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World Asthma Day पर जानें इस बीमारी से जुड़े 5 मिथक और इनकी सच्चाई

अस्थमा से दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हैं. अस्थमा बचपन से लेकर बुढ़ापे में कभी भी हो सकता है. भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की मौत होती है. वहीं दुनिया में हर साल 4 लाख 61 हजार लोगों की मौत अस्थमा से होती है.

Asthma/Image: PTI Asthma/Image: PTI
हाइलाइट्स
  • अस्थमा हमारी सांस की नलियों की बीमारी है.

  • हर दिन लगभग 10 लोग अस्थमा से मरते हैं.

आज विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) है1998 में बार्सिलोना स्पेन में 35 से ज्यादा देशों में पहला विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया था. तब से लेकर हर साल 2 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है. अस्थमा से दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हैं. अस्थमा बचपन से लेकर बुढ़ापे में कभी भी हो सकता है. भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की मौत होती है. वहीं दुनिया में हर साल 4 लाख 61 हजार लोगों की मौत अस्थमा से होती है.

अस्थमा हमारी सांस की नलियों की बीमारी है. जो कि फेफड़ों पर आक्रमण कर श्वसन प्रणाली (Respiratory System) को प्रभावित करती है.

आइए जानते हैं अस्थमा से जुड़े कुछ मिथक और इनकी सच्चाई

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मिथक: अस्थमा एंग्जाइटी डिसऑर्डर है और यह आपके दिमाग में होता है.
सच्चाई: अस्थमा लॉन्ग टर्म क्रॉनिक बीमारी है जो आपके फेफड़ों में होती है, आपके सिर में नहीं.

मिथक: अस्थमा के मरीज एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं.
सच्चाई: अस्थमा के मरीज एक नॉर्मल इंसान की तरह एक्सरसाइज और वर्कआउट कर सकते हैं. हालांकि इन्हें जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज और रनिंग, हैवी वेट लिफ्टिंग जैसी एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए.

मिथक: इनहेलर नशे की लत की तरह है, जिसके इस्तेमाल की आदत लग जाती है.
सच्चाई: इनहेलर कोई नशा नहीं है बल्कि अस्थमा के गंभीर अटैक में इनहेलर ही सबसे अधिक प्रभावी तरीके से काम करता है. इनहेलर के रूप में दवा सीधे वायु मार्ग में पहुंचती है और मरीज को इससे आराम मिलता है. 

मिथक: अस्थमा से पीड़ित लोग नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकते हैं.
सच्चाई: अस्थमा के मरीज बाकी लोगों की तरफ जीवन जी सकते हैं. जिन लोगों को अस्थमा है, वह डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेते रहें, तो उन्हें दिक्कत नहीं होती है.

मिथक: अस्थमा कोई बड़ी बात नहीं है और इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है.
सच्चाई: हर दिन लगभग 10 लोग अस्थमा से मरते हैं. इससे लाखों मरीज और उनके परिवार प्रभावित हैं. इसलिए अस्थमा से डरने की जरूरत नहीं है इस बात में सच्चाई नहीं है. ये फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जो रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है.

अस्थमा के लक्षण

  • खांसी, सीने में जकड़न
  • सांस लेने में घरघराहट
  • होंठ नीले पड़ना, नाखून पीले पड़ना
  • शरीर में थकान होना
  • दुर्गंध भरा पसीना आना

अस्थमा के रोगी रखें ये सावधानियां

अस्थमा में सावधानी बरतना बहुत जरूरी है. अस्थमा के मरीज धूल से बचें, प्रदूषण के दौरान मास्क का इस्तेमाल करें और मौसम बदलने से पहले दवा लेना शुरू कर दें और हमेशा इन्हेलर रखें. आपको उन चीजों से दूरी बनानी होगी जिनकी वजह से अस्थमा ट्रिगर कर सकता है. स्थमा के मरीज बासी खाना या तले हुए पदार्थ न खाएं. अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन भी न करें. अस्थमा के मरीज को शारीरिक गतिविधि का ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा आप एनुअल फ्लू का वैक्सीन भी लगा सकते हैं.