दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एक बार फिर से एयर क्वालिटी पैनल ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत स्टेज 4 प्रतिबंध लागू कर दिए हैं. शहर की वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई. यह कड़ा कदम तब उठाया गया जब राजधानी का 24-घंटे का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) शाम 4 बजे 379 से बढ़कर रात 10 बजे 400 से ऊपर पहुंच गया.
हालांकि, दिल्ली की यह समस्या अलग-थलग नहीं है. वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर हेल्थ इमरजेंसी बन चुका है. साफ हवा वाले देशों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. लेकिन अब Swiss air quality technology company IQAir ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में अलग-अलग देश और उनकी हवा की गुणवत्ता का जिक्र किया गया है.
'साफ हवा' का क्या मतलब है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साफ हवा में PM2.5 का लेवल 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) या उससे कम होना चाहिए. PM2.5 ऐसे माइक्रो पार्टिकल होते हैं जो 2.5 माइक्रोन डायमीटर से छोटे होते हैं. ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे फेफड़ों में भी अंदर तक जा सकते हैं और ब्लड सर्कुलेशन में पहुंच सकते हैं. PM2.5 में अगर लंबे समय तक रहा जाए तो इससे कई स्तर पर सेहत को नुकसान पहुंचता है. इसमें हार्ट और फेफड़ों से जुड़े रोग, हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा का खतरा बढ़ना, एंग्जायटी और डिप्रेशन और समय से पहले मौत होने का जोखिम बढ़ जाता है.
सिर्फ सात देशों में है सबसे साफ हवा
स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी फर्म IQAir की 2023 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के अनुसार, केवल सात देशों की हवा साफ है. इनमें ये देश शामिल हैं:
-ऑस्ट्रेलिया
-एस्टोनिया
-फिनलैंड
-ग्रेनेडा
-आइसलैंड
-मॉरीशस
-न्यूजीलैंड
इन देशों में औसत PM2.5 का लेवल 5 µg/m³ या उससे कम दर्ज किया गया है. इनमें से आइसलैंड PM2.5 लेवल 4 µg/m³ के टॉप पर है, इसके बाद एस्टोनिया (4.7 µg/m³) और फिनलैंड (4.9 µg/m³) है. दूसरे क्षेत्रों जैसे प्योर्टो रिको, बरमूडा, और फ्रेंच पॉलिनेशिया ने भी साफ हवा के स्टैंडर्ड को पूरा किया.
भारत की स्थिति क्या है?
दुर्भाग्य से, भारत साफ हवा की लिस्ट से काफी दूर है. दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में भारत तीसरे स्थान पर है, जहां औसत PM2.5 लेवल WHO के सुरक्षित मानकों से 10 गुना ज्यादा है. भारत में दुनिया के चार सबसे प्रदूषित शहर स्थित हैं, जिनमें बिहार का बेगूसराय घरेलू स्तर पर सबसे ऊपर है. दिल्ली, मुंबई और कोलकाता भी प्रदूषित शहरों की लिस्ट में है. सर्दियों के महीनों में भारत की हवा और खराब हो जाती है.
प्रदूषण की कैटेगरी- ग्रीन से रेड तक
वर्ल्ड एयर क्वालिटी को बेहतर समझने के लिए PM2.5 लेवल के आधार पर देशों और शहरों को बांटा गया है:
1. ग्रीन कैटेगरी (WHO सुरक्षित मानक से 2 गुना तक): इसमें मध्यम प्रदूषण वाले देश शामिल होते हैं. जैसे स्वीडन, आयरलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क, फ्रांस, और जर्मनी.
2. येलो कैटेगरी (3 गुना तक): इसमें लिथुआनिया, हंगरी, और चेक गणराज्य जैसे देश आते हैं.
3. ऑरेंज कैटेगरी (5 गुना तक): तुर्की, रोमानिया, और ग्रीस जैसे देश शामिल हैं.
4. रेड कैटेगरी (5 गुना से अधिक): खतरनाक प्रदूषण स्तर वाले देश आते हैं. इसमें बोस्निया और हर्जेगोविना और उत्तर मैसेडोनिया शामिल हैं.
5. पर्पल और उससे आगे (सबसे खराब प्रदूषण): इस श्रेणी में दक्षिण और मध्य एशिया के देश प्रमुख हैं. बांग्लादेश PM2.5 लेवल के साथ दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है. पाकिस्तान दूसरे स्थान पर है, और भारत तीसरे स्थान पर है.
देश कैसे हवा साफ कर रहे हैं?
प्रदूषण से लड़ने वाले देशों ने कई रणनीतियां अपनाई हैं:
1. नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ना: क्रोएशिया और जर्मनी जैसे देशों ने सोलर, विंड और हाइड्रोइलेक्ट्रिक एनर्जी सोर्स में भारी निवेश करके फॉसिल फ्यूल या जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया है.
2. कोयले का इस्तेमाल कम करना: यूरोपीय संघ ने 2030 तक कोयले को खत्म करने की योजना के तहत अपने सदस्य देशों में वायु गुणवत्ता में काफी सुधार किया है।
3. कड़ी एमिशन पॉलिसी: फ्रांस और नॉर्वे जैसे देशों ने सख्त व्हीकल एमिशन स्टेंडर्ड को लागू किया है और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया है ताकि गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके.
4: सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल: एस्टोनिया जैसे देशों ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाया है ताकि नागरिकों को प्राइवेट व्हीकल से हटकर इनका इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दिया जा सके.
5. पेड़ों की कटाई रोकने की पॉलिसी: मॉरीशस जैसे देश पेड़ों और वनों की कटाई को रोकने और ग्रीन एरिया को बढ़ाने बचाने और बढ़ाने के लिए कदम उठा रहे हैं.
जहां ऑस्ट्रेलिया, आइसलैंड और फिनलैंड जैसे देश साफ हवा का उदाहरण पेश कर रहे, वहीं भारत को एक लंबी लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है. बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, ठोस नीतियों और जनभागीदारी के साथ तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.
भारत के लोगों को उस दिन का इंतजार है जब वे भी आइसलैंड या फिनलैंड जैसी साफ हवा में सांस ले सकेंगे. तब तक, साफ हवा की लड़ाई- एक नीति, एक पहल और एक सांस के साथ जारी है.