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People Hide Illness From Others: बीमार होते हुए भी खुद को बताते हैं फिट? कोरोना महामारी के बाद बढ़ रहा खुद को ठीक बताने का ट्रेंड, रिसर्च में आया सामने

नए शोध से पता चलता है कि बीमारी को छुपाना और दिन भर काम करते रहना आम बात है. हो सकता है आपने भी ऐसा किया हो. कोरोना महामारी के बाद से बीमारी को छुपाने का ट्रेंड ज्यादा बढ़ा है.

(Representational image) (Representational image)
हाइलाइट्स
  • दूसरों से अपनी बीमारी शेयर नहीं करते लोग

  • कोविड के बाद बीमारी छुपाने का ट्रेंड बढ़ा

हम सभी अपनी बीमारी छुपाते हैं, बेशक लक्षण सब जाहिर कर देते हैं लेकिन अगर कोई आपसे सेहत को लेकर सवाल करता है तो आपका जवाब 'ठीक है' ही होता है. किसी को डिप्रेशन की बीमारी है. तो, कोई एड्स से पीड़ित है. किसी को कैंसर है तो किसी को मिर्गी. चाहे गले में खराश के साथ ऑफिस जाना हो या बंद नाक के साथ टीम मीटिंग का हिस्सा बनना, हम अक्सर अस्वस्थ महसूस करने के बाद भी खुद को स्वस्थ दिखाने की कोशिश में लगे रहते हैं. 
दूसरों से अपनी बीमारी शेयर नहीं करते लोग
जाने-अनजाने आपके साथ भी ऐसा कोई पल जरूर आया होगा. साइकोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि यह व्यवहार असामान्य नहीं है, ज्यादातर लोग अपनी बीमारी के बारे में छुपाते ही हैं.

रिसर्च में कहा गया है कि जब लक्षण ज्यादा गंभीर और संक्रामक होते हैं तो लोग अपने लक्षणों को भी छिपाते हैं. न केवल नियमित सर्दी या फ्लू बल्कि गंभीर बीमारियों को भी लोग दूसरों से बताना नहीं चाहते हैं.

100 करोड़ लोग अपनी बीमारी छिपा रहे
शोधकर्ताओं ने इस सामाजिक व्यवहार के पीछे की वजह जानने की कोशिश की. शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका कोई एक कारण नहीं है लोग अक्सर जज किए जाने के डर और लोगों की निंदात्‍मक सोच के कारण अपनी बीमारी छुपाते हैं.

लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने अपनी परेशानी बता दी, तो उन्हें काम करने के मौके नहीं मिलेंगे. ऑफिस में भेदभाव होगा. समाज में बीमार व्यक्ति को कमजोर माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 100 करोड़ लोग ऐसे हैं जो बीमारी छुपाते हुए जी रहे हैं. 

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कोविड के बाद बीमारी छुपाने का ट्रेंड बढ़ा
मनुष्य स्वाभाविक रूप से सामाजिक प्राणी हैं. सामाजिक स्वभाव हमें अपनी बीमारी छुपाने के लिए प्रेरित करता है. एक संक्रामक बीमारी को रोकने का सबसे बड़ा जरिया है खुद को अलग-थलग कर देना. यह कोविड 19 के दौरान आइसोलेशन के दिनों की याद दिलाता है. वित्तीय दबाव या कार्य प्रतिबद्धता भी लोगों को अपनी बीमारी को छिपाने के लिए प्रेरित करती है. कोरोना महामारी के बाद से बीमारी को छुपाने का ट्रेंड ज्यादा बढ़ा है. 

हालांकि शोधकर्ताओं ने असहजता के बावजूद बीमारी और लक्षणों पर बात किए जाने की सिफारिश की है. सच साझा करना आपको जिम्मेदार बनाता है और दिल के रोगियों और वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों जैसे कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में बीमारी के संक्रमण को रोकता है.