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World Diabetes Day हर साल 14 नवंबर को क्यों मनाया जाता है, क्या है इस साल की थीम? जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय

वर्ल्ड डायबिटीड डे ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार दुनिया भर में 10 में से 1 इंसान डायबिटीज से पीड़ित है. जिनमें से 90% से अधिक को टाइप-2 डायबिटीज है. भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार हैं. डायबिटीज बीमारी व्यक्ति के शरीर को धीरे-धीरे सुखा देती है.

World Diabetes Day 2023 World Diabetes Day 2023
हाइलाइट्स
  • 1991 में हुई थी वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाने की शुरुआत 

  • डायबिटीज बीमारी शरीर को देती है धीरे-धीरे सुखा 

हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाना है ताकि इससे बचा जा सके. बदलते लाइफस्टाइल में डायबिटीज एक आम बीमारी हो चुकी है और कोई भी आसानी से इसकी चपेट में आ रहा है. एक स्टडी के मुताबिक भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, बचाव के उपाय और वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाने का क्या है इतिहास?

कब से हुई थी इस डे को मनाने की शुरुआत 
वर्ल्ड डायबिटीज डे की शुरुआत 1991 में इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने की थी. इस दिन को मनाने के लिए 14 नवंबर को चुनने के पीछे एक खास वजह है. इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन सर फ्रेड्रिक बैंटिंग का जन्मदिवस है. इन्होंने डायबिटीज के इलाज के लिए इंसुलिन की खोज में बहुत अहम भूमिका निभाई थी. वर्ल्ड डायबिटीड डे को नीले रंग के लोगों से दर्शाया जाता है. इस चिह्न को डायबिटीज अवेयनेस का प्रतीक भी माना जाता है.

क्या है इस साल की थीम
इस साल की थीम एक्सेस टू डायबिटीज केयर रखी गई है. इस थीम के जरिए सबको समान चिकित्सा मिल सके और इस बीमारी के बारे में सही जानकारी मिल सके, इस बात पर जोर दिया गया है.

मधुमेह यानी डायबिटीज क्या है 
डायबिटीज मेलिटस को आमतौर पर डायबिटीज या मधुमेह के रूप में जाना जाता है. दरअसल यह चयापचय रोग है, जो हाई ब्लड शुगर के कारण होता है. इंसुलिन हार्मोन शुगर को खून से कोशिकाओं तक वहां स्टोर करने या ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने के लिए ले जाता है. डायबिटीज में व्यक्ति का शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है, या उस इंसुलिन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. यदि डायबिटीज का सही इलाज न किया जाए तो यह नसों, आंखों, गुर्दे और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. 

मधुमेह कितने प्रकार का होता है 
डायबिटीज या मधुमेह मेटाबॉलिज्म से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति के शरीर को धीरे-धीरे सुखा देती है. व्यक्ति अचानक कमजोर नजर आने लगता है. डायबिटीज आमतौर पर तीन प्रकार की होती है. 

टाइप-1 डायबिटीज: टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है. इस समस्या में इम्यून सिस्टम ही व्यक्ति की पैंक्रियाज में उन उत्तकों पर हमला कर देता है, जो इंसुलिन का उत्पादन करते हैं. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज के उत्तकों पर हमला क्यों करता है.

टाइप-2 डायबिटीज: जब शरीर इंसुलिन का प्रतिरोध करने लगता है तो इसकी वजह से टाइप-2 डायबिटीज होती है. ऐसे में रक्त में शुगर बढ़ने लगती है. यह सबसे आम तरह की डायबिटीज है और 90-95 फीसद मामले टाइप-2 डायबिटीज के ही होते हैं.

जेस्टेशनल डायबिटीज : गर्भवास्था के दौरान हाई ब्लड शुगर को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है. प्लेसेंटा द्वारा इंसुलिन के उत्पादन में रुकावट डालने वाले हार्मोन पैदा करने की वजह से इस तरह का मधुमेह होता है.

