मेघालय के वेस्ट गारो हिल्स जिले में दो साल के एक बच्चे में पोलियो (Polio) के मामले की पुष्टि हुई है. इस केस ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि 2011 में आखिरी मामला सामने आने के बाद 2014 में WHO ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि इस घटना से घबराने की बात नहीं है. यह वैक्सीन डिराइव्ड मामला (Vaccine Derived Polio Case) है. मामले को लेकर WHO को अलर्ट कर दिया गया है और जांच की जा रही है.
वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो क्या है
पोलियो एक बेहद संक्रमक बीमारी है जोकि पोलियोमाइलाइटिस वायरस के कारण फैलता है. यह आमतौर पर खांसने या छींकने से या किसी संक्रमित व्यक्ति के मल (मल) के संपर्क में आने से फैलता है, वहीं दूसरी तरफ वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो इन्फेक्शन, पोलियो के टीके में मौजूद वायरस के कमजोर स्ट्रेन की वजह से फैलता है. ऐसा तब होता है जब टीके में वायरस के खिलाफ कमजोर स्ट्रेन डाला जाता है और ऐसे में वायरस पर वैक्सीन की डोज प्रभावी नहीं होती है.
क्या हैं पोलियो के लक्षण
पोलियो के लक्षणों में थकान, बुखार, सिरदर्द, उल्टी, दस्त या कब्ज, गले में खराश, गर्दन में अकड़न, हाथ और पैरों में दर्द या झुनझुनी, गंभीर सिरदर्द और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता शामिल है.
पोलियो वायरस तीन तरह के होते हैं:
वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1)
वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 2 (WPV2)
वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप 3 (WPV3)
कब होता है डिराइव्ड पोलियो इन्फेक्शन
पोलियो के टीके दो तरह से दिए जाते हैं. एक ओरल और दूसरा इंजेक्शन के जरिए. भारत में सबसे ज्यादा ओरल पोलियो वैक्सीन दी जाती है. ओपीवी में पोलियोवायरस का एक कमजोर रूप होता है, जो बीमारी पैदा किए बिना प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने में मदद करता है. डिराइव्ड पोलियो इन्फेक्शन तब होता है, जब ओरल वैक्सीन का वायरस शरीर के अंदर म्यूटेट होकर इंफेक्शन फैलाने लगता है. जिससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले इसका शिकार हो सकते हैं. अगर यह इंफेक्शन बच्चे में बढ़ने लगे, तो ये मल या खाने-पीने के जरिए दूसरों में भी फैल सकता है.
वैक्सीन-डिराइव्ड पोलियो के अन्य कारणों में- पोषण की कमी, स्वच्छता की कमी और पानी की खराब गुणवत्ता हो सकते हैं.
क्या है बचाव
पोलियो का आजतक कोई इलाज नहीं है. 1988 में इसकी वैक्सीन इजाद की गई थी, जिससे इस बीमारी के होने की आशंका को खत्म किया जा सकता है. पोलियो से बचाव का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण कराना है.