दुनियाभर में कई लोग सिर और गर्दन के कैंसर (Head and Neck Cancer) से जूझ रहे हैं. ये एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है. लाखों लोग इससे प्रभावित हैं. इसी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 27 जुलाई को वर्ल्ड हेड एंड नैक कैंसर डे (World Head and Neck Cancer Day 2023) मनाया जाता है. ये बीमारी एशिया में ज्यादा प्रचलित हैं, जिसमें भारत का एक बड़ा हिस्सा शामिल है. ब्रिटिश डेंटल जर्नल की एक स्टडी के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हर साल सिर और गर्दन के कैंसर (एचएनसी) के 6,60,000 से अधिक नए मामले और 3,25,000 मौतें होती हैं. इसके अलावा, सिर और गर्दन का कैंसर दुनिया भर में सातवां सबसे आम कैंसर है.
भारत में हैं इसके कई मरीज
दरअसल, सिर और गर्दन के कैंसर के लगभग 57.5% मामले एशिया में सामने आए हैं, जिसमें अकेले भारत सभी कैंसर के 30% मामलों में योगदान देता है. दुर्भाग्य से, भारत में 60 से 80% रोगियों में बड़ी संख्या में ये रोग मौजूद हैं, जबकि विकसित देशों में यह 40% है. 2014 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी सोसाइटी ने ये घोषणा की कि हर साल 27 जुलाई को वर्ल्ड हेड एंड नैक कैंसर डे मनाया जाएगा.
सिर और गर्दन का कैंसर कैंसर के एक ग्रुप की और इशारा करता है. ये व्यक्ति के मुंह, गले, नाक, साइनस और सलाइवरी ग्लैंड (salivary glands) में होता है. ये कैंसर जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं. ऐसे में इसके कारणों और लक्षणों को लेकर सभी को जागरूक रहना चाहिए.
सिर और गर्दन के कैंसर के कारण
1. तम्बाकू का उपयोग: सिर और गर्दन के कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक तम्बाकू का उपयोग है, जिसमें सिगरेट, सिगार और पाइप धूम्रपान करना, साथ ही तम्बाकू या पान चबाना शामिल है. तम्बाकू में हानिकारक केमिकल होते हैं जो सिर और गर्दन वाले एरिया में सेल को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है.
2. शराब का सेवन: भारी शराब का सेवन सिर और गर्दन के कैंसर के लिए एक और महत्वपूर्ण जोखिम कारक है. शराब, जब तम्बाकू के उपयोग के साथ मिल जाती है, तो जोखिम और भी बढ़ जाता है.
3. सुपारी चबाना: सुपारी, बुझा हुआ चूना और दूसरी चीजों का मिश्रण, सुपारी चबाना, कुछ एशियाई देशों में प्रचलित है और इसे मौखिक कैंसर के बढ़ते खतरे से जोड़ा गया है.
5. व्यावसायिक खतरे: कुछ कार्यस्थलों में केमिकल, जैसे एस्बेस्टस, लकड़ी की धूल और फॉर्मेल्डिहाइड के संपर्क में आने से नासॉफिरिन्जियल और साइनोनसल कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है.
क्या हैं इसके लक्षण?
1. लगातार गले में खराश: गले में खराश जो लंबे समय तक बनी रहती है, सामान्य उपचारों का ठीक नहीं होती है, या बार-बार आती रहती है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
2. कर्कशता या आवाज में बदलाव: आवाज में कर्कशता या आवाज में बदलाव जो कुछ हफ्तों से अधिक समय तक बना रहता है, वॉयस बॉक्स में एक संभावित समस्या का संकेत हो सकता है.
3. निगलने में कठिनाई: निगलने में कठिनाई या दर्द, जिसे डिस्पैगिया के रूप में जाना जाता है, सिर और गर्दन के कैंसर का लक्षण हो सकता है, खासकर गले या फूडपाइप में.
4. गर्दन में गांठ: गर्दन वाले एरिया में अगर दर्द रहित गांठ या सूजन महसूस हो रही है तो इस बात का संकेत हो सकता है कि कैंसर लिम्फ नोड्स में फैल गया है.
5. लगातार कान में दर्द: कान में भयानक दर्द जो नॉर्मल ट्रीटमेंट से ठीक नहीं हो रहा है, गले या आसपास की जगह को प्रभावित करने वाले कैंसर से जुड़ा हो सकता है.
6. मुंह में परिवर्तन: मसूड़ों, जीभ, टॉन्सिल या मुंह की परत पर लाल या सफेद धब्बे जो ठीक नहीं हो रहे हैं, ऐसे में किसी डॉक्टर से इसे जरूर दिखवाएं.
7. सांस लेने में कठिनाई: सांस लेने में कठिनाई या लगातार खांसी हेड और नैक कैंसर का संकेत हो सकती है.
क्या हैं बचाव के उपाय?
-तंबाकू उत्पादों का उपयोग छोड़ना या उनसे बचना और शराब का सेवन सीमित करना सिर और गर्दन के कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकता है.
-फलों और सब्जियों से भरपूर बैलेंस्ड डाइट ही खाएं. इससे सिर और गर्दन के कैंसर से बचने में मदद मिल सकती है.
-ऐसी जगह या वर्कप्लेस जहां केमिकल का काम है और आपको अपनी सेफ्टी के लिए कुछ नहीं दिया जा रहा है तो वहां से छोड़ दें. यह आपकी जान खतरे में डाल सकता है.