डायबिटीज इन्सिपिडस : एक अन्य दुर्लभ स्थिति होती है, जिसे डायबिटीज इन्सिपिडस कहा जाता है, लेकिन इसका डायबिटीज मेलिटस से कोई संबंध नहीं है. हालांकि, इनका नाम मिलता-जुलता जरूर है. यह एक बिल्कुल अलग स्थिति है, जिसमें किडनी ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ को बाहर निकालना शुरू कर देती हैं. हर तरह की डायबिटीज की लक्षण, कारण और इलाज भी अलग तरह के होते हैं.

डायबिटीज के लक्षण 
1. सामान्य से ज्यादा प्यास लगना.
2. बार-बार पेशाब आना.
3. बेवजह वजन कम होना.
4. पेशाब में कीटोन्स की मात्रा बढ़ना.
5. हमेशा कमजोरी और थकान महसूस होना.
6. चिड़चिड़ापन महसूस होना और मूड में बदलाव.
7. धुंधला दिखना.
8. कोई भी चोट या जख्म जल्दी ठीक न होना.
9. स्किन, गम और वैजाइनल सहित कोई भी इन्फेक्शन जल्दी हो जाना.
10. बेहोशी आना.
11. दौरा पड़ना.
12. व्यवहारिक बदलाव

डायबिटीज के कारण
1. डायबिटीज होने की मुख्य वजह अज्ञात है. हालांकि खून में शुगर की मात्रा बढ़ना इसका बड़ा कारण माना जाता है क्योंकि अग्नाशय इसे कंट्रोल वाले हार्मोन इंसुलिन का सही मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता है.
2. सुस्त जीवनशैली यानी किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना.
3. ज्यादा सोना या दिन में भी सोना.
4. बहुत ज्यादा मीठे खाद्य पदार्थ खाना.
5. दही बहुत ज्यादा खाना.
6. बहुत सारी चीजें खाना जोकि कफ बढ़ाती हैं.
7. परिवार से चलती आ रही बीमारी.

डायबिटीज से बचने के लिए क्या करें 
1. फाइबर का सेवन बढ़ा दें.
2. फल-सब्जियां ज्यादा खाएं.
3. एक्सरसाइज करें.
4. वजन कम करें

डायबिटीज का इलाज 
डॉक्टर डायबिटीज का इलाज कुछ अलग-अलग प्रकार की दवाओं के जरिए करते हैं. इनमें के कुछ दवाओं को व्यक्ति आसानी से खा सकता है, जबकि कुछ दवाओं को इंजेक्शन के जरिए सीधे नसों में पहुंचाया जाता है. टाइप-1 डायबिटीज के इलाज में इंसुलिन ही मुख्य इलाज है. यह उस हार्मोन को बदल देता है, जिसे आपका शरीर उत्पादित करने में सक्षम नहीं है. इसमें रैपिड एक्टिंग इंसुलिन, शॉर्ट एक्टिंग इंसुलिन, इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन, लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन, अल्ट्रा लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन, प्रीमिक्स्ड इंसिलिन जैसे उत्पाद मौजूद हैं.

जीवनशैली में बदलाव
कुछ लोगों में डाइट और व्यायाम के जरिए टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है. यदि जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड शुगर का स्तर कम नहीं होता है तो फिर डॉक्टर कुछ तरह की दवाएं देकर आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित करते हैं. यह दवाएं कई तरह से आपके ब्लड शुगर के स्तर को नीचे लाते हैं. कई बार आपको एक से ज्यादा दवाएं लेने की आवश्यकता होती है. टाइप-2 डायबिटीज में भी कुछ लोगों को इंसुलिन की आवश्यकता होती है.

ब्लड शुगर के स्तर पर रखें नजर
यदि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है तो आपको गर्भवास्था के दौरान हर समय अपने ब्लड शुगर के स्तर पर नजर रखनी होगी. इसके लिए आपको दिन में कई बार टेस्ट कराने की आवश्यकता पड़ सकती है. यदि ब्लड शुगर लगातार ऊपर बना रहता है तो आपको खानपान में कुछ बदलाव करने और कुछ व्यायाम करने की सलाह दी जा सकती है. 15-30 फीसद महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता पड़ती है. इंसुलिन गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए सुरक्षित है.