपनिया से पीड़ित है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइडर उन्हें स्लीप डिसऑर्डर सेंटर में जाने के लिए कहता है जहां रात भर मरीजों की निगरानी की जाती है. मेयो क्लिनिक के अनुसार, एक टेस्ट, जिसे nocturnal polysomnography के रूप में जाना जाता है, में एक मरीज को ऐसे उपकरण से जोड़ा जाता है जो हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क की गतिविधि, ब्लड ऑक्सीजन का स्तर; सांस लेने का पैटर्न; नींद के दौरान हाथ और पैर की हरकत पर नजर रखता है. इसके अलावा घरेलू नींद परीक्षण भी किए जा सकते हैं, जिसमें नींद के दौरान मरीज की हृदय गति, वायु प्रवाह, रक्त ऑक्सीजन स्तर और सांस लेने के पैटर्न को मापना शामिल है.
कैसे करें बचाव
पेट के बल सोने की आदत आपको बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद करती है. इससे फेफड़ों को आराम मिलता है और आप अच्छी तरह से सांस ले सकते हैं. स्लीप एपनिया की समस्या में सोने के तरीके का भी विशेष प्रभाव होता है. कुछ लोगों ने पाया है कि उन्हें एक करवट सोने से भी सांस लेने में आसानी होती है.
नियमित व्यायाम की आदत को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्लीप एपनिया की समस्या वाले लोगों में लाभकारी पाया है. रोजाना कम से कम 30 मिनट के मध्यम गति वाले व्यायाम को करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और यह नींद विकारों को दूर करने में भी आपके लिए सहायक है.
अधिक वजन की समस्या वाले लोगों में स्लीप एपनिया की दिक्कत अधिक देखने को मिलती रही है. इससे बचाव के लिए वजन कम करना आपको लाभ दे सकता है. कुछ मामलों में वजन कम कर लेने से अपने आप ही स्लीप एपनिया की दिक्कत ठीक हो जाती है. वजन को कंट्रोल में रखकर आप कई अन्य तरह की हृदय और डायबिटीज जैसी जटिलताओं से भी खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.
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