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WHO report on tobacco: तंबाकू पर नियंत्रण को लेकर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट आई, जानिए भारत में कैसे हैं हालात

WHO Report on Tobacco Control: डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में तंबाकू प्रोडक्ट्स पर हेल्थ वॉर्निंग लेबल लगाने में सबसे बेहतर माना गया है. भारत में 85 फीसदी सिगरेट के पैकेटों पर दोनों तरफ स्वास्थ्य चेतावनी लिखी होती है. इसके अलावा पैकेटों पर सिगरेट छोड़ने के लिए टोल-फ्री नंबर भी दिया होता है.

तंबाकू कंट्रोल को लेकर WHO की रिपोर्ट में भारत की कैसी हालत है तंबाकू कंट्रोल को लेकर WHO की रिपोर्ट में भारत की कैसी हालत है

तंबाकू पर कंट्रोल को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने  अपने रिपोर्ट जारी की है. इसमें बेंगलुरु शहर का खास तौर पर जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक सैकड़ों अभियान, नो स्मोकिंग साइन, धूम्रपान के नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने की वजह से शहर में पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग में 27 फीसदी की कमी आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में धूम्रपान करने वालों में 300 मिलियन की कमी आई है. स्मोकिंग में भारी कमी आई है. साल 2007 में 22.8 फीसदी लोग स्मोकिंग करते थे, जबकि साल 2021 में ये घटकर 17 फीसदी हो गया है.
15 साल पहले डब्ल्यूएचओ ने MPOWER उपाए बनाए थे. जिसका मकसद तंबाकू के इस्तेमाल और प्रिवेंशन पॉलिसी की निगरानी करना, तंबाकू छोड़ने के लिए सहायता करना, इसके खतरों के बारे में चेतावनी देना, तंबाकू विज्ञापन पर बैन लगाना और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगाना था. WHO की रिपोर्ट इन उपायों को लागू करने का आंकलन करती है.

रिपोर्ट में क्या है-
डब्ल्यूएचओ के MPOWER उपाय लागू करने के 15 साल बाद दुनिया में 5.6 अरब लोग कम से कम एक उपाय के साथ सुरक्षित हैं. इतनी बड़ी संख्या पूरी दुनिया की 71 फीसदी आबादी है. जबकि साल 2018 में सेफ्टी उपाय अपनाने वालों की संख्या सिर्फ 5 फीसदी थी.
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत नो टैबैको लेबलिंग में पहले नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2008 में सिर्फ 44 देशों ने कम से कम एक MPOWER उपाय लागू किया था. जबकि साल 2022 में इन देशों की संख्या 151 पहुंच गई है. दुनिया के 4 देशों ब्राजील, तुर्की, नीदरलैंड और मॉरीशस ने डब्ल्यूएचओ के सभी उपाए लागू किए हैं. डब्ल्यूएचओ के हेल्थ प्रमोशन डायरेक्टर डॉ. रुएडिगर क्रेच ने सभी देशों से तंबाकू महामारी से लड़ने के लिए सभी उपाए अपनाने की अपील की है.

44 देश बरत रहे हैं लापरवाही-
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट सेकेंड हैंड स्मोकिंग पर फोकस है. रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 40 फीसदी देशों में अब इनडोर पब्लिक प्लेस पूरी तरह से स्मोकिंग फ्री हैं. हालांकि रिपोर्ट में एक चिंता की भी बात सामने आई है. दुनिया के 44 ऐसे देश हैं, जिन्होंने अब तक डब्ल्यूएचओ का कोई भी MPOWER उपाय नहीं अपनाया है. इतना ही नहीं, दुनिया में ऐसे 53 देश है, जिन्होंने हेल्थकेयर फैसिलिटीज में स्मोकिंग पर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया है. जबकि आधे देशों में ही स्मोकिंग फ्री वर्कप्लेस और रेस्तरां हैं.

सेकेंड-हैंड स्मोकिंग पर बैन क्यों है जरूरी-
रिपोर्ट स्मोकिंग फ्री पब्लिक प्लेस बनाकर सेकेंड हैंड स्मोकिंग को कंट्रोल करने और समाज में स्मोकिंग को असामान्य बनाने पर फोकस करती है.
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल तंबाकू से मरने वाले 8.7 मिलियन लोगों में से 1.3 मिलियन लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं. इनकी मौत सेकेंड हैंड स्मोकिंग से होती है. सेकेंड हैंड स्मोक से 4 लाख मौतें हृदय से संबंधित रोगों की वजह से हुई हैं. 2.5 लाख से अधिक मौतें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से, 1.5 लाख से अधिक मौतें स्ट्रोक और लोअर रेस्पिरेटरी डिजीज से और डायबिटीज की वजह से एक लाख लोगों की मौत हुई है.

भारत में कैसे हैं हालात-
भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि तंबाकू प्रोडक्ट्स पर हेल्थ वार्निंग लेबल लगाने और तंबाकू का इलाज करने में भारत सबसे बेहतरीन है. 85 फीसदी सिगरेट पैकेटों पर दोनों तरफ हेल्थ वॉर्निंग लिखी होती है. इस मामले में भारत टॉप 10 देशों में शामिल है. देश में सिगरेट के पैकेटों पर सिगरेट छोड़ने वालों के लिए टोल-फ्री नंबर भी दिया होता है.
भारत ने ई-सिगरेट की बिक्री पर बैन लगा दिया है. इसके अलावा भारत में हेल्थ फैसिलिटीज और शैक्षणिक संस्थानों में स्मोकिंग पर बैन लगा हुआ है. रिपोर्ट में हेल्थकेयर फैसिलिटीज में स्मोकिंग पर बैन लागू करने के मामले में भारत को 10 में से 8 अंक मिला है. जबकि स्कूलों में 6 और विश्वविद्यालयों में 5 अंक मिला है.

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