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जानिए क्या होता है Vestiphobia? क्या हैं इसके लक्षण, कारण और कैसे करें ट्रीटमेंट

क्या आपको पता है दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें कपड़े पहनने से डर लगता है. जी हां, कपड़े पहनने के इस डर को कहते Vestiphobia. आज हम आपको बता रहे हैं इस फोबिया के बारे में.

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हमारी जिंदगी की मूलभूत जरूरत है रोटी, कपड़ा और मकान. एक बार को बिना रोटा और मकान तो हम किसी के बारे में सोच सकते हैं लेकिन बिना कपड़े? बिल्कुल भी नहीं, आज के समाज में रहने के लिए कपड़े पहली जरूरत हैं. कपड़े हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा होते हैं. बहुत से लोगों के लिए तो कपड़े जरूरत से ज्यादा है जैसे वे कपड़ों के जरिए अपने स्टाइल और पर्सनालिटी को दिखाना पसंद करते हैं. वे अलग-अलग फैशन को अपनाते हैं और कपड़ों को अपने आत्मविश्वास और खुशी का जरिया मानते हैं. 

लेकिन अगर अब आपसे कहा जाए कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें कपड़े पहनने से डर लगता है, तो शायद आपको यकीन ही न हो लेकिन यह सच है. और कपड़े पहनने के इस डर को 'वेस्टिफोबिया' कहते हैं. इसमें इंसान कपड़े पहनने या उनसे जुड़ी कुछ घटनाओं से डरता है. यह फोबिया उनकी मेंटल हेल्थ और जिंदगी पर असर डाल सकता है. आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर वेस्टिफोबिया क्या है, किन कारणों से हो सकता है और इससे कैसे बाहर आया जा सकता है.

क्या है वेस्टिफोबिया?
वेस्टिफोबिया एक प्रकार का डर या फोबिया है जिसमें व्यक्ति को कपड़े पहनने या खास तरह के कपड़ों से डर लगता है. जिन लोगों को वेस्टिफोबिया होता है, वे कपड़े पहनने को लेकर हर समय बेचैन और अच्छा नहीं महसूस करते हैं. इस डर या बेचैनी के कई कारण हो सकते है, जैसे कपड़ों की बनावट, उनकी तंगी या ढीलापन, या उनके पहनने से जुड़ी कोई बुरी घटना. वेस्टिफोबिया इंसान की जिंदगी को भी प्रभावित कर सकता है.

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वेस्टिफोबिया के लक्षण
वेस्टिफोबिया के लक्षण हर किसी में एक जैसे नहीं होते. ये अलग-अलग लोगों में अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इनमें ये संकेत शामिल होते हैं.

1. कपड़े पहनने से घबराहट- कुछ खास तरह के कपड़े पहनते समय घबराहट, बेचैनी, या पसीना आना महसूस होना.

2. कपड़ों से दूर भागना- इंसान ऐसे कपड़ों से बचने की कोशिश करता है जिसे पहन कर वो अच्छा नहीं महसूस करता, जैसे तंग, भारी या किसी खास बनावट वाले कपड़े.

3. अन्य शारीरिक लक्षण- कपड़े पहनते समय सिरदर्द, पेट में मरोड़, सांस लेने में दिक्कत, या दिल की धड़कन तेज हो जाना.

4. कपड़े पहनने की सोच से डर- कपड़े पहनने या उनसे जुड़ी स्थितियों के बारे में सोचने से ही डर या चिंता महसूस करना.

5. सामाजिक कामों से बचना-  कई बार वेस्टिफोबिया के कारण व्यक्ति सामाजिक कार्यक्रमों में जाने से भी बचता है, ताकि उसे किसी खास तरह के कपड़े न पहनने पड़ें.

6. खास कपड़ों के प्रति नफरत- व्यक्ति किसी खास कपड़े, रंग या फैब्रिक को देखकर नफरत या अजीब महसूस करने लगता है.

ये लक्षण धीरे-धीरे गंभीर भी  हो सकते हैं और व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डाल सकते हैं.

