आजकल की बिजी लाइफ में सबसे ज्यादा प्रभावित होती है लोगों की नींद.आज के जमाने में लोग आरामदायक नींद के लिए कई तरह की चीजें करते हैं. लेकिन नींद के संदर्भ में क्या आपने White Noise और Green Noise का कॉन्सेप्ट सुना है? ये दोनों सिद्धांत नींद से जुड़े हुए हैं.
क्या है व्हाइट नॉइज और ग्रीन नॉइज
स्लीप साउंडस्पेस में व्हाइट नॉइज का कॉन्सेप्ट पुराना है जबक्ि ग्रीन नॉइज का कॉन्सेप्ट हाल-फिलहाल नें उभरा है. लेकिन यह कुछ पारंपरिक अवधारणाओं से प्रेरित है. ग्रीन नॉइज की बात करें तो ऐसा शोर जो आपके कानों और मन को पीसफुल लगता है जैसे पत्तियों की सुखदायक सरसराहट, जंगल में पानी की धारा का कोमल प्रवाह, या झींगुरों की सामंजस्यपूर्ण चहचहाहट.
वहीं, व्हाइट नॉइज से मतलब ऐसे शोर से जो मशीनों से आता है जैसे पंखे की घरघराहट, रेडियो या टेलीविजन का स्थिर होना, एयर कंडीशनर की हमिंग साउंड आदि. बहुत से लोगों को पंखे की आवाज न सुने तो नींद नहीं आती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ग्रीन नॉइज और व्हाइट नॉइज में सभी ऑडिबल फ्रीक्वेंसी आती हैं. हालांकि, व्हाइट नॉइज के मुताबिक ग्रीन नॉइज कम फ्रीक्वेंसी परजोर देता है, जिएक ऐसी ध्वनि बनती है जो ज्यादा सॉफ्ट और सूदिंग होती हैं.
नींद के लिए बेहतर है ग्रीन नॉइज
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ग्रीन नॉइज नींद के लिए बेहतर होता है. इसका उपयोग फोकस और एकाग्रता बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है, खासकर शोर वाले वातावरण में. इसका उपयोग रिलैक्सेशन थेरेपी, तनाव कम करने की तकनीकों और यहां तक कि टिनिटस के प्रबंधन के लिए भी किया जा सकता है.
ग्रीन नॉइज अपने फ्रीक्वेंसी कंपोजिशन में व्हाइट नॉइज से अलग होता है. जबकि व्हाइट नॉइज में सभी फ्रीक्वेंसी में समान ऊर्जा होती है, ग्रीन नॉइज में ज्यादा बैलेंस्ड डिस्ट्रिब्यूशन होता है. व्हाइट नॉइज की कठोर, स्थिर-जैसी ध्वनि की तुलना में ग्रीन नॉइज एक मधुर, अधिक प्राकृतिक गुणवत्ता वाला होता है.
कुछ लोगों को ग्रीन नॉइज की सुखदायक, नेचर इंस्पायर्ड साउंड सोने के लिए अधिक अनुकूल लग सकती हैं, जबकि कुछ लोगों को व्हाइट नॉइज की स्टेटिक साउंड ठीक लगती है.