मोनोन्यूक्लिओसिस (Mononucleosis )एक ऐसी बीमारी है जो मुख्य रूप से किशोरों और वयस्कों को प्रभावित करती है, हालांकि यह युवाओं को भी प्रभावित कर सकती है. यह बीमारी वायरस के कारण होती है, विशेष रूप से एपस्टीन-बार वायरस (EBV)के कारण. मोनो (Mono)को बोलचाल की भाषा में "चुंबन रोग" यानी की किसिंग डिजीज कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर के तरल पदार्थ जैसे लार के माध्यम से जल्दी फैलता है.
मोनो अधिकांश लोगों के लिए एक खतरनाक बीमारी नहीं है और आमतौर पर डॉक्टर के पास जाए बिना ही इसका इलाज किया जा सकता है. हालांकि, इसमें होने वाली थकान, शारीरिक दर्द और अन्य लक्षण स्कूल, काम और दैनिक जीवन को बाधित कर सकते हैं. मोनो होने पर आप एक महीने तक अस्वस्थ रह सकते हैं.
मोनो एपस्टीन-बार वायरस (EBV) के कारण होता है, जो अत्यधिक व्यापक है. वायरस से संक्रमित हर व्यक्ति में लक्षण नहीं दिखते.
लक्षण
वायरस होने के बाद आप चार से छह सप्ताह तक यह लक्षण महसूस कर सकते हैं. बुखार और गले में खराश जैसे लक्षण आमतौर पर कुछ हफ्तों के बाद कम हो जाते हैं. हालांकि, सुस्ती और बढ़े हुए लिम्फ नोड्स कई हफ्तों तक बने रह सकते हैं.
इलाज
मोनो का कोई टीका या इलाज नहीं है. जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स और अन्य वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीवायरल दवाएं मोनो के खिलाफ अप्रभावी हैं. इसके बजाय आप घर पर देखभाल कर अपने बच्चे का ध्यान रख सकते हैं.
इसमें आपको ज्याजा से ज्यादा आराम करने की जरूरत है. मोनो आपको जल्दी थका देता है. ऐसे में नींद आपके शरीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता में मदद करती है. शारीरिक व्यायाम भी इसमें आपको मदद करेंगे.
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