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World Hemophilia Day: क्या है हीमोफीलिया, लाइफस्टाइल में बदलाव करके इस दुर्लभ बीमारी को कर सकते हैं कंट्रोल

हीमोफीलिया और दूसरे ब्लीडिंग डिसऑर्डर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमोफीलिया डे मनाया जाता है.

World Hemophilia Day/Unsplash World Hemophilia Day/Unsplash
हाइलाइट्स
  • हीमोफीलिया खून से संबंधित एक आनुवांशिक बीमारी है.

  • डाइट से कंट्रोल हो सकता है हीमोफीलिया

हीमोफीलिया और दूसरे ब्लीडिंग डिसऑर्डर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमोफीलिया डे मनाया जाता है. इस बार हीमोफीलिया डे की थीम है. "Equitable access for all: recognizing all bleeding disorders”
विश्व हीमोफीलिया दिवस पहली बार 1989 में मनाया गया था. वर्ल्ड हीमोफीलिया डे हीमोफीलिया और ब्लड डिऑडर्स के बारे में जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण दिन है.

क्या है हीमोफीलिया 
हीमोफीलिया खून से संबंधित एक आनुवांशिक बीमारी है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का खून जमता नहीं है. यानी उन्हें थोड़ी बहुत भी चोट लग जाए, तो खून का बहना रुकता नहीं है. शरीर में क्लॉटिंग कारकों की कमी के कारण ये बीमारी होती है. इस बीमारी का कोई पर्मानेंट इलाज नहीं है, हालांकि इलाज से बीमारी को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. भारत में ये बीमारी काफी दुर्लभ है. 10 हजार में से एक मामला हीमोफीलिया का देखने को मिलता है.

हीमोफीलिया दो तरह का होता है. पहला-हीमोफीलिया 'ए' और दूसरा हीमोफीलिया 'बी'. हीमोफीलिया 'ए' में फैक्टर 8 की कमी होती और हीमोफीलिया 'बी' में फैक्टर 9 की कमी होती है. ये दोनों ही फैक्टर ब्लड क्लॉटिंग के लिए जरूरी हैं. 

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हीमोफीलिया के लक्षण
नाक से लगातार खून बहना.
छोटी सी खरोंच लगने पर भी खून बहना.
मसूड़ों से खून निकलना.
स्किन का आसानी से छिल जाना.
शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग के कारण जोड़ों में दर्द होना.

हीमोफीलिया का इलाज
हीमोफीलिया के ट्रीटमेंट में मिसिंग क्लॉटिंग फैक्टर को रिप्लेस किया जाता है, उसकी जगह कुछ और लगाया जाता है. इसमें मरीजों को बार-बार इंजेक्शन लगवाना पड़ता है.  इस तरह का ट्रीटमेंट काफी समय लेने वाला और असुविधाजनक हो सकता है. इसमें करीब 5 लाख रुपये तक का खर्च आता है. अब जीन थेरेपी को लेकर ट्रायल शुरू किए गए हैं. जीन थेरेपी में रोगी की सेल्स में क्लॉटिंग वाले फैक्टर को ट्रांसफर किया जाता है.

डाइट से कंट्रोल हो सकता है हीमोफीलिया
इस बीमारी के इलाज में डाइट का अहम रोल है. नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार हीमोफीलिया के मरीजों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए, जो ब्लीडिंग को कंट्रोल करने और खून के क्लॉटिंग को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं. चूंकि ये बीमारी बहुत गंभीर है, इसलिए इसे लेकर जागरूकता फैलाना भी बेहद जरूरी है. हीमोफीलिया के मरीजों को आयरन रिच फूड खाने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा प्रोटीन का सेवन भी महत्वपूरण होता है. खून में क्लॉटिंग बनाने के लिए प्रोटीन जरूरी है. आप अपनी डाइट में दही, कच्चे पनीर और अंडे शामिल कर सकते हैं.