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WHO Report: भारत में बढ़े रहे Viral Hepatitis के मामले, कैसे कर सकते हैं खुद का बचाव और क्या हैं इसके लक्षण 

हैपेटाइटिस बी को उल्टी और पीलिया जैसे लक्षण से पहचाना जा सकता है. इसमें इन्फेक्शन बहुत तेजी से फैलता है और लिवर को खराब कर देता है. जबकि हेपेटाइटिस सी पीलिया और थकान जैसे लक्षणों के साथ दिखता है,

Viral Hepatitis (Photo: Unsplash) Viral Hepatitis (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • दुनियाभर में करोड़ों लोग हो रहे इससे पीड़ित 

  • ट्रीटमेंट सबतक पहुंचना है बहुत जरूरी 

भारत के सामने असंख्य स्वास्थ्य चुनौतियां हैं. लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा मामले वायरल हेपेटाइटिस के आ रहे हैं. इसे लेकर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2024 जारी की है. इसके अनुसार, 2.9 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से और 0.55 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं. इनमें से भारत दुनिया भर में वायरल हेपेटाइटिस के सबसे अधिक मामलों से जूझ रहा है.

भारत में आ रहे कई मामले 

अकेले 2022 में, हेपेटाइटिस बी के 50,000 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. वहीं हेपेटाइटिस सी के 1.4 लाख नए मामले सामने आए, जिससे 1.23 लाख लोगों की जान चली गई. इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे मां से बच्चे में ट्रांसमिट हो जाना, ब्लड ट्रांसफ्यूजन या इंजेक्शन शेयर करना आदि शामिल हैं. 

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हेपेटाइटिस बी और सी में क्या होता है?

हेपेटाइटिस बी को उल्टी और पीलिया जैसे लक्षण से पहचाना जा सकता है. इसमें इन्फेक्शन बहुत तेजी से फैलता है और लिवर को खराब कर देता है. जबकि हेपेटाइटिस सी पीलिया और थकान जैसे लक्षणों के साथ दिखता है, कई इन्फेक्टेड लोग असिम्प्टोमेटिक होते हैं, जिसकी वजह से समय से इसका नहीं पता चल पाता है. 

दुनियाभर में करोड़ों लोग हो रहे इससे पीड़ित 

विश्व स्तर पर, वायरल हेपेटाइटिस हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोगों की जान लेता है. ये टीबी से होने वाले मौतों के बराबर है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में अनुमानित 304 मिलियन लोग हेपेटाइटिस बी और सी से जूझ रहे हैं. इन मामलों को रोकने के लिए जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर ठोस कार्रवाई की जाए.

इलाज कवरेज है बहुत कम 

सस्ती कीमत पर जेनेरिक दवाओं और ट्रीटमेंट की उपलब्धता के बावजूद, भारत में हेपेटाइटिस बी के केवल 2.4% मामलों और हेपेटाइटिस सी के 28% मामलों का ही निदान किया जाता है. इससे भी सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इलाज का कवरेज बहुत ही कम है. इसमें हेपेटाइटिस बी के लिए ट्रीटमेंट पाने वाले बहुत कम हैं जबकि हेपेटाइटिस सी के लिए 21% हैं.

ट्रीटमेंट सबतक पहुंचना है बहुत जरूरी 

लिवर और बिलियरी साइंस संस्थान के वाइस चांसलर डॉ. एसके सरीन ने इसके रोकथाम और ट्रीटमेंट के बारे में इंडियन एक्सप्रेस को बताया है. डॉ. एसके सरीन के मुताबिक, चूंकि हेपेटाइटिस बी मुख्य रूप से मां से बच्चे में फैलता है, इसलिए इसके लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. साथ ही जांच को लेकर भी लोगों को जागरूक रहना चाहिए. इसके अलावा, एचआईवी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के समान, हेपेटाइटिस बी और सी दोनों के लिए उपचार तक पहुंच बहुत जरूरी है. वायरल हेपेटाइटिस के स्वास्थ्य बोझ को कम करने के लिए इसको लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है.