एक महिला का जीवन अपने करियर के मैनेजमेंट से लेकर अपने परिवार की देखभाल तक अलग-अलग जिम्मेदारियों से घिरा रहता है. इन भूमिकाओं के बीच, महिलाओं के लिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना मुश्किल हो जाता है. लेकिन कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें उन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. हालांकि, स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना हर महिला के लिए एक बुनियादी लक्ष्य होना चाहिए, जिसमें नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और उचित पोषण शामिल है. संभावित समस्याओं का तुरंत पता लगाया जा सके इसके लिए नियमित हेल्थ चेकअप बेहद जरूरी है.
महिलाओं के लिए कई स्क्रीनिंग टेस्ट जरूरी है. महिलाओं में हार्मोनल और सामाजिक तत्व उनकी उम्र के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. जिसके कारण वे कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं. यहां हम आपको ऐसे मेडिकल टेस्ट की लिस्ट बता रहे हैं जो हर महिला को करवाने चाहिए.
1. ब्रेस्ट कैंसर की जांच
ब्रेस्ट कैंसर की जांच में क्लीनिकल एग्जाम और स्क्रीनिंग मैमोग्राम शामिल होते हैं. अगर आपकी उम्र 18 से 39 साल के बीच है तो आपको डॉक्टर के पास जाकर क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन जरूर करवाना चाहिए. 40 साल से 44 साल की महिलाएं हर साल स्क्रीनिंग शुरू करना चुन सकती हैं. वहीं अगर कोई 55 साल से ज्यादा उम्र की महिला है तो उन्हें हर 2 साल में मैमोग्राम कराना चाहिए.
वहीं, हर उम्र में महिलाओं के लिए सेल्फ-ब्रेस्ट एग्जामिनेशन जरूरी है. अगर आपके परिवार में पहले किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है तो स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है.
2. सर्वाइकल कैंसर की जांच
सर्वाइकल कैंसर की जांच में पैप स्मीयर और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) टेस्ट शामिल हैं. सर्वाइकल कैंसर के खतरे के बारे में जानने के लिए आप डॉक्टर के पास जा सकती हैं. अगर आपकी उम्र 21 साल से ज्यादा है तो आपको नियमित पेल्विक जांच के साथ-साथ हर तीन साल में कम से कम एक बार पैप स्मीयर किया जाना चाहिए. पैल्विक एग्जामिनेशन वजाइना, फैलोपियन ट्यूब, यूट्रस, वल्वा और फैलोपियन ट्यूब्स की जांच करने में भी सहायता करता है.
3. थायरॉयड फंक्शन टेस्ट
थायरॉयड ग्लैंड दो हार्मोन का उत्पादन करता है, जिन्हें थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) के नाम से जाना जाता है. ये हमारे मेटाबॉलिज्म को मैनेज करने में मदद करते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं थायरॉयड डिसऑर्डर से ज्यादा प्रभावित होती हैं. थायराइड हार्मोन या हाइपोथायरायडिज्म का लेवल अगर कम है तो इससे आपका मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है. इससे आपको थकान, ड्राई स्किन, वजन बढ़ना और पीरियड्स गड़बड़ हो जाना जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं. जबकि थायराइड या हाइपरथायरायडिज्म का लेवल ज्यादा होता है तो दिल की धड़कन बढ़ सकती है, स्ट्रेस होना, वजन कम होना, सोने में कठिनाई आदि हो सकती है.
4. विटामिन की कमी के लिए टेस्ट
कई रिपोर्टों से पता चलता है कि भारतीय महिलाओं में विटामिन डी और B12 की ज्यादा कमी होती है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो महिलाएं प्रेग्नेंट होने की योजना बना रही हैं या गर्भवती हैं, उनके लिए विटामिन बी12 की कमी गंभीर परिणाम पैदा कर सकती है. इसके अलावा, विटामिन डी का लेवल हड्डियों के स्वास्थ्य और कैल्शियम के लिए जरूरी है. इसलिए, आपको डॉक्टर से चेकिंग करवाने की सलाह दी जाती है.
5. ब्लड प्रेशर की स्क्रीनिंग
महिलाओं में कई हार्मोनल और लाइफस्टाइल कारक बीमारियां पैदा कर सकते हैं. इतना ही नहीं दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. अगर आपकी उम्र 20 साल से ज्यादा है तो जरूरी है कि आप ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग करवाएं. अगर आपका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 से 139 तक है, या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 से 89 mm Hg तक है, तो आपको हर साल इसकी जांच करानी चाहिए.
6. डायबिटीज की जांच
अगर आपकी उम्र 45 साल के आसपास है तो आपको डायबिटीज या प्री-डायबिटीज की जांच के लिए हर तीन साल में ब्लड ग्लूकोज टेस्ट करवाना चाहिए. इतना ही नहीं बल्कि अगर आपका ब्लड प्रेशर 135/80 से ऊपर है या कोलेस्ट्रॉल का लेवल ज्यादा है तो भी आप डायबिटीज की जांच करवाएं. अगर आपका कोई पारिवारिक इतिहास रहा है या बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25 से अधिक है तो भी चेकअप करवाएं.
7. लिपिड पैनल टेस्ट
लिपिड पैनल काफी जरूरी है क्योंकि यह आपके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल की जांच करने में मदद करता है और दिल से जुड़ी बीमारियों या स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए एक डिवाइस के रूप में काम करता है. अगर आपकी उम्र 20 साल से ज्यादा है तो आपको पांच साल में कम से कम एक बार अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए. अगर आपका वजन आसानी से बढ़ जाता है या डाइट में लगातार बदलाव हो रहा है तो फुल बॉडी चेकअप भी कराएं.
इन टेस्ट के अलावा, महिलाओं को अपने स्वास्थ्य में किसी भी नए लक्षण या बदलाव के प्रति सतर्क रहना चाहिए. मेनोपॉज के बाद और बुजुर्ग महिलाएं विशेष रूप से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी कुछ स्थितियों के प्रति संवेदनशील होती हैं. ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ नियमित जांच जरूरी है. हालांकि, स्क्रीनिंग से बीमारियों को पूरी तरह नहीं रोका जा सकता है, लेकिन जल्दी पता लगने से सफल उपचार का सबसे अच्छा मौका मिलता है.
इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, आइए महिलाओं के स्वास्थ्य का जश्न मनाएं और प्रत्येक महिला को आत्म-देखभाल को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करें.