कफ सिरप बनाने वाली 7 भारतीय कंपनियों को WHO ने जांच के घेरे में शामिल किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में Contaminated Cough सिरप की आपूर्ति से संबंधित अपनी जांच में 7 मेड-इन-इंडिया मेडिसिन को फ्लैग किया है. सभी सिरप हैं जिसमें खांसी, बुखार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पैरासिटामोल और विटामिन्स शामिल है.
डब्ल्यूएचओ की जांच में कुल बीस Contaminated Cough को शामिल किया गया, जिनके सेवन से दुनिया भर में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई. जिसमें से 7 दवाएं भारत की हैं. हरियाणा बेस्ड मेडेन फार्मास्युटिकल्स, मैरियन बायोटेक और क्यूपी फार्मा केम इन Contaminated सिरप के मुख्य उत्पादक हैं.
डाइथिलीन और इथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा ज्यादा मिली
डब्ल्यूएचओ इससे पहले भी भारत निर्मित contaminated drugs को लेकर अलर्ट जारी कर चुका है, लेकिन इस बार मामले की पूरी जांच पूरी होने के बाद यह सूची आई है. डब्ल्यूएचओ ने अपनी जांच में पाया कि इन कफ सिरप में डाइथिलीन ग्लाइकोल और इथिलीन ग्लाइकोल का मात्रा ज्यादा थी, जिसके कारण दुनिया भर में कई मौतें हुईं.
क्यों खतरनाक है डाइथिलीन और इथिलीन ग्लाइकोल
डाइथिलीन ग्लायकोल और इथिलीन ग्लायकोल इंसानों के लिए जहरीला होता है और घातक हो सकता है. इसकी वजह से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में दिक्कत, मानसिक स्थिति में बदलाव और गंभीर किडनी खराब हो सकती है, जिस कारण मौत भी हो सकती है.
बता दें, खांसी की दवाई के सेवन के बाद अफ्रीकी देशों में कई मौतों में बाद ये खबर चर्चा में आई. भारत में बनी दवाओं के कारण गाम्बिया में 60 से ज्यादा और पिछले साल उज्बेकिस्तान में लगभग 20 बच्चों की मौत हुई थी. मामले की जांच में पाया गया कि इन दवाओं में दो जहरीले रसायन एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल शामिल थे. इसलिए WHO की तरफ से Medical Product Alert जारी किया गया था ताकि लोग Contaminated Drugs का सेवन न करें और इन उत्पादों को आपूर्ति पर रोक लगा दी जाए.
कैमरून में पिछले कुछ महीनों में एक दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है. अधिकारियों ने इन मौतों के लिए एक कफ सिरप को जिम्मेदार बताया है, जो भारत में बनी बताई जा रही है.