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Mental Health Break from Work: फिजिकल के साथ मेंटल हेल्थ भी जरूरी, जानें कब लें इसके लिए काम से ब्रेक 

Mental Health Break: एक दिन का ब्रेक भी हमारी थकान या तनाव को रोक सकता है. इससे हम बेहतर काम कर सकेंगे. बस इसके लिए आपको पता होना चाहिए कि आपको अपनी मेंटल हेल्थ के लिए ब्रेक कब लेना है.

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हाइलाइट्स
  • मेंटल हेल्थ के लिए ब्रेक लेना 

  • प्रोडक्टिविटी में कमी

नौकरियों और करियर गोल्स की दुनिया में, लोग केवल अब फिजिकल हेल्थ की ही नहीं बल्कि मेंटल हेल्थ को लेकर भी बात कर रहे हैं. लोग आज अपनी मेंटल हेल्थ के लिए छुट्टियां लेने लगे हैं. लोग यह समझने लगे हैं कि काम के पीछे भागने की वजह से मानसिक स्वास्थ्य कैसे प्रभावित हो रहा है और वे अगर इसे ठीक रखेंगे तो कितना अच्छा काम कर सकते हैं और कैसे अपनी नौकरी से खुश रह सकते हैं. इतना ही नहीं ऑफिस कल्चर में भी इसे लेकर चर्चा हो रही है. 

मेंटल हेल्थ के लिए ब्रेक लेना 

मेडिक्स ग्लोबल के सीईओ और संस्थापक सिगल एट्जमन ऐसा वर्कप्लेस बनाना चाहते हैं जहां लोग काम और जीवन को अच्छे तरीके से बैलेंस करें. मानसिक स्वास्थ्य में मदद करने वाले डॉक्टर डॉ. रोहन कुमार इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं कि एक दिन की छुट्टी लेने से हमें आराम करने और अपने दिमाग और शरीर को फिर से मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है. एक दिन का ब्रेक भी हमारी थकान या तनाव को रोक सकता है. इससे हम बेहतर काम कर सकेंगे.

कब लें ब्रेक?

1. प्रोडक्टिविटी में कमी: अगर आपके काम की प्रोडक्टिविटी में आपको गिरावट नजर आ रही है तो ये एक मानसिक थकान और तनाव का संकेत दे सकती है.

2. लगातार थकान: अगर आप खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ पा रहे हैं और हर वक्त बर्नआउट रहते हैं, ऐसे में आपको मेंटल हेल्थ के लिए ब्रेक लेना चाहिए.

3. बढ़ा हुई चिड़चिड़ापन: अस्वाभाविक मूड स्विंग या हर वक्त चिड़चिड़ापन रहता है तो ये आपके स्ट्रेस को और भी बढ़ा सकता है, ऐसे में ब्रेक लेना जरूरी है. 

4. फोकस करने में मुश्किल: अगर काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो रहा है, तो यह समय है कि आप ब्रेक लें. 

स्मार्ट तरीके से मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कर्मचारियों को उनकी मेंटल हेल्थ ठीक रखने में मदद करना केवल एक अच्छी बात ही नहीं है बल्कि कंपनी के लिए एक स्मार्ट कदम भी है.  यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वे अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में शेयर करना चाहते हैं या नहीं. लेकिन जब कंपनियां इसके बारे में बात करने के लिए एक सुरक्षित माहौल बना देती हैं तो कर्मचारी खुद आगे बढ़कर इसके बारे में बात करने लगेंगे.