किन कारणों से हो सकता हैं वेस्टिफोबिया?
वेस्टिफोबिया के कई कारण हो सकते हैं, जो व्यक्ति को कपड़ों से डर महसूस करवा सकते हैं.

1. बीते हुए बुरे अनुभव- अगर किसी व्यक्ति ने कपड़ों से जुड़ा कोई बुरा अनुभव किया हो, जैसे कपड़े में फंस के गिर जाना या तंग कपड़ों की वजह से घबराहट महसूस करना, तो इससे वेस्टिफोबिया हो सकता है.

2. कपड़ों की बनावट- कुछ लोग खास तरह की कपड़ों की बनावट, जैसे ऊनी या तंग कपड़े, को पहनने में अच्छा नहीं  महसूस करते हैं. उनकी स्किन को कुछ कपड़े चुभ सकते हैं या बेचैनी पैदा कर सकते हैं.

3. समाज या परिवार का दबाव- कई बार समाज या परिवार से फैशन और पहनावे को लेकर दबाव महसूस करना भी वेस्टिफोबिया का कारण बन सकता है. इस दबाव की वजह से व्यक्ति कुछ खास तरह के कपड़े पहनने से डर सकता है.

4. शरीर में होने वाली तकलीफ: अगर किसी को किसी कपड़े से शारीरिक तकलीफ, जैसे सांस लेने में दिक्कत या खुजली महसूस हो, तो वह कपड़े पहनने से बचने की कोशिश करता है.

5. तनाव- मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं, जैसे एंग्जायटी या तनाव, भी वेस्टिफोबिया का कारण बन सकते हैं. ऐसे मामलों में व्यक्ति किसी खास तरह के कपड़ों को लेकर डर महसूस करता है.

वेस्टिफोबिया से कैसे बाहर आएं
वेस्टिफोबिया को ठीक करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जो व्यक्ति से धीरे-धीरे इस डर को कम करने में मदद कर सकते हैं.

1. काउंसलिंग और थेरेपी- वेस्टिफोबिया से निपटने के लिए एक मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ या थेरेपिस्ट से बात करना बहुत फायदेमंद हो सकता है. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसी थेरेपी व्यक्ति के लिए मददगार साबित हो सकती है. यह एक ऐसी थेरेपी है जो लोगों को मानसिक और शारीरिक समस्याओं से निपटने में मदद करती है. इसमें सोचने और व्यवहार करने के तरीके को बदलने पर ध्यान दिया जाता है.

2. धीरे-धीरे सामना करें- व्यक्ति को धीरे-धीरे उस तरह के कपड़ों का सामना करना चाहिए जिनसे उसे डर लगता है. शुरुआत में छोटे और आरामदायक कदम उठाएं, जैसे पहले कपड़े को छूना, फिर पहनने की कोशिश करना.

3. आरामदायक कपड़े चुनें- पहले ऐसे कपड़े चुनें जो व्यक्ति को सबसे ज्यादा आरामदायक लगें. फिर धीरे-धीरे नए कपड़ों की ओर बढ़ें. यह आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद कर सकता है.

4. मेडिटेशन और रिलैक्सेशन- तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन गहरी सांस लेने की तकनीकें और रिलैक्सेशन एक्सरसाइज मददगार हो सकती हैं. इससे घबराहट और चिंता को कम करने में सहायता मिलती है.

5. परिवार और दोस्तों का सपोर्ट- परिवार और दोस्तों का सपोर्ट व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होता है. उनसे खुलकर बात करें और अपने डर के बारे में समझाएं. उनका सहयोग और समझ व्यक्ति को इस समस्या से निपटने में मदद कर सकता है.

6. ध्यान बंटाने की तकनीकें- जब व्यक्ति को कपड़े पहनते समय डर महसूस हो, तो उसपर से ध्यान बंटाने के लिए कोई वो अपना पसंदीदा काम कर सकता है. इससे उसके अंदर का डर कम हो सकता है.

7. एक्सपर्ट से दवाईयों की सलाह- अगर वेस्टिफोबिया बहुत गंभीर हो और रोजमर्रा की जिंदगी पर गहरा असर डाल रहा हो, तो मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से दवाइयों के बारे में सलाह लेना फायदेमंद हो सकता है.