पूरे विश्व में हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में इस दिन को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस घोषित किया था. इसका मकसद लोगों को ऑटिज्म के बारे में जागरूक करना है और उन लोगों को सपोर्ट करना है जो इस विकार से जूझ रहे हैं.
ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है
ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. यह किसी को भी हो सकती है लेकिन बच्चों में यह बीमारी कम उम्र में ही दिखने लगती है. ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों में तीन तरह के विकास बहुत धीमी गति से होते हैं, जिन्हें ट्रायड ऑफ इम्पेयरमेंट कहते हैं. ये वर्बल या नॉन वर्बल कम्युनिकेशन, सोशल इंटरेक्शन, इमेजिनेशन हैं. आसान शब्दों में कह सकते हैं कि ऑटिज्म एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जो किसी व्यक्ति की दूसरों के साथ संवाद करने की क्षमता को प्रभावित करता है. यह विकार बचपन में शुरू होता है.
क्या है उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनुसार, विश्व ऑटिज्म दिवस का उद्देश्य ऑटिस्टिक लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है ताकि वे समाज के अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें. साल 2008 में दिव्यांग लोगों के अधिकारों पर कन्वेंशन लागू हुआ, जिसमें सभी के लिए सार्वभौमिक मानवाधिकारों के मौलिक सिद्धांत पर जोर दिया गया.
नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक
ऑटिज्म का प्रतीक नीले रंग को माना जाता है. ऑटिज्म अवेयरनेस डे पर हर साल प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों को नीले रंग की रोशनी से सजाया जाता है. लाइट इट अप ब्लू विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस 2023 का विषय है. इस वर्ष की थीम लोगों से नीले रंग के कपड़े पहनने और अपने घरों या व्यवसायों में रोशनी चालू करने का आग्रह करती है.
बीमारी के कारण
ऑटिज्म की बीमारी के पीछे वास्तविक कारण क्या है इसका पता अभी तक पूरी तरह से नहीं चल सका है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जन्म के समय होने वाली ऑक्सीजन की कमी भी ऑटिज्म को जन्म दे सकती है. इसके अलावा वायरस या जींस भी ऑटिज्म के पीछे का कारण हो सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान मां को हुई पोषक तत्वों की कमी भी बच्चे को ऑटिज्म का शिकार बना सकती है. आखिर बच्चे ही इस बीमारी के शिकार क्यों होते है? इस बारें में पिलहाल अभी कोई जानकारी नहीं है. यह जेनेटिक या फिर पर्यावरण के कारण भी हो सकता है. इस संबंध में शोधकर्ताओं जन्म से पहले पर्यावरण में मौजूद रसायनों और किसी संक्रमण के प्रभाव में आने के प्रभावों का भी अध्ययन कर रहे हैं. हर व्यक्ति में ऑटिज्म के लक्षण अलग होते हैं, इसलिए हर व्यक्ति को विशेष उपचार देने से ही बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.
ऑटिज्म के लक्षण
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे अपने आप में खोए रहते हैं. वे आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं. उन्हें दूसरों की बातें समझने में भी परेशानी होती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अपने आप में बड़बड़ाते रहते हैं. ये रोबोट की तरह दूसरी की कही बातों को दोहराते हैं. इस भयावह बीमारी से पीड़ित बच्चे किसी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देने से बचते हैं.
ऑटिज्म से बचने के घरेलू उपाय
1. बच्चे संग बातचीत को आसान बनाएं.
2. धीरे-धीरे साफ और आसान शब्दों में बात करें.
3. बच्चे का नाम बार-बार दोहराएं.
4. बच्चे को प्रतिक्रिया के लिए पर्याप्त समय लेने दें.