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3D Printed Sperm Cell: इनफर्टिलिटी से जूझ रहे पुरूषों के लिए आशा की किरण बन सकती है ये तकनीक, आप भी जानिए

एजोस्पर्मिया के कारण कोई भी पुरुष पिता बनने में नाकाम रह सकता है. बदलती जीवनशैली, खराब खान-पान के कारण भी कई पुरुष इसके शिकार हो जाते हैं और उनका पिता बनने का सपना भी टूट जाता है.

Male infertility/India Today Male infertility/India Today
हाइलाइट्स
  • पुरुषों के लिए आशा की किरण है 3डी-प्रिंटेड स्पर्म

  • 3डी स्पर्म प्रिंटिंग की तकनीक बेहद दिलचस्प है

मां-बाप बनना हर शादीशुदा जोड़े का सपना होता है. कई बार मां न बनने का दोषी हमेशा महिलाओं को ही ठहराया जाता है क्योंकि भारत में ज्यादाकर लोग यह मान कर चलते हैं कि हर पुरुष बाप बनने के काबिल है. एक बच्चे के जन्म के लिए स्त्री-पुरुष दोनों का स्वस्थ्य होना जरूरी है और दोनों के अंदर फर्टिलिटी होनी चाहिए. सेहत से जुड़ी तमाम समस्याएं जैसे-जैसे खत्म हो रही हैं, पुरुषों में इनफर्टिलिटी (बांझपन) की शिकायत आने लगी है. 

क्या होती है मेल इनफर्टिलिटी 

पुरुषों के पिता ना बनने की स्थिति को मेल इनफर्टिलिटी कहते हैं. आसान भाषा में समझे तो अगर किसी पुरुष में कम स्पर्म उत्पन्न हो रहे हों या स्पर्म काफी कमजोर हो या फिर स्पर्म काउंट कम हो तो इस स्थिति को पुरुष इनफर्टिलिटी कहा जाता है. जरूरी नहीं कि जिस पुरुष के शुक्राणुओं की क्वालिटी खराब या संख्या कम हो वो सेक्स गतिविधियों में भी असमर्थ हो. कई बार एजोस्पर्मिया के कारण भी कोई पुरुष पिता नहीं बन पाता. जिन पुरुषों को यह समस्‍या होती है, आमतौर पर उनमें नॉर्मल वीर्य वॉल्‍यूम होता है. एजोस्पर्मिया के कई कारण होते हैं. हालांकि इसका पता आसानी ने नहीं चलता. यहां हम आपको एजोस्पर्मिया के कुछ लक्षण बताते हैं जिससे आप इसकी पहचान कर सकते हैं.

  • अंडकोषों में सूजन
  • सेक्‍स ड्राइव कम होना
  • सेक्‍स के बाद झागदार पेशाब आना

तो अगर आपको एजोस्पर्मिया होता है, तो इसे छुपाएं नहीं, इसका इलाज कराएं. आपको इसके बारे में बताते हुए शर्माने की जरूरत नहीं है.

हालांकि आज के दौर में टेक्नोलॉजी के सहयोग से इस तरह की समस्या का इलाज आसानी से हो सकता है, लेकिन इस तरह का उपचार आर्थिक दृष्टि से काफी महंगे होते हैं. एजोस्पर्मिया के इलाज के लिए वैज्ञानिकों ने 3D printed sperm तकनीक निकाली है.

3डी-प्रिंटेड स्पर्म आशा की किरण

3डी-प्रिंटेड स्पर्म एक नई तकनीक है जो लैब में 3डी बायोप्रिंटर का इस्तेमाल कर स्पर्म बनाती है. ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर और शोध के प्रमुख डॉ. रयान फ्लैनिगन के अनुसार 3डी स्पर्म प्रिंटिंग की तकनीक बेहद दिलचस्प है, लेकिन इस तकनीक को अभ्यास में लाने से पहले कुछ साल लग जाएंगे. इनका अगला लक्ष्य शुक्राणु कोशिकाओं को एक नया शुक्राणु पैदा करने के लिए प्रशिक्षित करना है. यह नई तकीनक पुरुष बांझपन की समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है.