हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है. इस दिन पोलियो की वैक्सीनेशन का महत्त्व बताया जाता है और पोलियो दूर करने के लिए इस लड़ाई में उन देशों का साथ दिया जाता है जो अब भी पोलियो से जूझ रहे हैं. बता दें कि भारत को जनवरी 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था और ऐसा इसके प्रभावी टीकों से ही संभव हो पाया है. आइए जानते हैं पोलियो डे के बारे में कुछ जरूरी जानकारी.
क्यों मनाया जाता है पोलियो दिवस
विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्टूबर को जोनास साल्क के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट थे. जिन्होंने दुनिया का पहला सुरक्षित और प्रभावी पोलियो वैक्सीन बनाने में मदद की थी. डॉक्टर जोनास साल्क ने साल 1955 में 12 अप्रैल को पोलियो से बचाव की दवा को सुरक्षित करार दिया था और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था. एक समय यह बीमारी सारी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी और डॉ. साल्क ने इसके रोकथाम की दवा इजाद करके मानव जाति को इस घातक बीमारी से लड़ने का हथियार दिया था.
क्या है पोलियो बीमारी
पोलियो या पोलियोमेलाइटिस, एक अपंग यानी दिव्यांग करने वाली घातक बीमारी है. पोलियो वायरस के कारण यह बीमारी होती है. व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला कर सकता है, जिससे पक्षाघात होने की आशंका होती है. पक्षाघात की स्थिति में शरीर को हिलाया नहीं जा सकता और व्यक्ति हाथ, पैर या अन्य किसी अंग से दिव्यांग हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों और विभिन्न देशों की सरकारों की दृढ़ता के साथ टीकाकरण अभियान ने दुनिया को पोलियो से बचाया.
पोलियो के लक्षण
1. पोलियो से संक्रमित लगभग 72 फीसदी लोग किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं करते हैं.
2. गले में खराश.
3. बुखार.
4. सिर दर्द.
5. पेट दर्द.
6. उल्टी.
7. डायरिया.
8. थकावट.
9. गर्दन और पीठ में अकड़न.
10. मांसपेशियों में दर्द.
11. पैरों या हाथों को हिलाने में तकलीफ.
12. पैरालिसिस.
कैसे फैलता है पोलियो
1. टॉयलेट जाने के बाद हाथों को अच्छे से न धोना.
2. गंदा पानी पीना या उसमें खाना बनाना.
3. संक्रमित व्यक्ति के थूक, लार या मल के संपर्क में आना.
4. गंदे पानी में तैरने से.
5. गंदा खाना खाने से.
क्या है बचाव का तरीका
पोलियो से बचाव का एक मात्र तरीका उसकी वैक्सीन है. भारत में ओरल पोलियो वैक्सीन दी जाती है. पोलियो ड्रॉप्स हर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पिलाई जाती है.
दो तरह की पोलियो वैक्सीन का हुआ है इजाद
दुनियाभर में पोलियो का मुकाबला करने के लिए दो तरह की पोलियो वैक्सीन का इजाद हुआ. पहला जोनास सॉल्क ने विकसित किया था. जिसका साल 1952 में पहला परीक्षण किया गया और 12 अप्रैल 1955 को इसे प्रमाणित कर दुनियाभर में उपयोग के लिए प्रस्तुत किया गया. यह निष्क्रिय या मृत पोलियो वायरस की खुराक थी. वहीं, एक ओरल टीका अल्बर्ट साबिन ने भी तनु यानी कमजोर किए गए पोलियो वायरस का उपयोग करके विकसित किया था, जिसका साल 1957 में परीक्षण शुरू हुआ और 1962 में लाइसेंस मिला. सबसे पहले टीका विकसित करने के लिए दुनिया डॉक्टर साल्क का योगदान याद करती है.