हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है. इस दिन को लोगों को डिसऑर्डर के प्रति जागरूक किया जाता है, ताकि लोग ऑटिज्म (Autism) से ग्रस्त लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे सके. जिससे पीड़ित व्यक्ति की लाइफ को बेहतर बनाने में मदद मिल सके और वह भी समाज में बेहत जीवन बीता सकें.
यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जो बच्चों के दिमाग में बदलाव की वजह से होता है. वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे के दिन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से जुड़ी सभी अहम जानकारियों के बारे में लोगों को सजग बनाने की कोशिश की जाती है. आइए जानते हैं कि ऑटिज्म क्या होता है और इसके लक्षण क्या है.
क्या होता है ऑटिज्म
ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जो बचपन से शुरू होती है. जिसमें व्यक्ति के वर्बल और नॉन वर्बल कम्युनिकेशन, इमेजिनेशन और सोशल इंटरेक्शन पर बुरा असर पड़ता है. इसके ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder) भी कहा जाता है.इसे ठीक नहीं किया जा सकता है, इसलिए यह डिसऑर्डर जीवनभर रहता है.
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का पता बचपन में ही पता चल जाता है, लेकिन कई बार इसका पता लगने में समय लग जाता है. दरअसल इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर बिहेवियरल टेस्ट की मदद लेते हैं. वहीं, इसका पता लगाने का कोई दूसरा तरीका नहीं है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 100 बच्चे में से 1 बच्चे को ऑटिज्म है.
ये है ऑटिज्म के लक्षण
वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे 2024 की थीम
इस साल वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे का थीम 'एम्पावरिंग ऑटिस्टिक वॉयस' पर मनाया जा रहा है. जिसका उद्देश्य इससे पीड़ित लोगों को ज्यादा सपोर्ट और शक्ति प्रदान करना है. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चिक किया जा सके कि वह एक अच्छा जीवन जीने के साथ ही एक सफल करियर भी बना सकें. इनका जीवन बेहतर हो इसके लिए हर साल नए थीम पर इस दिन को मनाया जाता है.
वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे का इतिहास
यूनाइटेड नेशन के जरिए 1 नवंबर 2007 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसमें कहा गया था कि ऑटिस्टिक लोगों को समाज से जोड़ने के लिए सबसे पहले इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है. जिसके बाद यूएन जनरल असेम्बली के इस प्रस्ताव को 18 दिसंबर 2007 को स्वीकार कर लिया गया. जिसके बाद हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day 2024) मनाया जाता है.