हर साल 10 अप्रैल को डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती पर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है. यह दिन दुनिया में होम्योपैथी के योगदान को श्रद्धांजलि देने और विश्व स्तर पर इसके महत्व को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है.
विश्व होम्योपैथी दिवस क्या है?
यह दिन जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन को सम्मानित करने के लिए समर्पित है, जिन्हें होम्योपैथी के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. विभिन्न संगठन, संस्थान और सरकारी दफ्तर अलग-अलग कार्यक्रम और अभियान आयोजित करके इस दिन को मनाते हैं. होम्योपैथी मेडिसिन का एक प्राचीन रूप है जो हीलिंग रेस्पॉन्स को एक्टिव करता है और बॉडी फंक्शन्स को मजबूत करता है ताकि वह खुद को ठीक कर सके.
हमारे शरीर में बैक्टीरिया से लड़ने और संक्रमण को रोकने की क्षमता होती है, लेकिन यह सिस्टम तभी काम करता है जब शरीर में मजबूत अच्छे बैक्टीरिया हों. लेकिन हमारी आधुनिक जीवनशैली काफी बिगडी हुई है. खान-पान से लेकर नींद तक, हर चीज गलत करह से प्रभावित है. जिस कारण हमारे शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो रही है और हम बीमारियों के प्रति संवेदनशील बन रहे हैं.
हालांकि, 21वीं सदी में एलोपैथिक मेडिसिन का उपयोग बढ़ा है और होम्योपैथी का कम हो गया है. ऐसे में, होम्योपैथी दिवस मनाने का उद्देश्य इस चिकित्सा पद्धति के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रसायन-आधारित दवाओं के उपयोग को कम करना है.
विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 की थीम
होम्योपैथी भारत में सबसे लोकप्रिय मेडिसिन तरीकों में से एक है. भारत दुनिया में होम्योपैथिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है. विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 की थीम "होम्योपरिवार: एक स्वास्थ्य, एक परिवार" (Homeoparivar: One Health, One Family) है.
कौन थे डॉ सैमुअल हैनीमैन
होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल, 1755 को जर्मनी में हुआ था. उनका मानना था कि रसायन-आधारित दवाओं की तुलना में होम्योपैथिक चिकित्सा बीमारियों को ठीक करने का एक बेहतर तरीका है. उनका शोध मुख्य रूप से मलेरिया, चेचक और अन्य संबंधित स्थितियों पर केंद्रित था. डॉ. सैमुअल का मानना था कि होम्योपैथिक दवा की एक छोटी खुराक भी बीमारी को प्रभावी ढंग से ठीक कर सकती है.
होम्योपैथिक मेडिसिन के फायदे