डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है. दिल्ली के ओखला में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के डॉक्टर भी भगवान साबित हुए हैं. यहां के डॉक्टरों ने किर्गिस्तान की एक महिला मरीज का ऑटो-लीवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया है. दरअसल इस महिला का लीवर एक दुर्लभ पैरासाइटिक इंफेक्शन के कारण 70% तक खराब हो गया था.
क्या होता है ऑटो-लिवर ट्रांसप्लांट?
ऑटो-लिवर ट्रांसप्लांट के लिए ऐसे लीवर की आवश्यकता होती है जो कम से कम 35-40% स्वस्थ हो. एक ऑटो ट्रांसप्लांट के दौरान, लिवर को सर्जरी से शरीर से हटा दिया जाता है, जिसके बाद रोगग्रस्त हिस्से को हटा दिया जाता है और एक घोल में संरक्षित किया जाता है. क्षतिग्रस्त नसों को ऑटोलॉगस नसों के साथ पुनर्निर्मित किया जाता है और लीवर को सर्जरी से ही वापस लगा दिया जाता है.
भारत का दूसरा मामला है ये
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के जोनल डायरेक्टर बिदेश चंद्रपॉल ने दावा किया कि "भारत में ऑटो लिवर ट्रांसप्लांट का यह दूसरा मामला है. इससे जुड़े जोखिम कारकों को देखते हुए यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण मामला था. हालांकि, डॉ विवेक विज के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने सभी मापदंडों का आकलन किया और प्रक्रिया को अच्छी तरह से अंजाम दिया. अस्पताल ने कहा कि 35 वर्षीय अल्टनाई तेंतिमिशोवा को आठ घंटे तक चली सर्जरी के सात दिन बाद छुट्टी दे दी गई. फरवरी में ये सर्जरी की गई थी.
70% लिवर हो गया था खराब
लिवर ट्रांसप्लांट के अध्यक्ष डॉ विज ने इसे सबसे जटिल प्रक्रियाओं में से एक बताते हुए कहा कि अल्टनाई इचिनोकोकोसिस मल्टीलोक्युलेरिस नामक परजीवी संक्रमण से पीड़ित थे. उन्होंने कहा कि रोगी का शुरू में किर्गिस्तान में चिकित्सीय मूल्यांकन किया गया था और पता चला कि वह इचिनोकोकोसिस मल्टीलोक्युलैरिस से पीड़ित है, जिसने धीरे-धीरे उनके लीवर पर आक्रमण किया. चूंकि लगभग 70% लीवर क्षतिग्रस्त हो गया था, इसलिए लीवर प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचा था. एस्कॉर्ट्स में एक सीटी स्कैन किया गया, जिसमें संक्रमण की उपस्थिति की पुष्टि की गई, और उसका लीवर विफल हो चुका है. उसके बाद डॉक्टरों ने ऑटो-लीवर ट्रांसप्लांट का फैसला किया क्योंकि एक जीवित डोनर उपलब्ध नहीं था और कैडेवर डोनेशन संभव नहीं था क्योंकि मरीज विदेशी था.
8-10 रुपए होती है लागत
डॉ. विज ने कहा, "ऑपरेशन के बाद मरीज तेजी से ठीक हुआ और बिना किसी इम्यूनो सप्रेसेंट दवाओं के उसे स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई, जो आमतौर पर अंग प्रत्यारोपण के बाद आवश्यक होता है." उन्होंने कहा कि सर्जरी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि लिवर आसपास के महत्वपूर्ण स्ट्रक्चर के साथ फंस गया था और जटिलताओं और रक्तस्राव के साथ-साथ महत्वपूर्ण अंगों को चोट लगने का खतरा था. डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह के प्रत्यारोपण की लागत लगभग 8-10 लाख रुपये है, जो कि निजी क्षेत्र के अस्पताल में सामान्य लीवर प्रत्यारोपण से 50% कम है.
क्या है इचिनोकोकोसिस मल्टीलोक्युलेरिस?
इचिनोकोकोसिस मल्टीलोक्युलेरिस एक दुर्लभ स्थिति है, जिसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह फेफड़े, गुर्दे, बड़ी रक्त वाहिकाओं और आंतों को प्रभावित कर सकती है. "इस बीमारी के अधिकांश मामलों में, रोगी को ठीक करने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट ही एक ऑप्शन है. डॉ विज का कहना है कि, "इस विशेष मामले में, हमने एक नई तकनीक - ऑटो-लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प चुना. दरअसल रोगी के अपने लिवर के एक हिस्से का उपयोग करना ज्यादा ठीक होता है क्योंकि इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है."