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Norovirus in Kerala: क्या है Norovirus...जो बच्चों को बना रहा अपना शिकार, केरल में सामने आए दो मामले

केरल में नोरोवायरस के अब तक दो मामले सामने आए हैं. इस वायरस के लक्षण डाइरिया से मिलते हैं और यह ज्यादातर बच्चों को अपना शिकार बनाता है. हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. मरीज तीन से चार दिन में ठीक भी हो जाता है.

Norovirus in Kerala Norovirus in Kerala
हाइलाइट्स
  • केरल में सामने आए दो मामले

  • ज्यादातर बच्चों को बना रहा शिकार

केरल सरकार ने कहा 5 जून को बताया कि तिरुवनंतपुरम के पास रहने वाले दो बच्चे नोरोवायरस (Norovirus) से संक्रमित पाए गए हैं. वायरस दूषित पानी और भोजन से फैलता है और इसके लक्षण डायरिया पैदा करने वाले रोटावायरस के समान हैं. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने लोगों को संक्रामक बीमारी से बचकर रहने और स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी है.

मंत्री ने कहा, नोरोवायरस की पुष्टि दो बच्चों में हुई है. बच्चों की हालत स्थिर है और घबराने की कोई बात नहीं है. सभी लोगों को ध्यान रखना है और अपने आसपास स्वच्छता का पालन करना है.

नोरोवायरस क्या है?
नोरोवायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है. इसे 'पेट का फ्लू' या 'winter vomiting bug'के नाम से भी जाना जाता है. यह दूषित भोजन, पानी और सतहों के माध्यम से फैलता है. खुले में किए गए मल आदि से यह रोग जल्दी फैलता है. इसके लक्षण डायरिया फैलाने वाले रोटावायरस के समान है और यह सभी आयु वर्ग के लोगों को संक्रमित कर सकता है. रोग का प्रकोप आमतौर पर क्रूज जहाजों पर, नर्सिंग होम, डॉर्मिटरी और अन्य बंद स्थानों में होता है.

WHO के अनुसार, नोरोवायरस के उभरते केसों से पता चलता है कि नोरोवायरस संक्रमण आंतों की सूजन और कुपोषण से जुड़ा है." सालाना नोरोवायरस के अनुमानित 685 मिलियन (6850 लाख) मामले देखे जाते हैं, जिसमें से 200 मिलियन (2000 लाख) मामले 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाए जाते हैं.

क्या हैं लक्षण ?
नोरोवायरस के शुरुआती लक्षण उल्टी या दस्त हैं, जो वायरस के संपर्क में आने के एक या दो दिन बाद दिखाई देते हैं. इस दौरान मरीज को मिचली जैसा लगता है जिसके साथ पेट दर्द, बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द की शिकायत भी रहती है. कई मामलों में फ्लूईड (fluid) की कमी की वजह से डिहाइड्रेशन (Dehydration) की शिकायत भी हो सकती है.

क्या हो सकती हैं सावधानियां?
एक व्यक्ति कई बार संक्रमित हो सकता है क्योंकि वायरस के कई सारे स्ट्रेन होते हैं. नोरोवायरस कई कीटाणुनाशकों के लिए प्रतिरोधी है और 60 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी का सामना कर सकता है इसलिए केवल भोजन को अच्छे से पकाने से या पानी को क्लोरीनेट करने से वायरस नहीं मरता है. यह वायरस कई आम हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करने के बावजूद बचा रह सकता है. 

हालांकि इसके शुरुआती एहतियात भी बहुत आम हैं. शौचालय का उपयोग करने या डायपर बदलने के बाद बार-बार साबुन से हाथ धोएं. खाना खाने या बनाने से पहले हाथों को सावधानी से धोना जरूरी है. प्रकोप के दौरान सतहों को 5,000 भागों प्रति मिलियन पर हाइपोक्लोराइट के घोल से कीटाणुरहित किया जाना चाहिए. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (US Centre for Disease Control and Prevention) का सुझाव है कि संक्रमित लोगों को दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए और बीमार होने पर और लक्षण खत्म होने के दो दिन बाद तक दूसरों के लिए खाना बनाने से बचना चाहिए.

क्या है इलाज ?
यह रोग ज्यादा दिनों तक नहीं रहता. भले ही यह संक्रामक हो और तेजी से फैलता हो लेकिन आमतौर पर तीन से चार दिन से ज्यादा नहीं फैलता. ऐसे लोग जो बहुत ज्यादा बूढ़े ना हों, कुपोषित न हो और छोटे बच्चों को छोड़कर भरपूर आराम लेने और शरीर को हाइड्रेट करते रहने से आम व्यक्ति इससे ठीक हो सकता है. इसका निदान रीयल-टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन द्वारा किया जाता है. इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. शरीर को हाइड्रेट करते रहना ही इससे बचाव का मुख्य हथियार है.