दुनियाभर में हजारों-लाखों लोगों को संक्रमित करने वाले वायरस पर रिसर्च करने वाले डॉ. एंथोनी फौसी खुद वेस्ट नाइल फीवर से संक्रमित हो गए हैं. डॉ. फौसी फिलहाल अस्पताल में हैं और उनका इलाज किया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि आखिर ये बीमारी है क्या और इसके क्या खतरे हैं.
क्या है वेस्ट नाइल बुखार?
वेस्ट नाइल फीवर क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है. अमेरिका में 1999 में पहली बार इस बीमारी का पता चला था, इसलिए ये वहां होने वाली सबसे आम बीमारी है. अक्सर बरसात के मौसम के बाद अगस्त और सितंबर में ये बीमारी अपने चरम पर होती है. क्योंकि ये मच्छर ठहरे हुए पानी में अंडे देते हैं. जब ये मच्छर बीमार पक्षियों को काटते हैं तो वे संक्रमित हो जाते हैं, फिर इन मच्छरों के काटने से वायरस लोगों में फैल जाता है.
वेस्ट नाइल फीवर न्यूरोलॉजिकल डिजीज का कारण बन सकता है. ऐसे में समय रहते इस बीमारी का इलाज बेहद जरूरी है. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो इस संक्रमण से कुछ मामलों में हमेशा के लिए न्यूरोलॉजिकल डैमेज भी हो सकता है.
अमेरिका में इस साल अब तक 33 राज्यों में वेस्ट नाइल के 216 मामले सामने आए हैं. इस साल भारत के केरल में भी इसके कुछ मामले देखने को मिले थे. केरल में पहला मामला 2011 में सामने आया था. वहीं 2019 में मालापुरम के एक 6 साल के लड़के की और 2022 में त्रिशूर के एक 47 साल के व्यक्ति की इस बीमारी से जान चली गई थी.
वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण
हर साल हजारों लोग वेस्ट नाइल से संक्रमित होते हैं, हालांकि अधिकांश को इसका कभी पता नहीं चलता क्योंकि उनमें लक्षण विकसित नहीं होते हैं. सीडीसी के अनुसार, लगभग 5 में से 1 व्यक्ति को ही इसका अनुभव होता है.
वायरस से संक्रमित होने के बाद फ्लू जैसे बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, उल्टी और कभी-कभी स्किन पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण दिख सकते हैं. स्थिति गंभीर होने के बाद सिरदर्द, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, बेहोशी, कंपकंपी, शरीर में ऐंठन और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है. लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटे जाने के तीन से 14 दिनों के बीच दिखाई देते हैं.
WHO के अनुसार वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित 150 लोगों में से 1 में इसका गंभीर रूप देखने को मिल सकता है.
किसको ज्यादा खतरा और इससे कैसे बचें
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अधिक खतरा होता है. बता दें कि वायरस के लिए अभी कोई टीका नहीं बना है लेकिन आप कुछ बातों का ख्याल रखकर इससे बच सकते हैं. सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. आसपास गंदगी जमा न होने दें. डीईईटी और पिकारिडिन जैसे रिपलेंट्स क्यूलेक्स मच्छरों को दूर रखने में अच्छा काम करते हैं.
मच्छरों को काटने से खुद को कैसे बचाएं
ढीले-ढाले कपड़े पहनें जो दोनों हाथों और पैरों को ढके रहते हों.
जब संभव हो तो एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें, मानसून के बाद के दिनों में खिड़की दरवाजे बंद रखें.
घरों के बाहरी हिस्से में पानी जमा न होने दें.ठहरे हुए पानी में ये मच्छर अंडे देते हैं.