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Covid Vaccine: कोरोना वैक्सीन को लेकर WHO का नया सुझाव, बूस्टर लगने के 12 महीने बाद फिर लेनी होगी वैक्सीन!

डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बार फिर से सुझाव दिया है. संगठन का कहना है कि ज्यादा जोखिम वाली आबादी में कोरोना वैक्सीन के बूस्टर के बाद भी एक और वैक्सीन डोज की जरूरत है.

कोरोना वैक्सीन कोरोना वैक्सीन
हाइलाइट्स
  • ज्यादा जोखिम वाली जगह पर बूस्टर भी नहीं है प्रभावशाली

  • बूस्टर के 6 महीने बाद है वैक्सीन की जरूरत

कोरोना वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन कई बार अलग सुझाव दे चुका है. पहले वैक्सीन का पहला डोज, फिर दूसरा, फिर बूस्टर और अब वैक्सीन को लेकर डब्ल्यूएचओ ने एक और सुझाव दिया है. संगठन का कहना है कि ज्यादा जोखिम वाली आबादी को उनके आखिरी बूस्टर के डोज के बाद एक और वैक्सीन की खुराक लेनी चाहिए.

किन लोगों के जरूरी है वैक्सीन
उच्च जोखिम वाली आबादी से डब्ल्यूएचओ ने वृद्ध वयस्कों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जोखिम कारकों वाले युवा लोगों के रूप में परिभाषित किया है. डब्ल्यूएचओ ने उम्रदराज और जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है, उन लोगों को बस्टूर शॉट के 6 या 12 महीने बाद वैक्सीन के एक एक्स्ट्रा शॉट लेने का सुझाव दिया है.

लो प्रायोरिटी में आते हैं ये लोग
डब्ल्यूएचओ ने स्वस्थ बच्चों और किशोरों सहित समूह को "कम प्राथमिकता" की कैटेगरी में रखा है. साथ ही संगठन ने देशों से सिफारिश की है, कि वो इन लोगों को वैक्सीन देने से पहले बीमारी की गंभीरता पर विचार करें. वैसे को कोरोना महामारी को लेकर हर देश का अलग-अलग दृष्टिकोण है. यूनाइटेड किंगडम और कनाडा जैसे कुछ उच्च आय वाले देशों ने पहले से ही इस ज्यादा जोखिम वाले लोगों को कोविड-19 के बूस्टर डोज के 6 महीने बाद टीका लगाना शुरू कर दिया है.

ज्यादा जोखिम वाली जगह पर बूस्टर भी नहीं है प्रभावशाली
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह केवल उन लोगों के लिए विकल्प है, जिन लोगों को कोविड होने का ज्यादा खतरा है. लेकिन वैश्विक स्तर पर ये काफी अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. एजेंसी ने कहा कि उसके विशेषज्ञों की समिति ने यह भी कहा था कि प्रारंभिक श्रृंखला से परे COVID के लिए अतिरिक्त बूस्टर टीके - दो शॉट्स और एक बूस्टर - अब "मध्यम जोखिम" वाले लोगों के लिए नियमित रूप से प्रभावशाली नहीं माने जा सकते हैं.