हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे मनाया जाता है. यह दिन लोगों में इस जानलेवा बीमारी के बारें में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. इस दिन दुनियाभर में फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई में जीत हासिल कर चुके लोगों को सेलीब्रेट भी किया जाता है. हमारे देश में फेफड़े का कैंसर सबसे आम कैंसर में से एक है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2020 में फेफड़ों के कैंसर से 1.8 मिलियन लोगों की मौत हुई थी. यह दिवस पहली बार 2012 में फोरम ऑफ इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर और अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के सहयोग से आयोजित किया था.
दो तरह के होते हैं लंग कैंसर
1. स्मॉल सेल लंग कैंसर: जो लोग ज्यादा स्मोकिंग करते हैं, उनमें ये कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है. ये सबसे तेजी से फैलने वाले कैंसर में से एक है. कई बार जब तक इसके बारे में पता चलता है ये कैंसर फैल चुका होता है.
2. नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर: फेफड़ों में होने वाला ये नॉर्मल कैंसर है. करीब 80 प्रतिशत लोगों में यही कैंसर पाया जाता है. ये एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा की वजह से होता है.
फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख लक्षण
1. अधिक समय तक खांसी रहना.
2. छाती में दर्द होना.
3. सांस लेने में कठिनाई होना.
4. खांसी में खून का आना.
5. हर समय थकान महसूस होना.
6. बिना किसी कारण वजन कम होना.
7. भूख का न लगना.
8. आवाज का बैठ जाना.
9. सिर में दर्द होना.
10. हड्डियों में दर्द रहना.
लंग कैंसर के कारण
फेफड़ों के कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में सिगरेट, बीड़ी और अन्य तम्बाकू से बने पदार्थों के सेवन को माना जाता है. इसके अलावा प्रदूषित हवा, तम्बाकू के धुएं के सम्पर्क में आने के कारण भी लंग कैंसर हो सकता है. सेंकडहैंड स्मोकिंग (सिगरेट पीने वालों के आसपास रहनेवाले लोग), मौसम और तापमान में बदलने के कारण होनेवाली सांस से संबंधित बीमारियां, अनुवांशिक कारण लंग कैंसर होने के कारक माने जाते हैं.
धूम्रपान न करने वाले भी हो रहे शिकार
धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है, लेकिन पिछले दो दशकों में धूम्रपान न करने वाली एक बड़ी जनसंख्या में भी इस बीमारी की पुष्टि हुई है. आंकड़ों के अनुसार धूम्रपान न करने वाले लोगों के बीच इस बीमारी की तीन से चार गुना की वृद्धि हुई है. फेफड़ों के कैंसर के मामलों में इस अप्रत्याशित वृद्धि की एक मुख्य वजह वातावरण में बदलाव है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाहरी हवा में श्रेणी-1 कार्सिनोजेन अधिक मात्रा में मौजूद हैं, जो कैंसर पैदा करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल हैं. कुछ रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कुछ शहरों में प्रदूषित वायु में सांस लेना प्रतिदिन 10 से 20 सिगरेट के सेवन के बराबर है.
एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं इलाज के लिए
डॉक्टर बताते हैं कि लंग कैंसर होने के कई कारण होते हैं. पारिवारिक इतिहास और रेडियोथेरेपी की वजह से भी यह कैंसर होने की आशंका रहती है. चिंता की बात यह है कि अब कम उम्र में भी लोगों को लंग कैंसर हो रहा है. कई मामलों में लोगों को लक्षणों की जानकारी भी नहीं होती है. इस वजह से वे एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिससे खतरा काफी बढ़ जाता है. पिछले कुछ समय में लंग कैंसर के मामलों में वृद्धि दर्ज की जा रही है. पहले ये कैंसर 55 साल से अधिक उम्र के लोगों को अपनी चपेट में लेता था, लेकिन अब 40 साल की उम्र वाले भी मरीजों को लंग कैंसर हो रहा है. इस कैंसर की चपेट में महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिकआते हैं और इसका मुख्य कारण धूम्रपान है.
कैसे करें बचाव
1. ध्रूमपान न करें: फेफड़ों के कैंसर से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप धूम्रपान न करें और दूसरे लोगों के धुएं में सांस लेने से बचें. यदि आप समय रहते धूम्रपान करना बंद कर देते हैं, तो आपके क्षतिग्रस्त फेफड़े के टीस्सू या सेल धीरे-धीरे अपने आप ठीक होने लगते हैं. यदि आप धूम्रपान या तम्बाकू छोड़ नही पा रहें तो किसी डॉक्टर की भी मदद ले सकते हैं.
2. रेडॉन एक्सपोजर से बचें: रेडॉन फेफड़ों के कैंसर का एक महत्वपूर्ण कारण है. यदि जरूरी हो, तो आप अपने घर में टेस्ट और इलाज करवाकर रेडॉन के प्रति अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.
3. हेल्दी फूड्स लें: बहुत सारे फलों और सब्जियों के साथ एक स्वस्थ आहार भी आपके फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है.
4. नियमित व्यायाम करें: शरीर को हर तरह से स्वस्थ्य रखने के लिए व्यायाम जरूरी है. एक्सरसाइज या व्यायाम किसी भी तरह की बीमारी को रोकने मे मददगार होता है. इसलिये थोड़े समय के लिए ही सही पर नियमित रूप से व्यायाम करें.
5. मास्क का करें प्रयोग: नियमित रूप से अपनी स्वास्थ्य जांच करवाएं. बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग करें. घर में एयर प्योरीफायर, प्राकृतिक साधनों का प्रयोग कर टॉक्सिंस और प्रदूषण हवा से बचाव करें. अपने घरों के आसपास हरियाली बढ़ाएं.