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पुरुषों के मुकाबले महिलाएं तेज़ी से हो रही हैं मोटापे का शिकार, इस राज्य की महिलाएं हैं सबसे ज्यादा मोटी

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में मुस्लिम महिलाओं में मोटापा सबसे ज्यादा है. रिसर्च में इस बात का भी खुलासा है कि ग्रामीण महिलाओं के मुकाबले में शहरी महिलाओं में मोटापा ज्यादा है.

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हाइलाइट्स
  • भारत के दक्षिणी राज्यों में 15-49 वर्ष की महिलाओं में मोटापे पर शोध

  • इस रिसर्च में 120 जिले शामिल हैं.

महिलाओं में मोटापा आजकल एक आम समस्या है, आंकड़े बताते हैं कि शहरों में करीब 48 फीसद औरतें मोटापे (Obesity) का शिकार हैं. अब औरतों में मोटापे को लेकर एक ताजा रिसर्च से ये पता चला है कि तमिलनाडु की औरतें सबसे ज्यादा मोटापे का शिकार हो रही हैं. तमिलनाडु में महिलाओं में मोटापे का आंकड़ा 9.5% वहीं कर्नाटक 6.9% के साथ दूसरे नंबर पर है जबकि केरल- 5.7% के साथ तीसरे नंबर पर है.

इस रिसर्च के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)  ने 2019 और 2021 के आंकड़ों की तुलना की और ये पाया कि राष्ट्रीय स्तर पर एक चौथाई महिलाएं मोटापे से ग्रस्त (24%) हैं, जो पुरुषों  के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है, बता दें कि पुरुषों  में आकंड़ा 22.9%  है, ये आंकड़े आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में समान है.

इस रिसर्च में भारत के दक्षिणी राज्यों में 15-49 वर्ष की महिलाओं में मोटापे पर शोध किया, इस रिसर्च में 120 जिले शामिल हैं. इसमें तेलंगाना में 31 जिले, कर्नाटक में 30, आंध्र प्रदेश में 13, केरल में 14 और तमिलनाडु में 32 जिले हैं. इस रिसर्च में  गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है.  

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, उन वयस्कों को ज्यादा वजन का माना जाता है जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से ज्यादा या उसके बराबर है. 

रिसर्च से ये बात भी पता चलती है कि ग्रामीण महिलाओं के मुकाबले में शहरी महिलाओं में मोटापा ज्यादा है. आंकड़ों से इस बात का भी पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर, महिलाओं में मोटापे की व्यापकता ईसाइयों (31.2%) में सबसे ज्यादा है. 

वहीं दक्षिणी राज्यों में, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना में मुस्लिम महिलाओं में मोटापा सबसे ज्यादा है. शोध में इस बात का जिक्र है कि ये  पाया गया कि चिंता का कारण है, क्योंकि रिसर्च में सभी दक्षिणी राज्यों में मोटापे के स्तर को राष्ट्रीय औसत से ज्यादा पाया गया है. 

सामाजिक श्रेणी के आधार पर भारतीय महिलाओं में मोटापे का स्तर कुछ इस तरह है. अन्य पिछड़ा वर्ग -24.6%, अनुसूचित जाति - 21.6% और अनुसूचित जनजाति -12.6% के बाद अन्य - 29.6% .  डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में 1975 के बाद से मोटापे के मामले तीन गुना हो गए हैं.