कोरोना के खिलाफ वैक्सीन एक कारगर उपाय है. भारत में कई लोगों ने कोविशील्ड ली, तो कुछ लोगों ने कोवैक्सीन. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार कोवैक्सीन (Covaxin) टीका लगवाने वालों की तुलना में कोविशील्ड (Covishield) लेने वाले लोगों में सार्स-कोव2 (SARS-CoV-2) वायरस से लड़ने की ज्यादा क्षमता होती है. यह अध्ययन शुक्रवार को ‘मेडआरजिव (medRxiV)’ सर्वर पर पोस्ट किया गया है. हालांकि अभी इसकी समीक्षा नहीं की गई है.
अध्ययन में ये भी पता चला है कि दोनों टीकों ने सेरोनिगेटिव (seronegative) और सिरोपोजिटिव (seropositive) व्यक्तियों या फिर कोविड -19 संक्रमण से उबरने वाले लोगों में महत्वपूर्ण एंटीबॉडी स्तर प्राप्त किए हैं. बता दें कि ये अध्ययन जून 2021 से जनवरी 2022 के बीच शहरी व ग्रामीण बेंगलुरु और पुणे में चार स्थानों पर 18-45 आयु वर्ग के 691 प्रतिभागियों पर किया गया था.
दोनों खुराकों पर किया गया अध्ययन
इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाले सैंपल को 28 दिन के अंतराल पर या तो कोवैक्सीन की दो खुराक दी गई या तीन महीने के अंतराल पर कोविशील्ड की दो खुराक दी गई. अध्ययन में पाया गया कि कोवैक्सीन टीका लगवाने वालों की तुलना में ‘कोविशील्ड’ लेने वाले लोगों में कोरोना के खिलाफ ज्यादा बेहतर प्रतिरक्षा पैदा हुई.
यह अध्ययन दो मुख्य प्रश्नों को संबोधित करता है. पहला यह है कि क्या टीके के परिणाम अलग-अलग होते हैं, यदि व्यक्ति पहले से ही संक्रमित थे और टीकाकरण की पहली खुराक से पहले कोविड से ठीक हो गए थे या नहीं? दूसरा प्रश्न एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करने की उनकी क्षमता के संदर्भ में दो टीकों की सापेक्ष शक्ति के बारे में था.
अध्ययन में पाया गया कि कोविशील्ड की पहली और दूसरी खुराक के बाद सेरोनिगेटिव व्यक्तियों में एंटीबॉडी की सांद्रता 2.1 और 7.6 गुना बढ़ गई, लेकिन कोवैक्सीन में एंटीबॉडी का इतना उच्च स्तर नहीं मिला.