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World Anaesthesia Day 2023: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे...पहले कैसे होती थी सर्जरी, कितने प्रकार के एनेस्थीसिया होते हैं क्या है थीम, जानिए

सर्जरी से पहले मरीज को डॉक्टर एक दवा देते हैं जिसे Anaesthesia कहा जाता है. इससे मरीज को दर्द का एहसास नहीं होता है. एनेस्थीसिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को World Anaesthesia Day 2023 मनाया जाता है.

World Anaesthesia Day World Anaesthesia Day

हर साल, ग्लोबल हेल्थ कम्यूनिटी स्वास्थ्य देखभाल में एनेस्थीसिया की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाता है. यह एनेस्थेटिस्टों को सम्मानित करने का भी दिन है, जिन्हें एनेस्थेसियोलॉजिस्ट भी कहा जाता है, जो मरीजों को दर्द रहित सर्जरी करवाने में मदद करते हैं. यह दिन एनेस्थीसिया प्रैक्टिस में निरंतर सुधार और सर्जिकल और चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान रोगियों की देखभाल और आराम सुनिश्चित करने के लिए एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के अथक प्रयासों की याद दिलाता है. आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में एनेस्थीसिया की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानना और इस दिन उन पेशेवरों को श्रद्धांजलि देना महत्वपूर्ण है जो इसे सुरक्षित रूप से प्रदान करने के लिए इतनी मेहनत करते हैं. 

क्या है तारीख?
इस वजह से हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे मनाया जाता है. स्वास्थय सेवाओं में एनेस्थीसिया कितनी अहम भूमिका निभाता है और यह कितना जरूरी है इस बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश की जाती है.

पहली बार कब हुआ था इस्तेमाल
सबसे पहली बार आज ही के दिन साल 1846 में एनेस्थीसिया का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया था. इस दिन इथर का एनेस्थीसिया की तरह कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इसका सफलता पूर्वक प्रयोग करके दिखाया गया था. इस वजह से कई देशों में इसे इथर डे भी कहा जाता है. मेडिकल लाइन की इस बड़ी उपलब्धी को याद करने के लिए यह दिन मनाया जाता है. विश्व एनेस्थीसिया दिवस की स्थापना वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (डब्ल्यूएफएसए) द्वारा की गई थी. इस घटना के परिणामस्वरूप एनेस्थीसिया का अभ्यास शुरू हुआ. साल 1903 से, इस ऐतिहासिक दिन को मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं. इसे चिकित्सा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में जाना जाता है और यह मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के एक ऑपरेटिंग थिएटर में हुआ था. एनेस्थीसिया का एक अन्य पहलू वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट (डब्ल्यूएफएसए) के वार्षिक सम्मेलन का विषय है, और दुनिया भर में संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

क्या है इस बार की थीम?
इस साल की थीम है “एनेस्थीसिया और कैंसर केयर” है. इस थीम के जरिए कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया की अहम भूमिका के बारे में बताने की कोशिश की गई है. भविष्य में कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया के सुरक्षित इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भी इस थीम को चुना गया है. एनेस्थीसिया की मदद से बिना किसी दर्द के सर्जरी करना संभव हो पाया है, जो कि मेडिकल साइंस के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है. 

क्या होता है एनेस्थीसिया का काम
सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया की दवा दी जाती है. इसके बाद दवा मरीज के दिमाग के साथ गुजरने वाली नसों के संकेत को सुन्न करने का काम करती हैं. एनेस्थीसिया की दवा के प्रयोग के बाद मरीज बेहोशी महसूस करता है. उसे किसी प्रकार के दर्द और कष्ट का अहसास नहीं होता है

कितने प्रकार के एनेस्थीसिया होते हैं

एनेस्थीसिया मुख्य तौर पर तीन प्रकार के होते हैं.

1. लोकल एनेस्थीसिया: इसका इस्तेमाल शरीर के किसी खास हिस्से में मामूली सर्जरी के लिए किया जाता है.
2. जनरल एनेस्थीसिया: इसके उपयोग से रोगी की मांसपेशियों सुन्न हो जाता है. गंभीर चोट लगने पर या लम्बे समय तक चलने वाले ऑपरेशन में जनरल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया जाता है.
3. रीजनल एनेस्थीसिया: रीजनल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल पेट जैसे शरीर के बड़े हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है.

पहले कैसे होती थी सर्जरी
पहले सर्जरी बहुत जल्दी नहीं होती थी. इसे टालने की कोशिश की जाती थी क्योंकि इस दौरान मरीज को असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता था. इसके बाद ओपियम और मैन्ड्रेक से जूस को मरीज के शरीर पर लगाकर सर्जरी किया जाना शुरू किया गया. लेकिन ये उतना कारगर नहीं था क्योंकि इससे दर्द थोड़ा कम होता था. इसके अलावा एक डवेल नाम के जूस का भी इस्तेमाल किया जाता था, जिसे पीकर मरीज सो जाता था और तब सर्जरी की जाती थी. इसके बाद 1600 के आस-पास ओपियम और एल्कोहल को मिलाकर एक लिक्विड बनाया जाने लगा, जिससे दर्द से राहत मिलती थी. इसका असर बहुत कम समय के लिए ही होता था, जिस कारण से डॉक्टरों को बहुत जल्दी सर्जरी खत्म करनी पड़ती थी. इसके बाद 1846 में पहली बार इथर का एनेस्थीसिया की तरह इस्तेमाल किया जाता. इसके बाद 1848 में सर्जरी के दौरान दर्द कम करने के लिए क्लोरोफॉर्म का इस्तेमाल किया गया. इस तरह कई एक्सपेरिमेंट के बाद मॉडर्न एनेस्थीसिया की खोज हुई, जिसने सर्जरी को इतना आसान बना दिया है कि मरीजों को ऑपरेशन के दौरान दर्द का एहसास तक नहीं होता.